बिलासपुर।FIR अनुसार, पाक्सों एक्ट के तहत आरोपी बच्ची के पिता रायगढ़ निवासी उद्योगपति को बचाने में अपनी पूरी पदीय ताकत का दुरुपयोग करना अब CWC के अधिकारियों को महंगा पड़ सकता है ? अपनी 9वर्षीय नाबालिक बच्ची को सकुशल प्राप्त करने हेतु गत शनिवार से कलेक्टर कार्यालय के सामने धरने पर बैठी पीड़िता नाबालिक की मां के अधिकारो का दमन करना, CWC अधिकारियों को ज़बाब देना अब महंगा पड़ सकता है,क्योंकि राष्ट्रीय बाल अधिकार आयोग नई दिल्ली ने मीडिया की खबरों पर स्वत संज्ञान लेते हुए कलेक्टर बिलासपुर को नोटिस भेजकर 3 दिनों के भीतर जवाब मांगा है, यह उल्लेख करना जरूरी है कि राष्ट्रीय बाल अधिकार आयोग को सिविल प्रक्रिया संहिता के तहत सभी अधिकार प्राप्त है !
राष्ट्रीय बाल अधिकार आयोग किसी को सम्मन /नोटिस जारी कर जवाब तलब कर सकता है, चूंकि उपरोक्त मामला पॉक्सो से सबंधित है इसलिए और गंभीर हो जाता है ! राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग ने कलेक्टर बिलासपुर से जो दस्तावेज 3 दिनों के भीतर मांगे है, उससे मामले में एक नई दिशा तय होगी ? और CWC और पुलिस की जवाबदेही तय होने के साथ किसी भी शासकीय अधिकारी द्वारा आरोपी के पक्ष में या आरोपी को बचाने हेतु कुछ भी साबित होता है तो संबंधित अधिकारी के लिए मुश्किलें खड़ी होना निश्चित है ! अब देखना यह है कि राष्ट्रीय बाल अधिकार आयोग के नोटिस की प्रतिक्रिया में कलेक्टर बिलासपुर मामले को कितनी गंभीरता से लेते है ?
इस बहुचर्चितर मामले समस्त हालत बताते है कि पुलिस ने आनन फानन में तथाकथित उद्योगपति के खिलाफ FIR तो दर्ज कर ली लेकिन अब यही FIR पुलिस के गले की फांस बनी हुई है, वही लगभग 72 घण्टो चला यह घटनाक्रम में सभी सरकारी तंत्र की चुप्पी और ओर गेंद दूसरे पाले में डालने का तमाशा सब देख रहे थे और सबके मन मे एक ही सवाल कौंध रहा था की सरकारी तँत्र के लिए आरोपी अमीर उद्योगपति दुधारू गाय बन गया था जिसे जमकर दुहा गया है ? मामला 9 साल की बच्ची की कस्टडी का इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि बच्ची के बयान के आधार पर ही सम्पूर्ण जांच टिकी हुई है यह एक्सक्लूसिव मामला कह सकते हो कि जो गंभीर,संगीन आरोपों के साथ सड़को पर सार्वजनिक मामला बना है, कुल मिलाकर उपरोक्त प्रकरण में पीड़िता 9 वर्षीय नाबालिक बच्ची और पीड़िता की मां के
तमाम प्रयासों के बाद और भारी जनसमर्थन के बाद भी CWC /पुलिस द्वारा कोई सार्थक एवम त्वरित कदम न उठाने पर अब जनता के बीच सवाल उठने लगे है कि क्या आरोपी उद्योगपति पुलिस और CWC के दुधारू गाय बना हुआ है ?
बिलासपुर में शनिवार की दोपहर से 1 माह कलेक्टर ऑफिस के सामने धरने पर बैठ गई, जिसके बाद सोमवार सुबह 4 बजे उसके परिजन उसे अपने साथ ले गए लेकिन इस बीच जो हुआ वह पूरे देश में चर्चा का विषय बना हुआ है.. वहीं इस मामले में अब राष्ट्रीय बाल अधिकार आयोग ने संज्ञान लेते हुए तीन दिवस के भीतर कई बिंदुओं पर जवाब मांगा है..
अपनी 9 वर्षीय बेटी से मिलने और न्याय की मांग को लेकर दर-दर की ठोकरें खाती बिलासपुर निवासी महिला 2 दिन पहले कलेक्टर ऑफिस के मुख्य गेट के सामने धरने पर बैठ गए इस दौरान उनके साथ कुछ और भी लोग मौजूद थे अचानक हलचल मचने के बाद जब मीडिया के लोगो ने जानकारी मांगी तो महिला ने बताया कि उसके पति ने उसकी बेटी के साथ दुराचार किया और पुलिस में मामला दर्ज होने के बाद सीडब्ल्यूसी द्वारा बच्ची की कस्टडी ले ली गई..
महिला द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार शुरुआत में सीडब्ल्यूसी के लोगों द्वारा बालिका को एक जगह से दूसरे जगह ले जाया जा रहा था और उसकी मां से नहीं मिलने दिया जा रहा था वही बच्ची का बयान भी दर्ज नहीं किया जा रहा था लेकिन बार-बार मां के दबाव के बाद बच्ची का बयान तो दर्ज करवा लिया गया लेकिन बच्चे की कस्टडी मां को नहीं सौंपी गई इसके लिए महिला ने कोर्ट में आवेदन भी लगाया और कलेक्टर के पास भी आवेदन लगाया..
कहीं से सहायता नहीं मिलने के बाद महिला फिर एक बार पुलिस के पास पहुंची और बच्चे की कस्टडी लेने के लिए गुहार लगाने लगी लेकिन सीडब्ल्यूसी के अधिकारी ना तो बच्ची को मां से मिलने दे रहे थे और ना ही उसकी कस्टडी मां को सौंप रहे थे ऐसे में न्याय न मिलता देख, शनिवार की दोपहर महिला कलेक्टर ऑफिस के सामने धरने पर बैठ गई.. प्रशासन की लाख मान मनौव्वल के बाद भी महिला बच्चे की कस्टडी लिए बिना उठने का नाम नहीं ले रही थी लेकिन आज तड़के सुबह प्रशासन की समझाइश के बाद परिजन महिला को अपने साथ ले गए..
वही सीडब्ल्यूसी के ऑफिस में दिनभर महिला और परिजनों का जमावड़ा लगा रहा लेकिन बच्ची की कस्टडी को लेकर महिला फिर एक बार इंतजार करती ही देखी वही इस पूरे मामले में आरोपी पिता अब तक फरार है और पुलिसिया कार्रवाई भी लटकी नजर आ रही है.. वहीं मीडिया रिपोर्टस पर संज्ञान लेते हुए आज राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग द्वारा नोटिस जारी कर तीन दिवस के भीतर जवाब मांगा गया है.. कई बिंदुओं पर मांगे गए जवाब के बाद अब बच्चे की कस्टडी को लेकर भी हलचल शुरू हो गई है.. वही सवाल उठने लगे हैं कि क्या बाल संरक्षण आयोग के हस्तक्षेप के बाद बच्चे की कस्टडी मां को मिल पाएगी..