
बिलासपुर।बिलासपुर जिले का बिल्हा थाना अपने कारनामो के चलते कानून की खुलेआम धज्जिया उड़ा रहा है । बिल्हा थाना प्रभारी को गंभीर मामले में अपने उच्च अधिकारियों को भी जानकारी नही देना अपने आप मे बडा सवाल खड़ा कर रहा है । बिल्हा पुलिस पर आरोप है कि रेलवे में नौकरी के आरोपी से करवा दिया समझौता।

रायगढ़ जिले के रहने वाले वकील भूपेंद्र वैष्णव ने मीडिया को जानकारी देते हुए बिल्हा थाना में गंभीर आरोप लगाए है । वकील साहब से फोन में मिली जानकारी के अनुसार खरसिया में रहने वाला आरोपी रूपेश कुमार जो कि बिहार का रहने वाला है वर्तमान में खरसिया थाना क्षेत्र में किराए के मकान रहता है । रुपेश कुमार के खिलाफ बिल्हा थाने में प्रार्थी डोमन सिंह राजपूत ने शिकायत दर्ज करवाई थी कि आरोपी ने रेलवे में नौकरी लगवाने के नाम से उससे ₹600000 की ठगी की है डोमन सिंह ने अपनी शिकायत में बताया कि उसने आधे से ज्यादा पैसा आरोपी रुपेश कुमार के खाते में ऑनलाइन और चेक के माध्यम से जमा करवाया है इसके बदले रूपेश ने प्रार्थी को रेलवे का फर्जी लेटर भी दिया था जो कि जांच के बाद पूरी तरह से फर्जी पाया गया।

इतना नहीं जैसे ही इस मामले की शिकायत बिल्हा थाने में पहुंची बिल्हा थाना प्रभारी सहित पूरे स्टाफ की बांछें खिल गई जैसे मालूम की लॉटरी लग गई है वकील भूपेंद्र डॉक्टरों ने हमसे बातचीत में बताया कि 25 तारीख 25 सितंबर के जिला पुलिस की एक टीम ने बकायदा खरसिया चौकी में जानकारी देकर और खरसिया पुलिस को अपने भरोसे में लेकर आरोपी रुपेश कुमार को उसके किराए के मकान से उठा लिया और अपने साथ बिलासपुर जिले के बिल्हा थाने ले आई ।

वकील का कहना है कि उस समय आरोपी ने लगभग 2 से ₹3 लाख रु का सोने का गहना पहना हुआ था जिसे पुलिसकर्मियों ने थाना प्रभारी को सौंप दिया था । अब इनके आरोपों में कितनी सच्चाई है यह तो वकील साहब और बिल्हा में पदस्थ पुलिसकर्मी ही बेहतर बता सकते हैं वकील का आरोप है कि इस बारे में बिलासपुर के जो उच्चअधिकारियों को बिल्हा पुलिस ने जानकारी देना मुनासिब नही समझा । बिल्हा पुलिस कि मंशा साफ साफ आरोपी को बचाने की और सेटलमेंट की थी
48 घण्टो से ऊपर बिल्हा पुलिस ने आरोपी रुपेश को अपनी कस्टड़ी में रखा और उसके बाद प्रार्थी से समझौता करवा कर रिहा कर दिया ।

