बिलासपुर

सरकार और कलेक्टर के आदेश की नाफरमानी .!
नामचीन कब्जाधारी ! निगम पर पड़ रहे भारी ..!
वसूली के आरोपो से बदनाम हो रहे निगम अधिकारी .?

बिलासपुर — प्रदेश के उपमुख्यमंत्री अरुण साव के आदेश और बिलासपुर कलेक्टर के फरमान को निगम के अधिकारी खुलेआम धज्जियां उड़ाते नजर आ रहे है ..निगम मुख्यालय से कई किलोमीटर की दूरी तय कर अवैध भूमाफियाओं और सरकारी जमीन पर कब्जा हटाने के लिए बुलडोजर चलवा रहे निगम के अधिकारी अपनी खुद की सरकारी जमीन पर बुलडोजर चलवाने को लेकर अक्षम साबित हो रहे है ? बिलासपुर के बिलासा चौक और शनिचरी रपटा के बीच बनी बिना अनुमति के बनी अवैध दुकानों की जानकारी होने के बाद भी अधिकारी कार्यवाही नही कर रहे है ..? जिसके चलते अधिकारियों की ईमानदारी और कार्यवाही पर सवाल खड़े हो रहे है .? सूत्र बताते है कि इन अवैध दुकानों के अवैध निर्माण के लिए मोटी रकम का लेनदेन हुआ है इसलिए बिना अनुमति के सरकारी जमीन पर बनी अवैध दुकानों की जानकारी होने के बाद भी अभी तक जोन कमिश्नर से लेकर बाजार शाखा और भवन शाखा के जिम्मेदार और लापरवाह अधिकारियों ने अभी तक भ्रष्टचार की मिलीभगत से बनी दुकानों को हटाने के कोई पहल नहीं की है और न ही इस मामले में अभी तक कोई नोटशीट चार्जशीट बनाई है .? इतना ही लंबे लेनदेन के कारण अभी तक अवैध निर्माण की जानकारी से अपने उच्च अधिकारियों को भी अवगत करवाना मुनासिब समझा .?

वही नाम न छापने की शर्त में एक विश्वनीय सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार इन दुकानों की किसी प्रकार की अनुमति नहीं ली गई है और इन अवैध दुकानों के निर्माण के लिए अफसरों पर राजनैतिक दबाब के चलते इन नामचीन कब्जाधारियो ने एक मोटे लेनदेन के एवज में सरकारी जमीन पर करोड़ों रु के अवैध दुकानों का निर्माण कर कब्जा कर लिया है । वही इस मामले में निगम के अधिकारी भी गोलमाल जवाब दे कर मामले को अपनी जवाबदेही से बचते नजर आए । जोन कमिश्नर से लेकर बाजार शाखा ,भवन शाखा सहित अतिक्रमण दस्ता तक इन कब्जाधारियों के आगे नतमस्तक नजर आ रहे है ।

बिलासबाई के नाम पर चर्चित बिलासपुर के बिलासा चौक से रपटा के बीच अरपा नदी के नाम पर यहा बसे कब्जाधारियों पर निगम का कहर टूटा था और दुकानों को हटा दिया गया था । उसके बाद से आज तक किसी को भी दुकानें एलाट नही की गई थी… लेकिन अरपा विकास प्राधिकरण, निगम सहित प्रदेश में कांग्रेसी राज का बोलबाला और संरक्षण में इन अवैध दुकानों का निर्माण कर दिया गया ।

बिलासचौक पर निगम का दस्ता अकसर गरीब लाचार फलों और सब्जी के ठेलो पर टूटता है और अस्थाई कब्जाधारियों के ठेलो सहित समान के जब्त कर खराब कर दिया जाता है वही इसके उलट सरकारी जमीन पर इन अवैध दुकानों के सामने बेहिचक बीच सड़क में इनके फलों की दुकानें सजी नजर आती है । वही इन दुकानों के सामने फल विक्रेता का कहना है कि इसके एवज में उसे 20000 रू महीने चढ़ावा देना किराए के रूप में देना पड़ता है । मतलब पहले अवैध कब्जा और उसके बाद किराए के नाम पर हजारों की मासिक वसूली .? पड़ताल में पता चला है कि गुप्ताज़ी और ठाकुर जी नामक व्यक्तियों ने इन दुकानों पर कब्जा किया हुआ है अब किराए के नाम पर हो रही वसूली में निगम के अधिकारियों को कितनी हिस्सेदारी है यह अभी भी सवाल बना हुआ है .?

