डेस्क खबरबिलासपुर

पार्ट –1  छत्तीसगढ़ की सबसे बड़ी नहर परियोजना में बड़ा फर्जीवाड़ा, जाँच मे दोषी एसडीएम को पुरस्कृत बनाया RTO अधिकारी  …!
कलेक्टर ने कहा शासन को भेजेगे पेंडिंग फाइल होगी मामले की जाँच..!



डेस्क खबर.बिलासपुर /छत्तीसगढ़ की बहुप्रतीक्षित और सबसे बड़ी अरपा –भैसाझार  नहर परियोजना एक बड़े घोटाले की शिकार बन गई है। इस परियोजना में किसानों की जमीन अधिग्रहित की गई थी, लेकिन मुआवजा देने में गंभीर अनियमितताएं सामने आई हैं। जानकारी के अनुसार, जिन किसानों की जमीन इस परियोजना में गई, वे आज भी मुआवजे के लिए सरकारी दफ्तरों के चक्कर काट रहे हैं। जिसके लिए बीजेपी सरकार द्वारा सुशासन तिहार समाधान शिविर मे आवेदन भी आ रहे है ।

चौंकाने वाली बात यह है कि उस समय के क्षेत्र के एसडीएम ने पटवारी के स्थानांतरण और रिलीव होने के बाद भी करोड़ों रुपये के मुआवजे का भुगतान कर दिया। हैरानी की बात यह है कि यह पैसा उन किसानों को न देकर कुछ बिल्डरों और व्यापारियों के खातों में ट्रांसफर कर जमकर करोडो रु का भृस्टाचार के खेल को अंजाम दिया गया। एक तरफ जहाँ भारतमाला परियोजना मे हुए  करप्शन को लेकर जगह-जगह प्रदेश के अलग-अलग जिलों में अधिकारियों के यहां सीबीआई की छापेमारी चल रही है वहीं बिलासपुर जिले में करोड़ों रुपए के मजे के नाम पर हुए इस परियोजना के घोटाले के आरोपी को पदोन्नति दे दी गई है वहीं इस मामले में बिलासपुर कलेक्टर ने कहा है की तत्कालीन कलेक्टर की जांच रिपोर्ट में सभी फाइलें को ऊपर शासन स्तर पर भेजा जाएगा और इसके बाद ऊपर से मिले आदेश के आधार पर दोषी अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी ।


गौरतलब है की तत्कालीन कलेक्टर द्वारा कराई गई जांच में यह फर्जीवाड़ा स्पष्ट रूप से उजागर हो गया और रिपोर्ट में एसडीएम को दोषी भी ठहराया गया। इसके बावजूद न तो उनके खिलाफ कोई कड़ी कार्रवाई की गई और न ही पीड़ित किसानों को न्याय मिला। उलटे, आरोपी एसडीएम को पुरस्कृत करते हुए बिलासपुर का आरटीओ बना दिया गया।

इस मामले ने प्रशासनिक सिस्टम की पारदर्शिता और जवाबदेही पर सवाल खड़े कर दिए हैं। किसानों का कहना है कि जिनकी जमीनें चली गईं, उन्हें तो कुछ नहीं मिला, लेकिन जिनका इस नहर परियोजना से कोई लेना-देना नहीं था, उनके खातों में मोटी रकम चली गई। अब पीड़ित किसान मुख्यमंत्री और राज्यपाल से न्याय की गुहार लगा रहे हैं।

वे मांग कर रहे हैं कि दोषियों पर सख्त कार्रवाई हो और वास्तविक हकदारों को तत्काल मुआवजा दिया जाए। वही इस मामले मे क्षेत्रीय परिवहन अधिकारी ने इस मामले मे कुछ भी बोलने से इंकार कर दिया..!

अगले अंक मे कैसा खेला गया खेल ? क्या थी पटवारी की भूमिका..? दस्तावेजो सहित होगा खुलासा !

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