छत्तीसगढ़बिलासपुर

अपोलो के मरीज को किया गया दूसरे अस्पताल रेफर ..?
अपोलो के डॉक्टर के कहने पर किया रेफर —परिजन
प्रथम अस्पताल प्रबंधन ने परिजनो पर बनाया दबाब ..!
दवाई नही लेने पर इलाज से किया इंकार ..!
बुजुर्ग मरीज की हालत हुई गंभीर ..!

बिलासपुर।बिलासपुर का अपोलो अस्पताल अपने नए नए कारनामों के चलते हमेशा सुर्खियों में बना हुआ रहता है ! अपोलो अस्पताल को बिलासपुर संभाग के सबसे सुपर स्पेसलिस्ट असपतालो में सबके बेहतर प्राइवेट अस्पातल माना जाता है । लेकिन शायद एक मामले के सामने आने से लगने लगा है कि अपोलो अस्पताल में पदस्थ डॉक्टर भी मानने लगे है कि अपोलो से बेहतर इलाज के लिए बिलासपुर में अच्छे और सस्ते निजी अस्पताल मौजूद है । और यदि आपको अपोलो अस्पताल में इलाज चाहिए तो पैसो की कमी नही होनी चहिये ?
ताजा मामला हैरान करने वाला आया है ।

मरीज के परिजनों से मिली जानकारी के अनुसार 70 वर्षीय श्यामलाल कश्यप जो कि फेफड़े की समस्या से ग्रसित है उनको इलाज के लिये अपोलो अस्पताल में भर्ती करवाया गया था लेकिन लगभग 2 दिन के इलाज के बदले अपोलो अस्पताल ने एक लाख रु से भी ज्यादा का बिल पर्चा बना दिया है । जिसके बाद आर्थिक समस्या के चलते मजबूर परिजन बुजुर्ग परिजन के इलाज के लिए हताश बैठे हुए थे उसी समय अपोलो अस्पताल में पदस्थ डॉक्टर दीपक कुमार ( परिजनों के द्वारा बताया गया नाम ) ने उन्हें अपोलो अस्पताल से बेहतर और सस्ता इलाज के लिए निजी अस्पताल प्रथम अस्पताल ले जाने की मुफ्त में सलाह दे डाली । चुकी अपोलो अस्पताल में मरीज का इलाज डॉ दीपक कुमार की देखरेख में चल रहा था इसलिये उन्होंने डॉक्टर की बातों पर यकीन कर अपने बुजुर्ग मरीज को बहतराई रोड़ सिथत प्रथम अस्पताल में ताजा मामला बिलासपुर के अपोलो अस्पताल का है परिजनों से मिली सूचना के अनुसार उसने 70 वर्षीय अपने पिता को अपोलो अस्पताल में फेफड़े की शिकायत होने के बाद एडमिट करवाया था परिजनों के अनुसार 2 दिन के इलाज में अपोलो अस्पताल में इलाज के नाम से लगभग डेढ़ लाख रुपए उनसे ले लिए पैसों की कमी होने के बाद परिवार की स्थिति अच्छी नहीं होने की हालत में जब परिजन मरीज का इलाज कराने में असमर्थ हो गए तो वही अपोलो में पदस्थ डॉ दीपक कुमार ने परिजनों को आकर कहा कि उनका खुद का एक निजी क्लीनिक है और प्राइवेट अस्पतालों से उनका घनिष्ठ संबंध भी है इसलिए आप अपोलो से रेफर होकर प्राइवेट अस्पताल में मरीज को भर्ती करवा सकते हैं जहां उनका कम खर्चे में अच्छा और बेहतर इलाज हो सकता है ?
किसी तरह अपोलो से रेफर करवा कर जब परिजनों ने मरीज को प्रथम अस्पताल में भर्ती तो करवा दिया लेकिन मुशिकलें कम होने की वजाय बढ़ने लगी । परिजनों के अनुसार प्रथम हॉस्पिटल में दवाई के नाम पर प्रतिदिन का खर्च करीब 16 हजार रु आता था । पैसो की कमी के चलते उन्होंने अपने परिचित की मेडिकल शाप मेडिशन मंगवा ली । जब प्रथम अस्पताल के डाक्टरो को बाहर के मेडिकल से दवा मंगवाने की जानकारी हुई तो प्रथम अस्पताल के डाक्टरो द्वारा अपने ही अस्पताल में स्तिथ मेडिकल फिर दवाई लेने का परिजनों पर दबाव बनाया गया परिजनों के अनुसार अस्पताल के दवाई दुकान और बाहर से मेडिकल शॉप से दवाई लेने में राशि का अंतर 4 से ₹5000 आता था ।
उन्होंने डॉक्टरों को बताया कि वह बाहर से ही दवाई लेंगे क्योंकि उसमें उनकी बचत होती है लेकिन डॉक्टरों ने सख्त रवैया अपनाते हुए परिजनों को फरमान जारी कर दिया या तो दवाई उनके अस्पताल में स्थित दवा दुकान से ली जाए या मरीज को अस्पताल से ले जा सकते हैं। जिसके बाद परिजनों के अनुसार डॉक्टर ने मरीज का इलाज भी बंद कर दिया और मरीज की हालत बस से बदतर हो गई और वह क्रिटिकल पोजीशन में पहुंच गया है ।
जब परिजनों ने दवाई अस्पताल में स्थित दुकान से खरीदने के नियमों के बारे में जानना चाहा और प्रथम हॉस्पिटल के डॉक्टरों से लिखकर नियम को देने को कहा तो प्रथम हॉस्पिटल के डायरेक्टर भड़क गए और उन्होंने मरीज का इलाज करने से मना करते हुए उन्हें किसी और अस्पताल में ले जाने का फरमान परिजनों को जारी कर दिया। वही बुजुर्ग मरीज की इस हालत के लिए परिजन प्रथम हॉस्पिटल के डॉक्टरों को जिम्मेदार बता रहे हैं। परिजनों ने इस पूरे मामले की सूचना बिलासपुर जिले के मुख्य चिकित्सा अधिकारी अनिल श्रीवास्तव को भी दी है मुख्य चिकित्सा अधिकारी का कहना है कि कोई भी अस्पताल मरीज के परिजनों को अपने ही अस्पताल में स्थित दवाई दुकान से दवाई खरीदने के लिए बाध्य नहीं कर सकता और यदि प्रथम हॉस्पिटल के डॉक्टरों में मरीज को दवाई देने के लिए बाध्य किया है तो उसकी जांच की जाएगी और यदि मामला सही होता है तो प्रथम हॉस्पिटल के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी ।