सरकार का बुलडोजर कार्यवाही प्रदेश के अलग अलग इलाकों की तरह बिलासपुर के कई इलाकों में लगातार जारी है .! और बकायदा निगम के अफसर इन कार्यवाहियों से मीडिया में चर्चा में है .लेकिन शहर से कई किलोमीटर दूर जा कर बेजा कब्जाधारियों को बुलडोजर से ध्वस्त कर रहे है निगम के अधिकारियों के हाथ चंद कदम की दूरी पर मौजूद इन दुकानों पर बुलडोजर की कार्यवाही करने से कांप रहे है ।

प्रदेश के दूसरे सबसे बड़े शहर बिलासपुर में कांग्रेस शासन काल में जमकर सरकारी जमीनों का बंटाधार हुआ । बिलासपुर नगर निगम में कांग्रेस को बागडोर होने की वजह से कांग्रेसी नेताओं के संरक्षण में निगम की जमीन पर बिना अनुमति के करोड़ों रु की दुकानों का अवैध निर्माण कर दिया गया । बिलासपुर में सरकारी जमीनों पर रसूखदारों द्वारा जबरिया अधिकारियों और नेताओं की मिलीभगत से कब्जे को भी शिकायते हुई वावजूद उसके गरीबों के आशियाने को निगम का अमला नेस्ताबूत करने में कोई समय नहीं लगाता है लेकिन रसूखदार के खिलाफ कार्यवाही करने में निगम के अधिकारी हिलहवाला करते नजर आ रहे है ।

बिलासपुर के शनिचरी इलाके में गरीबों के आश्नियाने पर निगम अमले ने जमकर तोड़फोड़ की लेकिन उसके उलट बाल्मिक चौक और रपटा के बीच में नगर निगम के दो दुकानों का अवैध निर्माण बिना अनुमति के सरकारी जमीन पर कर दिया है । इन्ही दुकानों को जोन कमिश्नर के आदेश पर कुछ महीनो पहले ही ध्वस्त किया गया था । लेकिन रसूखदार व्यापारियों ने जोन कमिश्नर की कार्यवाही को ठेंगा दिखाते हुए बीच सड़क के किनारे सबसे व्यस्त मार्ग में दो दुकानों का बिना अनुमति के अवैध निर्माण कर निगम के अधिकारियों को खुली चुनौती दे डाली इतना ही नहीं इन दुकानों को बकायदा किराए में देकर महीने में हजारों रुपयों की अवैध वसूली भी दुकान मालिको द्वारा की जा रही है । इतना ही इन किराए की दुकानों को सड़को में संचालित किया जा कर ट्राफिक भी जाम किया जा रहा है । इतना सब कुछ खुलेआम होने के बाद भी तमाम जानकारी होने के वावजूद निगम के अधिकारी आंखे मूंदे बैठे हुए है ।
हमारी पड़ताल में भी पता चला कि इन दो दुकानों का निर्माण पूरी तरह अवैध है और इसके लिए निगम से कोई अनुमति नहीं ली गई है ।

वही इस मामले में जब निगम के बाजार शाखा से लेकर भवन शाखा के अधिकारी इन दुकानों के खिलाफ कार्यवाही को लेकर गंभीर नजर नहीं आ रहे है और इस निर्माण के लिए एक दूसरे पर आरोप लगाकर अपना पल्ला झाड़ते नजर आए । वही इस पूरे मामले में जिस जोन कमिश्नर ने कुछ महीनों पहले कार्यवाही करते हुए दुकानों को हटाने का काम किया था उन्होंने भी इसके लिए बाजार शाखा को जिम्मेदार बता दिया। हालांकि हालांकि जॉन कमिश्नर ने यह बताने से इनकार कर दिया कि उनके संज्ञान में इन करोड़ों की दुकान की अवैध निर्माण की जानकारी होने के बाद भी उन्होंने इससे निगम आयुक्त को क्यों अवगत नहीं करवाया ?
नाम न छापने की शर्त में निगम के एक अधिकारी ने इस अवैध निर्माण के लिए कांग्रेसी नेताओ द्वारा लाखो रू के लेनदेन का भी आरोप लगाया । महापौर से लेकर जोन कमिश्नर तक इन दुकानों के अवैध निर्माण की शिकायत भी हुईं लेकिन अब तक कार्यवाही नही हो पाई है । मीडिया के हस्तक्षेप के बाद जोन कमिश्नर ने जल्द ही इन अवैध दुकानों पर कार्यवाही की बात जरूर कही है ।

