डेस्क खबर

खाकी पर फिर लगा वसूली का दाग…चार वसूलीबाज पुलिस जवानों पर युवक से उगाही का आरोप, एसएसपी तक पहुंची शिकायत..नहीं हुई कार्यवाही ..!



डेस्क खबर बिलासपुर../ छत्तीसगढ़ की न्यायधानी बिलासपुर में एक बार फिर खाकी पर गंभीर आरोप लगे हैं। सिविल लाइन थाने के चार पुलिस जवानों पर एक युवक से जबरन उगाही करने और डराकर मोबाइल फोन छीनने का सनसनीखेज मामला सामने आया है। पीड़ित प्रतीक तिर्की, पिता आनंद तिर्की ने बताया कि 5 जून की रात करीब 9 से 10 बजे के बीच वह उसलापुर स्टेशन के पास शिक्षक कॉलोनी में अपने दोस्त का प्लाट देखने गया था। वहीं वह मोबाइल फोन पर बात कर रहा था, तभी सिविल लाइन थाने की एक पुलिस गाड़ी वहां पहुंची, जिसमें चार जवान सवार थे। पूछताछ के बहाने जवानों ने पहले गाली-गलौज की और फिर उसको डरा धमका कर जबरन पुलिस की गाड़ी की गाड़ी में बैठा कर विरोध करने पर युवक से मोबाइल फोन छीन लिया।



प्रार्थी के अनुसार, पुलिस कर्मियों ने उसे गाड़ी में जबरदस्ती बैठाकर मुंगेली नाका स्थित संजय तरण पुष्कर के पास एक एटीएम तक ले गए और पांच हजार रुपये निकालकर देने का जबरन दबाव  बनवाकर वसूली की । मजबूरन युवक ने एटीएम से पैसे निकाले और देने के बाद ही उसे मोबाइल लौटाकर छोड़ा गया।
अगले दिन युवक ने बिलासपुर एसएसपी रजनेश सिंह को लिखित शिकायत दी, जिस पर एसएसपी सिविल लाइन थाना प्रभारी को वसूलीबाज आरक्षकों के खिलाफ के तुरंत कार्रवाई के निर्देश दिए। लेकिन चौंकाने वाली बात यह रही कि शिकायत के बावजूद सिविल लाइन थाना प्रभारी ने पुलिस कप्तान के सख्त आदेश के बाद भी अब तक इन आरक्षकों के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं की है और ना ही अब तक पेट्रोलिंग गाड़ी से इनकी विदाई की है ।

पुलिस विभाग के विश्वसनीय सूत्रों की माने तो इस मामले में जिस एटीएम से पैसे निकाल कर आरक्षकों को दी गई वह घटना एटीएम के पास लगे सीसीटीवी कैमरे में भी नजर आ रही है । इतना ही नहीं, शिकायत पत्र में जिन दो जवानों के नाम पुलिस कप्तान द्वारा जांच को भेजे गए शिकायत पत्र में  दर्ज थे, उन वसूलीबाज आरक्षकों के नाम को पत्र  की स्याही से मिटा दिया गया और शिकायत पत्र को व्हाट्सएप ग्रुप में डालकर अन्य कर्मियों को चेतावनी दी गई। जिसके कारण थाने के अंदर उन चार आरक्षकों के नाम को लेकर अलग अलग कयास लगाए जा रहे है । यह गंभीर मामला पुलिस व्यवस्था पर सवाल खड़े करता है, जहां उच्च अधिकारियों के आदेश भी नजरअंदाज कर पुलिस की साख पर बट्टा लगाने वाले आरक्षकों को बचाने का कार्य किया जा रहा है । 

जबकि सिविल लाइन थाने के सुलझे और पुराने थानेदार होने के बाद भी ऐसी क्या वजह रही कि थाना प्रभारी को बिलासपुर  एसएसपी के निर्देश और शिकायत पत्र में जवानों के नाम को छुपाने की जरूरत पड़ी ?? 
वहीं इस खबर के सूत्रों ने दावा किया है कि खबर की पुष्टि के लिए एटीएम के पास लगे सीसीटीवी और सिविल लाइन वाट्स उप ग्रुप में शिकायत पत्र को खंगाला जा सकता है ।  अब देखना होगा कि इस मामले में सिर्फ आरक्षकों पर कार्यवाही होती है या फिर आरक्षकों को बचाने वाले और एसएसपी के आदेश और निर्देश को नजरअंदाज करने वाले अधिकारी पर भी ..??

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