पुरा प्रदेश जगमगा रहा था, बिलासपुर कलेक्ट्रेट मे छ्तीसगढ़ महतारी मूर्ति थी अंधेरे मे..!
मीडिया ने किया उजागर तब आया मूर्ति मे उजाला.!
कलेक्टर ने गंभीर मामले को लिया हल्के मे इनको बताया जिम्मेदार..!
बिलासपुर डेस्क खबर./ छत्तीसगढ़ राज्य स्थापना दिवस के अवसर पर बिलासपुर में एक अप्रत्याशित घटना सामने आई, जब कलेक्ट्रेट के पास स्थित छत्तीसगढ़ महतारी की मूर्ति अंधेरे में रही। दीवाली के मौके पर जहां पूरे प्रदेश सहित शहर की हर जगह रौशनी से जगमगा रही थी, वहीं छत्तीसगढ़ महतारी की मूर्ति पर कोई ध्यान नहीं दिया गया। कलेक्ट्रेट, एसपी दफ्तर और अन्य शासकीय दफ्तरों में धूमधाम से रोशनी की गई, जबकि महतारी की मूर्ति अंधेरे में छिपी रही।
स्थानीय लोगों ने इस स्थिति पर आपत्ति जताई, यह कहते हुए कि ऐसी महत्वपूर्ण अवसर पर महतारी की मूर्ति को अंधेरे में छोड़ देना अनुचित है। हालांकि, मीडिया की कवरेज के बाद दूसरे दिन मूर्ति को रोशनी में लाया गया। लोगों ने इस घटना की निंदा की और कहा कि यह छत्तीसगढ़ महतारी के प्रति अपमान है, जिनका सम्मान सभी अवसरों पर होना चाहिए।
बिलासपुर शहर इस समय दीवाली की रौनक में डूबा हुआ था, जहां लोगों के घरों में दीप और लाइट्स से जगमगाहट थी। लेकिन महतारी की मूर्ति को अंधेरे में छोड़ने से प्रशासन की लापरवाही का पता चलता है। उम्मीद की जा रही है कि आने वाले दिनों में ऐसी घटनाएं नहीं होंगी और महतारी के प्रति सम्मान बना रहेगा। हालकी बिलासपुर कलेक्टर ने इसकी देखरेख की जिम्मेदारी निगम प्रशासन के उपर थोप कर इसको किसी अज्ञात के द्वारा लाइट को बंद करने की बात कह कर इतने गंभीर मामले को हल्के मे लेते हुए मूर्ति को रोशनी से जगमगवा दिया है। फिल्हाल कलेक्टर और एसपी आफिस के ठीक सामने मुख्य मार्ग मे राज्य स्थापना दिवस के दिन छ्तीसगढ़ महतारी कि मूर्ति को अंधेरे मे रखने वाले का पता नही चल पाया है और ना ही इसकी जांच के आदेश जारी किये है। जबकि मूर्ति के देखरखाव के लिए लाखों रू खर्च करने का बजट है जिसके भुगतान के लिए सरकार द्वारा जनता से टैक्स वसूला जाता है।