बिलासपुर । बिलासपुर संभाग प्रदेश की राजनीति के लिहाज से सदैव उर्वर रहा है । यहाँ समय दर समय भाजपा और कांग्रेस दोनों बड़ी पार्टियों ने अपना वर्चस्व दिखाया है । यह जिला प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री अजीत जोगी के प्रभाव क्षेत्र वाला भी माना जाता है । यहां कई भाजपाई दिग्गजों का भी अपना व्यापक प्रभाव है । मसलन बिलासपुर के पूर्व मंत्री अमर अग्रवाल,बिल्हा के वर्तमान बीजेपी विधायक-पूर्व नेताप्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक और बिलासपुर के सांसद(वर्तमान में बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष) के व्यापक प्रभाव के कारण बिलासपुर जिला मुख्य विपक्षी दल बीजेपी के लिहाज से काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है ।
वर्ष 2018 में प्रदेश में लंबे अरसे के बाद कांग्रेस की सरकार बनने के बाद बिलासपुर जिले में सत्तारूढ़ कांग्रेस का व्यापक प्रभाव भी बढ़ा है । बात बिलासपुर विधानसभा क्षेत्र की करें तो यहां नवोदित कांग्रेसी विधायक शैलेष पांडेय का राजनीतिक आभा तेजी से बढ़ा है । बिलासपुर विधानसभा क्षेत्र बीजेपी के दिग्गज नेता अमर अग्रवाल का एकाधिकार वाला क्षेत्र माना जाता था । इस मिथक को पिछले विधानसभा चुनाव में शैलेष पांडेय ने बखूबी तोड़ दिया । जानकारों का मानना है कि बिलासपुर विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस को भेद पाना बीजेपी के लिये अब आसान नहीं होगा । बिलासपुर से लगा हुआ बिल्हा विधानसभा क्षेत्र की बात करें तो यह विधानसभा अबतक हर बार विधायक बदलने के ट्रेंड को अपनाता है । अगर यही ट्रेंड रहा तो सम्भावना है कि बिल्हा में अगला विधायक कांग्रेस का हो । हालांकि बिल्हा में सिटिंग एमएलए भाजपा के दिग्गज नेता धरमलाल कौशिक के खिलाफ उतनी लहर फिलहाल नहीं दिख रही है,यह बीजेपी के लिए राहत वाली बात है । बात मस्तूरी और बेलतरा की करें तो यहाँ फिलहाल बीजेपी का जलवा बरकरार है । बेलतरा के बीजेपी विधायक रजनीश सिंह का रिपोर्ट कार्ड ठीक ठाक बताया जा रहा है।
लेकिन जानकारों की मानें तो बेलतरा में बीजेपी को फायदा त्रिकोणीय मुकाबला होने के कारण मिला था । यहाँ जेसीसीजे की उपस्थिति ने कांग्रेस को नुकसान पहुंचाया था । लेकिन इस बार जब जेसीसीजे एक राजनीतिक ताक़त के रूप में बहुत कमजोर नजर आ रही है तो बेलतरा में बीजेपी-कांग्रेस के बीच बराबर के मुकाबले की सम्भावना दिख रही है । वहीं मस्तूरी विधानसभा क्षेत्र में फिलहाल बीजेपी के विधायक कृष्णमूर्ति बाँधी के मुकाबले कांग्रेस की ओर से कोई सशक्त चेहरा सामने नहीं दिख रहा है । यहाँ पूर्व कांग्रेसी विधायक दिलीप लहरिया को टिकट मिल भी जाय,इस बात पर भी संशय है । मतलब अभी तक के राजनीतिक कैलकुलेशन के मुताबिक मस्तूरी में बीजेपी कांग्रेस पर बीस नजर आ रही है । पिछले चुनाव में मस्तूरी में बसपा दूसरे पोजिशन पर था,इसलिए मस्तूरी में bsp के प्रभाव को कमतर नहीं आंका जा सकता । वहीं कोटा और तखतपुर विधानसभा क्षेत्रों की अगर बात करें तो यह दोनों विधानसभा जिले के महत्वपूर्ण विधानसभा क्षेत्रों में से माना जाता है। तखतपुर विधानसभा में लंबे अरसे के बाद कांग्रेस ने पिछले विधानसभा में फ़तह हासिल की थी । लेकिन यह जीत मामूली अंतर की जीत थी । इसलिए इस बार अगर कांग्रेस की सिटिंग एमएलए रश्मि सिंह को टिकट मिल भी जाती है तो कांग्रेस के लिए तखतपुर बचाना आसान नहीं होगा । यहां दोनों बड़ी पार्टियों के लिए उनका चेहरा बड़ी भूमिका अदा कर सकती है । पिछले बार यहाँ जेसीसीजे की उपस्थिति भी शानदार थी,इसलिए यहाँ वोट केबल एक राजनीतिक धारा की तरफ ध्रुवीकृत होगी,यह कहना आसान नहीं है । वहीं कोटा विधानसभा क्षेत्र में पिछले बार जेसीसीजे की प्रत्याशी रेणु जोगी ने त्रिकोणीय मुकाबले में शानदार जीत हासिल की थी । यह जीत इसलिए भी ऐतिहासिक बताई जा रही है क्योंकि यह सीट कांग्रेस की परंपरागत सीट मानी जाती रही है और पहली बार कांग्रेस पार्टी को यहाँ झटका लगा था । पुराने ट्रेंड को देखते हुए कोटा विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस को बीजेपी के मुकाबले बीस माना जा रहा है । कोटा में जेसीसीजे अगर फिर से मुकाबले में आती है तो त्रिकोणीय संघर्ष की स्थिति में किसके हाथ में जीत होगी यह कहना जरा मुश्किल है ।
कुल मिलाकर बिलासपुर जिले के 6 विधानसभा क्षेत्रों की अगर बात करें तो आगामी विधानसभा चुनाव में दोनों बड़ी पार्टियां बीजेपी और कांग्रेस की राजनीतिक ताक़त बराबर की आँकी जा सकती है । कहीं बीजेपी कमजोर तो कहीं कांग्रेस की स्थिति पतली नजर आ रही है । भूपेश बघेल की सरकार में बिलासपुर जिले से कांग्रेस पार्टी का राष्ट्रीय लीडरशिप और प्रदेश स्तरीय नेतृत्व जरूर कमजोर नजर आ रहा है । आनेवाले दिनों में जिले से नेतृत्व का विस्तार इस बात पर निर्भर करता है कि प्रदेश में किसकी सरकार बनती है । अगर कांग्रेस पार्टी जिले से बेहतर प्रदर्शन करती है तो संभावना है कि बिलासपुर जिले को राज्य या केंद्र में नेतृत्व का अवसर मिले । वहीं यदि प्रदेश में बीजेपी की सरकार आती है तो बिलासपुर से केंद्र या राज्य में बीजेपी को नेतृत्व मिले इसकी संभावना अधिक दिख रही है ।