मामला और आरोप गंभीर है इसलिए हमने बिल्हा थाना प्रभारी से इस बारे में बातचीत की और पुलिस पर लगाये गए आरोपों की पुष्टि करनी चाही तो बिल्हा थाना प्रभारी का कहना था कि आवेदक और अनावेदक के बीच समझौता हो गया है इसलिए मामला नही बनता है ।
वही इस मामले में शिकायतकर्त्ता डोमन सिंह ने भी पुष्टि की है कि उससे आरोपी रूपेश ने 6 लाख रु की ठगी रेलवे में नौकरी लगाने के नाम से की है । और पैसा लेने के बाद बकायदा रेलवे का फर्जी नियुक्ति पत्र भी उसके हाथ में थमाया था फर्जी नियुक्ति पत्र को उसने बिल्हा थाने में जमा करवा दिया है।
सूत्रों से मिली जानकारी और प्रार्थी और वकील से बातचीत के अनुसार आरोपी रुपेश कुमार ने रेलवे में नौकरी दिलाने के नाम से कई और लोगों से भी ठगी की हुई है क्योंकि यह गंभीर मामला है नौकरी के नाम से ठगी का मामला है इसलिए अपराध बनता तो जरूर था और इसके शिकार में कितने नौजवान अपना जीवन भर की जीवन पूंजी गंवा चुके हैं इसकी पुलिस को तफशीष करनी चाहिए थी लेकिन पुलिस की क्या मंशा थी यह तो पुलिस बेहतर ही समझे ।
बिल्हा पुलिस पर आरोप पिछले गंभीर हो जाते हैं कि दूसरे जिले पर लाए गए आरोपी के बारे में उसने बिलासपुर के उच्च अधिकारियों को भी बताना मुनासिब नहीं समझा और ना ही रेलवे के नाम से ठगी होने के मामले में रेलवे को भी अवगत कराने की में कोई दिलचस्पी नही ली ! जिसके चलते बिल्हा पुलिस संदेह के घेरे में है।

पहले भी बिल्हा थाना प्रभारी ने एसएसपी के आदेश की खुलेआम अवेहलना की थी । बिल्हा थाने में पदस्थ और चर्चित आरक्षक रूपलाल चंद्रा का तबादला पचपेड़ी थाना में एसपी ने तत्काल करने के निर्देश जारी किए थे लेकिन थाना प्रभारी ने अभी तक विवादित आरक्षक रूपलाल चंद्रा का तबादला नहीं किया है ।

इतने गंभीर मामले में यदि बिल्हा पुलिस गंभीरता से जांच करती तो निश्चित रूप से एक बड़े गिरोह का पर्दाफाश हो सकता था जो रेलवे में नौकरी लगवाने के नाम से एक बड़ा फर्जीवाड़ा कर रहा था और युवाओं से पैसा वसूल कर रहा था लेकिन इतना गंभीर मामला और फर्जी रेलवे जॉइनिंग लेटर पुलिस के हाथ लगने के बाद भी पुलिस की कार्यवाही नहीं करना अपने आप में सवाल खड़े कर रही है और आरोपों को अपने आप सिद्ध करती नजर आ रही है ।
सवाल यह उठता है कि दूसरे जिले के आरोपी को यदि बिलासपुर जिले लाया गया था तो उसकी जानकारी बिल्हा पुलिस ने अपने उच्च अधिकारियों को क्यों नहीं दी थी ?
रेलवे का फर्जी जॉइनिंग लेटर पुलिस के हाथ लगने के बाद भी पुलिस ने रेलवे को सूचना देने में गुरेज क्योंकि ?
आखिर आरोपी का पैसा पुलिस वाले के किस खाते में किस मकसद से जमा करवाया गया यह भी जांच होनी चाहिए ?
अब देखना होगा पुलिस अपने दामन में लगे इन गंभीर आरोपो के दागों की खालिक को कब तक साफ कर पाती है । पूरे मामले में संबंधित पुलिस कर्मचारियों की कॉल डिटेल निकाल कर आरोपी रुपेश कुमार को हिरासत में लेकर क्या खुलासा करती है ? क्योकि यदि काल डिटेल की जांच की जाती है तो बड़ा खुलासा हो सकता है ।
सबसे बड़ा सवाल यह है कि आरोपी रुपेश कुमार और उसकी पत्नी इस समय कहां और किसकी कस्टडी में है या उनके साथ कोई हादसा हो गया है इसके बारे में भी पुलिस के उच्च अधिकारियों को जानकारी लेना जरूरी बनता है।
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार अभी भी आरोपी रूपेश और उसकी पत्नी को बिलासपुर में किसी सुनसान जगह के मकान में बंधक बना कर रखा गया है।
