

डेस्क खबर बिलासपुर। शहर में शनिवार देर शाम हुए सनसनीखेज गोलीकांड का CCTV फूटेज सामने आने के बाद पुलिस की जांच ने रफ्तार पकड़ ली है। ताजा फूटेज में चार हमलावर दो बाइकों पर सवार होकर आते हुए नजर आ रहे हैं। जोंधरा चौक की तरफ से पहुंचे ये हमलावर कांग्रेस नेता एवं मस्तूरी जनपद उपाध्यक्ष नितेश सिंह ठाकुर के ऑफिस के बाहर फायरिंग करते हुए स्पष्ट रूप से दिखाई दे रहे हैं। सभी हमलावरों ने अपने चेहरे नकाब से ढक रखे थे, जिससे उनकी पहचान मुश्किल हो रही है। घटना के बाद इलाके में अफरा-तफरी मच गई थी। गोलीबारी में भाजपा नेता के ससुर और एक अन्य व्यक्ति गंभीर रूप से घायल हो गए, जिन्हें तत्काल अपोलो अस्पताल में भर्ती कराया गया। दोनों की हालत अभी भी नाजुक बताई जा रही है।
पुलिस ने अब तक कुछ संदेहियों को हिरासत में लेकर पूछताछ शुरू कर दी है। प्रारंभिक जांच में पुरानी रंजिश, राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता और जमीन विवाद जैसे कई एंगल सामने आए हैं। एसएसपी और एफएसएल की टीम सहित सायबर ,क्राइम ब्रांच सहित जिले के आला अधिकारी ने मौके पर पहुंचकर निरीक्षण किया और गोलीकांड के साक्ष्य भी एकत्र किए हैं, वहीं आसपास के सभी CCTV फुटेज खंगाले जा रहे हैं ताकि हमलावरों की पहचान सुनिश्चित की जा सके।
सूत्रों के अनुसार, गोलीकांड के पीछे संगठित साजिश की आशंका जताई जा रही है। पुलिस अब यह पता लगाने की कोशिश में है कि क्या वारदात किसी राजनीतिक प्रतिशोध या व्यावसायिक विवाद का नतीजा थी। शहर में बढ़ती आपराधिक घटनाओं से लोगों में दहशत का माहौल है। वहीं प्रशासन ने आश्वासन दिया है कि जल्द ही सभी आरोपियों को गिरफ्तार कर मामले का खुलासा किया जाएगा। फिलहाल पुलिस सभी संभावित एंगल पर गंभीरता से जांच कर रही है और शहर के संवेदनशील इलाकों में सुरक्षा बढ़ा दी गई है।
राज्योत्सव की रोशनी में मस्तूरी की गोलीबारी का साया: सुरक्षा पर उठे सवाल
छत्तीसगढ़ इस समय अपने गौरव के पर्व — राज्य स्थापना दिवस की तैयारियों में डूबा है। 1 नवम्बर को जब नया विधानसभा भवन उद्घाटन के लिए तैयार है, तब प्रदेश अपने इतिहास में स्वर्णिम अध्याय लिखने जा रहा है। लेकिन इसी उत्सव की रोशनी के बीच मस्तूरी गोलीकांड ने सुरक्षा व्यवस्था पर गहरे सवाल खड़े कर दिए हैं।
चार नकाबपोश हमलावर बिना नंबर की बाइक पर आए और खुलेआम ताबड़तोड़ फायरिंग कर फरार हो गए। दो निर्दोष लोग गोलियों से घायल होकर अस्पताल में जिंदगी से जूझ रहे हैं। घटना उस समय हुई जब प्रधानमंत्री के आगमन की तैयारियों के बीच सुरक्षा व्यवस्था चाक-चौबंद बताई जा रही थी। फिर भी अपराधी इतनी सहजता से वारदात को अंजाम देकर निकल गए — यह व्यवस्था की गंभीर विफलता को उजागर करता है। CCTV निगरानी, क्राइम ब्रांच की सक्रियता और साइबर टीम की मौजूदगी के बावजूद अपराधियों का बेखौफ घूमना कानून व्यवस्था की पोल खोलता है। मस्तूरी की यह वारदात केवल गोलीबारी नहीं, बल्कि सुरक्षा तंत्र के प्रति जनता के विश्वास पर गहरा आघात है। सरकार और पुलिस प्रशासन के लिए यह एक चेतावनी है । क्योंकि कोई भी उत्सव तभी सार्थक है, जब नागरिक खुद को सुरक्षित महसूस करें।