CG # यहां महंगे दामों में बिक रही है शराब…!!!दुकान चलाने वाले मार रहे है रेट में डंडी..!!!अधिकारियों की मिलीभगत से चल रहा है…. सरकारी शराब दुकान में गोलमाल…!!जिम्मेदारों ने साधी चुप्पी… क्या है मामला पढ़े पूरी खबर.???
डंकाराम / डेस्क/छत्तीसगढ़/बिलासपुर/
शराबियो की महफिल में अक्सर ये ग़ज़ल होठों में आ जाती है…..
” हुई महंगी बहुत शराब तो…. थोड़ी थोड़ी पिया करो”
अब भले ही शराब महंगी हो…. लेकिन मदिरा प्रेमियों को इससे फर्क तो पड़ता है….. सरकार के लिए जाम की बोतलों के बढ़ते दाम फायदे का सौदा भले हो सकते है… पर सरकार को ये भी नही भूलना चाहिए कि अगर मदिरा प्रेमियों ने शराब पीना छोड़ दिया तो….. इसलिए शराब की कीमतों में कहीं हेर फेर न हो इसलिए सरकार ने खुद शराब बेचने में ज्यादा अक्लमंदी समझी इसलिए पिछली सरकार की पॉलिसी वर्तमान सरकार ने भी फॉलो कर लिया…. सरकार के द्वारा जो दाम शराब के तय किए गए है उसी कीमत में मदिरा प्रेमियों शराब मिले… इसके लिए शराब दुकान के बाहर एक टोल फ्री नंबर भी जारी कर दिया गया…. लेकिन कीमत को लेकर ये बवाल कहां और क्यों हुआ सुनिए इनकी जुबानी…
दरअसल ये मामला है बिलासपुर जिले के मोपका में स्थित सरकारी शराब दुकान का …. आरोप है कि शराब दुकान में कार्यरत कर्मचारी शराब में दस से बीस रुपए बढ़ाकर शराब बेच रहे है…. कीमत दस और बीस रुपए भले ज्यादा न लगती हो लेकिन जरा सोचिए हर दिन एक दुकान से लाखो रुपए की शराब बिक रही है वहां पर दस बीस रुपए की बढ़ी हुई कीमत कितना वारा न्यारा कर रही होगी….हालांकि दुकान में कार्यरत कर्मचारी ने बढ़ी हुई कीमत के पीछे क्या सफाई दे डाली जरा आप भी सुनिए….
सुन लिया आपने अब जब बढ़ी कीमत की चोरी पकड़ी गई तो ये सफाई दे दी गई कि मजाक कर रहे थे… यानी दुकान में पहुंचने वाले हर ग्राहक से ये साहब ऐसे ही मज़ाक करके दस बीस रुपए ऐंठ रहे है… यानी दुकानदार के लिए ये ग्राहक नही उनके रिश्तेदार है तभी तो ग्राहकों से मजाक करने की बात का तर्क दिया जा रहा है…. वैसे साल के १२ महीने जहां हर ग्राहकों की भीड़ रहती है दुकानदार को बात करने की फुरसत नहीं रहती वहां ये कहना कि मजाक कर रहे थे थोड़ा बात गले नही उतरती है….
खैर जब इस बात की शिकायत करने टोल फ्री नंबर पर ग्राहक के द्वारा कॉल किया गया तो नंबर रिसीव ही नही हुआ … जाहिर है टोल फ्री नंबर दिखावा मात्र है… और हो भी क्यों न…. आबकारी विभाग के अधिकारियों का रुतबा भी किसी खाकी वर्दी से कम नहीं है…. अधिकारी वैसे भी फोन नही उठाते और फिर अनजान नंबर की बात ही क्या है…. वैसे इस ये शिकायत जिम्मेदारों तक पहुंची नही और अगर पहुंच भी जाती तो कुछ होता नहीं क्योंकि बढ़ी हुई इस कीमत में साहब का भी हिस्सा जो सेट है यानी फिक्स है…. तो फिर साहब को क्या पड़ी है ईमानदारी दिखाने की…. उन्हे ग्राहकों से कोई लेना देना नही उन्हे तो अपनी कमीशन से मतलब है सरकारी वेतन के साथ हर महीने अलग से कमाई जो हो रही है तो उसे कोई गवाना नही चाहता ….. और वैसे भी अभी चुनाव का वक्त है कोई सुनने वाला तो है…. तो बस मदिरा प्रेमियों की मजबूरी है कि महंगे दामों में मिले जाम तो छलकाना है…. इसलिए तो कहते है
“गालिब को कितना समझाए इससे अपना मेल नहीं”
“शौक है ये दौलत वालों का इससे अपना मेल नहीं…”
“पूरी उमर गुजर जाती है पीने और पिलाने में…”
“ज्यादा कीमत में मिलती मेरे शहर की मदिरा दुकानों में”