शहर में लंबे समय से जगह जगह अवैध निर्माण हो रहा है। निगम से बिना अनुमति लिए नियमों को ताक पर रख कर व्यावसायिक निर्माण किया जा रहा। ऐसा भी नहीं है कि इनकी जानकारी निगम को नहीं हो पर मिलीभगत के बिना ये संभव भी नहीं है कि मुख्य मार्ग में दुकान यूँही तन जाए सब जान कर भी निगम तमाशबीन बना हुआ है।क्योंकि अधिकारियों को शिकायत मिलने के बाद भी कोई कार्यवाही नहीं की जाती जबकि शहर में इस तरह मुख्य बाजार में ये कोई पहली दुकान नहीं बन बनी है इसके पहले भी निगम क्षेत्र में कई दुकानों अवैध निर्माण व्यापारियों के द्वारा कराया गया है जिस पर आज तक कोई कार्यवाही नहीं की गयी है और अब लगातार निर्माण हुए जा रहे है।

नगर निगम की शह पर बेख़ौप हो कर धड़ल्ले से अवैध निर्माण का कार्य जारी है। बिना अनुमति और बिना नक्शे के निगम के अधिकारियों के संरक्षण में अवैध निर्माण किया जा रहा है । तमाम शिकायतो के बाद भी निगम के जिम्मेदार मौन है । निगम के अधिकारी अपनी जबाबदेही से बचने के लिए एक दूसरे के ऊपर जबाबदेही डाल कर अपना पल्ला झाड़ रहे है । बाजार शाखा से लेकर भवन निर्माण शाखा और ज़ोन के कमिश्नर तक इन अवैध निर्माण पर रोक लगाने के अक्षम साबित हो रहे है। निगम के जिम्मेदारों ने भी माना है कि शनिचरी में रपटा के पास बनी दोनो दुकानें अवैध है और बिना अनुमति के निर्माण कार्य हुआ है इस मामले में निगम अधिकारियों को जानकारी मिलने के बाद भी कारोबारियों को न नोटिस  जारी की गई है न कोई कार्रवाई हुई है।

रसूखदार व्यापारी डंके की चोट पर नियम कानून को ताक पर रख कर अवैध निर्माण कर लिए है। जिस पर शिकायत के बाद भी कार्यवाही नहीं होती जबकि गरीब जनता के लिए इन्ही अफसरों के तेवर कड़े दिखाई देते है और गरीबो के ठेलो गुमटी और सामानों को जप्ती करने में जितनी तेजी और मुस्तैदी निगम अमला दिखाता है उससे साफ जाहिर होता है कि गरीबो और अमीरो के लिए निगम के अपने खुद के बनाये नियम है । जितनी बेदर्दी और सख्ती गरीबो के ऊपर की जाती है उतनी ही दरियादिली और रहमत इन रसूखदारों के लिये निगम कर रहा है । कही न कही ये साफ इंगित होता है कि निगम की मिलीभगत के कारण ही शनिचरी बाजार में बिना नियमो और सुरक्षा के इन दुकानों का निर्माण किया गया है। इन दुकानों के पूर्ण निर्माण में मौन सहमति निगम के जिम्मेदार दे कर इन अवैध निर्माण करा कारोबारियों से अपनी जेब गर्म कर रहे है ।

बडा सवाल ये है कि क्या शनिचरी जैसे व्यस्ततम इलाको में चल रहे इन अवैध निर्माण पर निगम अधिकारियों की नजर नही पड़ी या देखकर भी अंजान बने हुए है? सवाल ये भी है नोटिस जारी करने के बाद भी अभी तक इन पर कार्यवाही करने से क्यो परहेज कर रहा है निगम अमला ? और यदि नोटिस जारी किया गया है तो नोटिस की कापी और नाम क्यो छिपा रहे है अधिकारी ?
अब देखना होगा कि निगम कब इन अवैध निर्माण पर कार्यवाही करती है या फिर बेरोकटोक यह अवैध निर्माण यूँही जारी रहेगा।

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