वही अपोलो अस्पताल में पदस्थ डॉक्टर किसी और निजी अस्पताल में अपनी सेवाएं दे सकते हैं इनके नियमों के बारे में जब हमने अपोलो प्रबंधन से बात की तो अपोलो प्रबंधन का कहना था की अपोलो अस्पताल में डॉक्टरों की नियुक्ति के दौरान एक एग्रीमेंट होता है जिसमें कुछ बातों का उल्लेख जरूर रहता है की डॉक्टर बाहर के किसी और अस्पताल में भी अपनी सेवाएं दे सकते हैं

लेकिन डॉक्टर दीपक कुमार को अपोलो अस्पताल के अलावा और किसी अन्य अस्पताल में इलाज करने का अधिकार है कि नहीं इसके बारे में रिकॉर्ड देखकर ही बताया जा सकेगा लेकिन जिस तरह अपोलो के एक डॉक्टर द्वारा मरीज को किसी और निजी अस्पताल में उपचार करवाने की सलाह देकर रेफर किया गया है उसे लगता है की अपोलो अस्पताल में स्वास्थ्य सेवाओं की भारी कमी है या फिर कमीशन के चलते अब अपोलो में पदस्थ डॉक्टर भी अपोलो अस्पताल में भर्ती को किसी और निजी अस्पताल में भर्ती करवाने में ज्यादा दिलचस्पी ले रहे हैं इन सब बातों का अपोलो प्रबन्धन ही बेतहर जबाब दे सकता है ?
फिलहाल अब देखने की बात होंगी की अपोलो प्रबन्धन की पूरी सफाई इस गम्भीर मामले में कब सामने आती है और स्वास्थ्य विभाग कब निजी अस्पताल के खिलाफ कब और क्या कार्यवाही करता है । ताकि आगे से आम जनता को निजी अस्पतालों में स्तिथ दवाई दुकानों से ही दवा खरीदने के लिए बाध्य नही होना पड़े ।

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