छत्तीसगढ़बिलासपुर

डॉक्टर को ऐसा क्या हुआ, कि उन्होंने खो दिया अपना आपा.?चंद पैसे के लिए मरीज को दे दी फोन पर गालियां….!आडियो वायरल होने से डाक्टर की हो रही फजीहत .?शिकायतों से बढ़ी पुलिस की उलझन.?सुनिए डाक्टर की गंदी भाषा !पढ़िए पूरी खबर .!

बिलासपुर …बीते दिनों बिलासपुर के प्रथम हॉस्पिटल के डॉक्टर और सी एस पी डी सी एल के कर्मचारी के बीच हुए हॉट टॉक का आडियो सोशल मीडिया पर काफी तेजी से वायरल हो रहा है…. करीब नौ मिनिट के इस आडियो में प्रथम अस्पताल के डॉक्टर रजनीश पांडे और सी एस पी डी सी एल के एक कर्मचारी कोमल प्रसाद देवांगन के बीच बातचीत का ये आडियो है… शुरुआत में दोनो के बड़े सभ्य तरीके से बातचीत होती है लेकिन बाद में डॉक्टर इस कदर अपना आपा खो देते है कि बात गाली गलौच तक पहुंच जाती है… जाहिर है कि कर्मचारी भी नाराज होकर डॉक्टर के आडियो को पुलिस तक पहुंचा देने की धमकी दे देता है… हालाकि अब दोनों ने यानी डॉक्टर और कर्मचारी के द्वारा सरकंडा थाने में एक दूसरे के खिलाफ शिकायत की गई है जिसके बाद पुलिस अब मामले की जांच में जुटी है….पुलिस के सामने बड़ी उलझन है कि वह क्या करें…. ? फिलहाल मामला विचाराधीन है….फिलहाल प्रथमा अस्पताल के सभ्य डाक्टर के इस अशोभनीय और अश्लील भाषा की जमकर भ्रत्सना की जा रही है और एक डाक्टर की इस करतूत का आडियो सामने आने से पूरी बिरादरी की फजीहत हो रही है ?
नोट..आडियो में अश्लील शब्दो का इस्तेमाल किया गया है नाबालिको को दूर रखे ।

आडियो

अब जरा मामले के बारे में जान लीजिए…

दरअसल करीब दो महीने पहले कर्मचारी के द्वारा अस्पताल में अपना इलाज करवाया था… चूंकि वे एक सरकारी कर्मचारी है इस वजह से चिकित्सा में जो रुपए खर्च हुए उस राशि को अपने विभाग से इनकैश कराने के लिए जरूरी पेपर्स में एक पेपर डॉक्टर का भी होता है… जिसमे डॉक्टर अपनी सहमति देते है की मरीज ने अस्पताल में इलाज करवाया है… अब उस पेपर में अपनी सहमति देने डॉक्टर पांडे के द्वारा नियमो का हवाला देते हुए ओपीडी की चार सौ रुपए की राशि की रसीद कटवाने के लिए कहा जा रहा है… महज 400 रुपए की रसीद के लिए इस मामले ने इतना तूल पकड़ लिया है कि मामला थाने जा पहुंचा है… डॉक्टर की मानें तो कर्मचारी के द्वारा जब इलाज करवाया गया था उसके बाद ही अगर उनसे सहमति पत्र ले लेते तो उसका कोई चार्ज कर्मचारी को नहीं देना पड़ता… डाक्टर का कहना है कि पहले इलाज में भी बिल में ओपीडी का चार्ज नहीं लिया गया है । पर चूंकि कर्मचारी दो महीने के बाद डॉक्टर से वह कागज मांग रहे है… कर्मचारी की मानें तो उन्होंने अस्पताल में इलाज कराया है इसलिए वह दुबारा ओ पी डी चार्ज देने राजी नहीं है… जबकि डॉक्टर की दलील ये कि अगर वह उसी समय ये सारी प्रक्रिया पूरी कर लेते तो उन्हे ओ पी डी चार्ज नहीं देना पड़ता….डॉक्टर के द्वारा मेडिकल नियमो का हवाला देते हुए सारी प्रक्रिया को पूरा करने का तर्क दिया जा रहा है… और मरीज द्वारा अलग अलग लोगो द्वारा अस्पताल के कर्मचारियों का धमकाने का भी आरोप लगाया जा रहा है । तो वही कर्मचारी भी मेडिकल क्लेम को पाने आड़े आने वाले नियमो का हवाला दे रहे है ऐसे में सवाल ये उठता है आखिर इस पूरे मामले में गलत है कौन… खैर सही गलत का फैसला करने के लिए कानून है… लेकिन अधिकतर लोग डॉक्टर के आपा खो देने की बात से नाराज है.. तो वही कुछ है जो डाक्टर के आपा खोने की वजह कर्मचारी को दोषी मान रहे है… वैसे इलाज के नाम पर मरीज पर लाखो का बिल ठोकने वाले डॉक्टर के लिए क्या 400 रुपए इतने ज्यादा जरूरी थे कि उन्होंने अपना आपा ही खो दिया…. बहरहाल अब देखना होगा कि पुलिस उलझन के आडियो को किसके पक्ष में सुलझाती है….. ?
जरा इत्मीनान से डॉक्टर और मरीज के बीच हुई पूरी बातचीत का वायरल आडियो और आप ही फैसला कीजिए की गलती किसकी है….???
इस खबर का पर आगे अपडेट क्रमश:

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