

स्थानीय निवासी की रिपोर्ट
डेस्क खबर बिलासपुर…./ छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिले की नगर पंचायत मल्हार में शुक्रवार को उस समय सनसनी फैल गई, जब मुख्य नगरपालिका अधिकारी मनीष सिंह ठाकुर को सरकारी बैठक के दौरान खुलेआम गालियाँ दी गईं, जान से मारने की धमकी दी गई और उनके साथ धक्का-मुक्की कर उनका मोबाइल फोन जबरन छीन लिया गया। घटना के बाद पूरे नगर पंचायत कार्यालय में हड़कंप मच गया। नगर पंचायत CMO ठाकुर ने इस घटना के लिए नगर पंचायत अध्यक्ष धनेश्वरी केवट के पति धनेश्वर केवट और करोडो रु के घोटाले मे पुलिस रिकार्ड मे फरार विवादित व्यक्ति राजकुमार वर्मा को जिम्मेदार ठहराया है। उन्होंने मल्हार पुलिस चौकी में इस संबंध में लिखित शिकायत दर्ज कराई है ,जिसकी जाँच जारी है।


कैसे हुई घटना?
25 अप्रैल को अमृत मिशन 2.0 के तहत कार्य आरंभ के मौके पर CMO ने सभी पार्षदों और अध्यक्ष को आमंत्रित किया था। कार्यक्रम के बाद जल संकट समेत अन्य मुद्दों पर चर्चा हुई और ठाकुर अपने कक्ष में लौट गए। इसी दौरान अध्यक्ष पति धनेश्वर केवट और उनकी पत्नी CMO से मिलने पहुँचे। बातचीत के दौरान धनेश्वर ने एक मोबाइल फोन CMO को पकड़ाया और कहा कि सामने वाले व्यक्ति से बात करें।

जैसे ही CMO ने फोन कान से लगाया, दूसरी तरफ से राजकुमार वर्मा ने गाली-गलौज शुरू कर दी –
“**”*, तू पीआईसी की बैठक क्यों नहीं बुला रहा है? दो दिन में तुझे हटवा दूँगा… तेरे बाप को भी पीआईसी बनाना पड़ेगा!”
फोन काटने के बाद जब CMO ने इसे पुलिस को सौंपने की बात कही, तो धनेश्वर केवट ने उन्हें धक्का देकर मोबाइल छीन लिया और अभद्र भाषा का प्रयोग किया।
राजकुमार वर्मा: घोटालों से घिरा चेहरा
राजकुमार वर्मा मल्हार क्षेत्र में घोटालों का पर्याय बन चुका है। वर्ष 2012-13 में ₹3 करोड़ के धान घोटाले में उसका नाम मुख्य आरोपी के रूप में सामने आया था। वह अभी तक पुलिस रिकॉर्ड में फरार है। हाल ही में उजागर हुए ₹3.5 करोड़ के नए घोटाले में भी ग्रामीणों को उसकी भूमिका पर संदेह है। वर्मा की प्रशासनिक गतिविधियों में बढ़ती दखलंदाजी चिंता का विषय बनी हुई है।
घटना के गवाह और प्रशासनिक प्रतिक्रिया
उप अभियंता केएन उपाध्याय, उपाध्यक्ष सुशील चौबे, पार्षद और ठेकेदारों ने घटना की पुष्टि की है। CMO ठाकुर का कहना है –
> “मैं अपने कर्तव्यों का पालन कर रहा था। लेकिन नियमविरुद्ध दबाव डाला गया, और मुझ पर निजी हमला किया गया। यह न केवल मेरी सुरक्षा पर सवाल है, बल्कि पूरे तंत्र को डराने का प्रयास है।”
अब सवाल प्रशासन और कानून-व्यवस्था पर
सरकारी अधिकारी को खुलेआम धमकी और हिंसा का शिकार होना गंभीर चिंता का विषय है। अब देखने वाली बात यह है कि पुलिस इस मामले में IPC की सुसंगत धाराओं के तहत कितनी तत्परता से कार्रवाई करती है और क्या लंबे समय से फरार चल रहा राजकुमार वर्मा कानून के शिकंजे में आएगा या फिर से सिस्टम को चुनौती देता रहेगा?
