आज से नवरात्र की शुरुवात,कोविड नियमों के पालन के साथ करना होगा दर्शन


रतनपुर/आज से नवरात्र की शुरुआत हो चुकी है और माँ महामाया की नगरी रतनपुर में पहले ही दिन से भक्तों की भीड़ देखी जा रही है । बीते 2 वर्षों में लगातार कोरोना के बढ़ते मामलों के मद्देनजर भक्त महामाया के दर्शन बेहद ही कड़े नियमों के साथ कर रहे थे,लेकिन इस नवरात्र से
भक्तों की मनोकामना पूरी हो रही है । इसबार भक्त कुछ जरूरी कोरोना दिशानिर्देशों के तहत माँ का सीधा दर्शन कर पाएंगे । इस बार भक्तों के लिए प्रमुख रूप से वैक्सीनेशन का सर्टिफिकेट अनिवार्य किया गया है । सप्तमी पदयात्रा पर रोक लगाई गई है । रतनपुर में कुल 22 हजार 500 ज्योतिकलश जलेंगे और भक्त सुबह 7 बजे से रात्रि 10 तक माँ का दर्शन कर सकेंगे ।
जानिए रतनपुर क्यों है प्रसिद्ध
विश्व के 108 शक्तिपीठों में से एक रतनपुर का महामाया मंदिर भी है। माना जाता है कि माता सती का दाहिना स्कंध रतनपुर में गिरा था। यहां मां कौमार्य शक्तिपीठ के रूप में पूरी दुनिया में प्रसिद्ध हैं। यहां मां की महालक्ष्मी,महासरस्वती और महाकाली तीनों स्वरूपों में पूजा की जाती है । नवरात्र में विशेषकर शक्ति की उपासना होती है और इस दौरान तमाम ग्रहों को शांत किया जाता है ।
किवदंती में रतनपुर-
ऐसी किवदंती है कि तत्कालीन कल्चुरी शासक राजा रत्नदेव हजार साल पहले शिकार पर निकले और इस दौरान वे रतनपुर पहुंचे । शिकार के लिए जाते वक्त वे रास्ता भूल गए और रतनपुर में ही रात में आराम करने का मन बनाया । उन्होंने रतनपुर में एक वट वृक्ष के नीचे रात
गुजारी । इस बीच उन्हें आभास हुआ कि यह जगह कोई सिद्ध स्थान है और दैवीय शक्ति से भरपूर है । अगले दिन रतनपुर से निकल गए और फिर उन्हें दोबारा सपना आया । बताया जाता है कि राजा के सपने में मां महामाया ने मंदिर स्थापना और रतनपुर को ही राजधानी बनाने की बात कही थी । जिस पर राजा रत्नदेव ने तत्काल रतनपुर में एक भव्य मंदिर को स्थापित किया और रतनपुर को अपनी राजधानी बनाई । बताया जाता है कि हजार वर्ष पहले घटित इस घटना के बाद से रतनपुर महामाया मंदिर अस्तित्व में आया और इस मंदिर की ख्याति लगातार बढ़ती चली गई ।