
बिलासपुर।जब अपराधियों के सर में कानून के रखवाले के हाथ हो तो कैसे थमेगा अपराध?बिलासपुर की पुलिस लाख दावे करे की हम शहर से लेकर देहात तक बेहतर पुलिसिंग के साथ अपराध पर अंकुश लगाने और अपराधियों के मन में पुलिस का खौफ ये सब धरा का साबित हो रहा है।जब शहर के सबसे पुराने और शहर के हृदय स्थल में स्थित थाना का हाल बेहाल तो पूरे जिले की पुलिसिंग का अंदाजा आप सहज लगा सकते है की कैसा होगा।थाना में जब एक सिपाही की मोटी कमाई और अपने हिसाब से उसकी तैनाती हो तो फिर क्या कहना।ऐसा हम इसलिए कह रहे है क्योंकि जिस आरक्षक की तैनाती हुए चार साल होने जा रहा है।और इन वर्षों में दो बार इस आरक्षक का तबदला भी हुआ।लेकिन थाना प्रभारी और उच्च अधिकारियों से ऐसी सांठ गांठ की दोनो बार अपने तबादले हुए स्थान में ना जाकर उसी थाने में अपनी पैठ को जमाय हुए है।इस आरक्षक के आगे थाने में थाना प्रभारी भी इनके इसारे में आगे की आराधिक मामले में कार्रवाई करते हैं।बात यही खत्म नहीं होती।इन सब के पीछे का आखिर माजरा क्या है?जब हमने इस आरक्षक के बारे में पता किया तो पता चला की यह महाशय अपने थाने क्षेत्र में अवैध कारोबार करने वाले से मोटी रकम वसूल करते है और थाने में जो भी मामले आते है उस मामले को रफादफा करने से लेकर उस पर कार्रवाई को लेकर पहले इनसे हिसाब किताब और लेंन देन किया जाता है।थाने में अवैध रूप से जो भी वसूली की रकम आती है।उसे भी ऊपर से लेकर नीचे तक अपने हिसाब से उसका बंटवारा किया जाता है।आपको बता दे की थाना में कोई भी मामला आता है तो उस मामले को आरक्षक अमलीजामा पहनाने में अहम भूमिका रहती है।
तबादला आदेश के बाद भी थाना में पदस्थ
कुछ माह पहले इस आरक्षक का स्पेशल आदेश वह भी सिंगल नाम के साथ तबदला हुआ था।लेकिन उस पर अमल नहीं हुआ और वह उसी थाने में अपनी तैनाती को बरकरार रखा हुआ।सूत्र बताते है की महीने की कमाई छोटी मोटी नहीं बल्कि अच्छी खासी है।तकरीबन महीने की एक लाख से ऊपर हो जाती है।जब थाना ही कमाई का जरिया बन गया है तो आप समझ सकते है ऐसे में कानून व्यवस्था का क्या हाल होगा।जब कानून के रखवाले ही अपराधियों से मोलभाव कर अपने जेब गर्म करते रहेंगे तो अपराध की रोकथाम कैसे होगी।ऐसे बहुत सारे सवालिया निशान है जो खाकी को दागदार कर रहे है।सूत्र बताते है की
जुआ–इस थाना क्षेत्र में एक नही बल्कि कई इलाके में जुआ की महफिल सजती है।जो बकायदा थाना में महीना पहुंचा कर,बेखौफ जुआ का खेल खिला रहा है।और यह कोई छोटा मोटा नहीं बल्कि बड़ा जुआ का खेल खिलाया जा रहा है।
सट्टा–सट्टा की बात करे तो इससे जुड़े लोग अपना अपना इलाका तय कर अपने आदमियों को बैठाकर नंबर लिखने का काम जोरो से चलाया जा रहा है।इस थाना क्षेत्र में नामचीन खाईवाल बैठे हुए और इसकी पूरी जानकारी थाना के एक एक सिपाही को भी है।मजाल है की कोई सिपाई इनके गिरेबान में हाथ डाल सके उल्टा उस सिपाई की ही परेड हो जायेगी।
अवैध कबाड़–अब हम बात करते है अवैध कबाड़ की जो दिन दूनी रात चौगानी तरक्की कर रहे है।थाने से चंद कदमों की दूरी में कबाड़ के धंधे में लिप्त कबाड़ियों की भरमार है।जहा पर चोरी का कबाड़ का व्यापार सहज और सरल तरीके से फलफूल रहा है। यहां पर इन कबाड़ियों से कोई पूछ परख भी नही की जाती है।क्युकी इनका भी महीना बंधा हुआ और फिर अधिकारियों की बेगारी का बोझ भी इन्ही पर डाल दिया जाता है।तो फिर कबाड़ी को तो मौका मिलना चाइए।कई कबाड़ी तो थाना में पदस्थ सिपाही और उनसे ऊपर के अधिकारियों को कुछ भी नही समझते और सीधे उस आरक्षक का नाम लेकर सीना चौड़ा कर खड़े रहते है।वो सिपाही भी क्या करे जब उनके ही विभाग अवैध कबाड़ियों की पैठ जबरदस्त तरीके से जमाए बैठे है तो उनकी क्या मजाल की वो कुछ कर सके।यदि गलत कार्य में लिप्त कबाड़ी को थाना बुला लिया गया तो वह कबाड़ी थाना आकार अपने आप को सही साबित करके निकल जाता है।और उस आरक्षक से क्लीन चिट लेकर अपने अवैध कारोबार में लग जाता है।यही नहीं इस थाना क्षेत्र में सिल्वर कापर ब्रास ब्रॉन्ज जैसे मेटल के कबाड़ का व्यापार भी बहुत अच्छे से फलफूल रहा है।
अवैध शराब–नशा और अवैध शराब को लेकर उच्च अधिकारियों के लगातार अपने अपने थाना क्षेत्रों में कार्रवाई के लिए आदेशित किया जा रहा है।लेकिन उच्च अधिकारियों के दिशा निर्देश को भी एक तरफ रख कर इन महाशय की शह में बहुत जोरो पर चल रहा है।पूरे थाना क्षेत्र की बात करे तो पंद्रह जगहों पर अवैध शराब परोसी जा रही है।हर वो निचला इलाका है जहां पर अवैध रूप से शराब खुले आम पोरोसी जा रही है।और बहुत ही आसानी से आपको इन इलाकों में शराब मिल जायेगी।
मेडिकल नशा–नशे के खिलाफ बिलासपुर पुलिस ने मुहिम छेड़ रखी है।लेकिन नशे के खिलाफ चलाई जा रही मुहिम का असर इस थाने में नही दिखता है।इस धंधे में लिप्त कारोबारियों को वरदस्त मिला हुआ और नशे के कारोबार को व्यापक तौर पर जमाए हुए है।गौर करने वाली बात है की अभी तक इस थाने में मेडिकल नशे के खिलाफ अभी तक कोई बड़ी कार्रवाई नहीं हो पाई है।कार्रवाई भी हुई तो छुटपुट हुई है जो यह पर नशे के कारोबार को जमाने आए थे। लेकिन जो पहले से जमे जमाय बैठे हुए वो कैसे इन कारोबारियों को जमने का मौका देते।
संगीन मामलों के आरोपियों पर लाइजनर आरक्षक की दरियादिली–दरियादिली तो इतनी है की इनके सामने संगीन से संगीन मामले के आरोपी भी बेबस और लाचार नजर आते है।उनको पकड़ना तक मुनासिब नहीं समझते है।जब थाना का लाइजनर ही नही चाहता तो फिर कैसे कोई अपराधी को दूसरा सिपाही लायेगा।हम ऐसे कई मामले को जानते है जहा पर शिकायत मिलने से लेकर अपराध कायम होने तक जो सफर होता है।उसमे उस अपराध से जुड़े अपराधी तक पूरी खबर पहुंचा दी जाती है और फिर लेनदेन का खेल शुरू होता है।अभी हाल में ही थाना क्षेत्र का नामचीन कबाड़ी कतियापारा में एक नाबालिग लड़की के घर में घुस कर उसके साथ छेड़खानी,मारपीट,की घटना को अंजाम दिया।जिसके बाद नाबालिग पीड़िता थाना पहुंचकर अपनी आप बीती बताई और टालमटोल करते करते आखिर में उस नामचीन कबाड़ी और उसके भाई और बाप के खिलाफ भादवि की धारा 354,294,323,506,452,34,और 12 पास्को ऐक्ट के तहत मामला कायम किया गया।लेकिन अभी तक इस मामले में किसी भी आरोपी की गिरिफ्तारी नही हुई।महिला संबंधी गंभीर अपराध होने के बावजूद वह कबाड़ी पुराने बस स्टेंड स्थित अपने कबाड़ की दुकान में बैठ कर धंधा कर रहा है।और ऐसा भी नहीं की जिस थाना में मामले कायम हुआ उस थाना क्षेत्र में उस कबाड़ी की दुकान है।उसके बावजूद भी पुलिस उस आरोपी को पकड़ने में कोई दिलचस्पी नहीं दिखा रही है।सूत्र बताते है की इस आरक्षक से इस मामले में आरोपियों से गिरिफ्तरी नही करने के ऐवज में मोटी रकम की वसूली की गई है और हाईकोर्ट से अग्रिम जमानत तक की मोहलत भी दी गई है।यही नहीं अग्रिम जमानत के लिए हाईकोर्ट में डायरी भी थाना से पहुंचा दी गई है।
अब देखना होगा कि उच्च अधिकरियों द्वारा इस आरक्षक के खिलाफ कब और कितनी कड़ी कार्यवाही की जाती है ताकि खाकी के दामन पर दाग न लग सके ।
थाने में पदस्थ एक पुलिसकर्मी ने नाम न छापने की शर्त में बताया कि इस आरक्षक के आतंक के चलते कई सिपाहियों ने अपना तबादला दूसरे थानों में करवा लिया है और कुछ वर्दी वाले ने इस थाना से अपना तबादले के लिए पुलिस कप्तान को आवेदन भी दिया हुआ है । और इस आरक्षक की महीने की अवैध कमाई लाखो रु महीना है ।
