डेस्क खबरबिलासपुर

पार्ट – 23: राशन घोटाला : कलेक्टर साहब ,एसएसपी साहब क्या लेगे स्वत संज्ञान ?? अन्नपूर्णा सहकारी भंडार से चल रहा नियम विरुद्ध अवैध खेल ??  घर से बंट रहा चूहों से कुतरा सरकारी चावल ! जनता की सेहत से खुलेआम खिलवाड़ ..??
पहले भी कैमरे में कैद हो चुका है ऋषि उपाध्याय का खास गोविन्द नायडू ..!!

डेस्क खबर बिलासपुर../ प्रदेश की न्यायधानी में बीजेपी की ट्रिपल इंजन की सरकार होने के बाद भी प्रधानमंत्री मोदी द्वारा गरीबों को पेट भरने के लिए दिए जाने वाले मुफ्त सरकारी चावल की पूरे जिले में जमकर अफरा तफरी और कालाबाजारी , तस्करी खुलेआम चल रही है । खाद्य विभाग की लापरवाही , अनदेखी और मिलीभगत के चलते अब हितग्राहियों की जीवन के साथ खिलवाड़ करने में भी यह दुकानदार बाज नहीं आ रहे है जिसके चलते हितग्राहियों को ग्भीर और जानलेवा बीमारी की आशंका बनी हुई है । ऐसी ही एक खबर तालापारा और मरिमाई क्षेत्र के हितग्राहियों के लिए चिंताजनक खबर सामने आई है। कब्रिस्तान रोड स्थित अन्नपूर्णा प्राथमिक सहकारी उपभोक्ता भंडार का संचालन लंबे समय से नियम विरुद्ध तरीके से किया जा रहा है। संचालक गोबिंद नायडू ने अपनी अधिकृत दुकान को बंद कर दिया है और खुलेआम अपने घर से ही राशन वितरण का अवैध कारोबार चला रहे हैं। वहीं बिना अनुमति के अपने घर में सरकारी राशन दुकान चलाने की जानकारी अभी तक खाद्य विभाग के अधिकारियों को भी नहीं है ।



शासन की गाइडलाइन के अनुसार उचित मूल्य की दुकान केवल निर्धारित स्थान से ही संचालित की जा सकती है। लेकिन गोबिंद नायडू ने इस नियम को पूरी तरह नजरअंदाज करते हुए अपने घर को गोदाम बना लिया है। सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि इस घरनुमा गोदाम में दर्जनों सरकारी चावल की बोरियां गंदगी और अस्वच्छ वातावरण में रखी हुई हैं। चूहों ने इन बोरियों को कुतरकर चावल खराब कर दिया है। चूहों के मल-मूत्र और गंदगी से संक्रमित यह चावल गरीब हितग्राहियों को वितरित किया जा रहा है, जिससे उनकी सेहत पर गंभीर खतरा मंडरा रहा है। एक्सपर्ट बताते है कि चूहों के माध्यम से इन्सानों में भी गंभीर और जानलेवा संक्रमण फैल सकता है जिसके गंभीर परिणाम भी हो सकते है ।



स्थानीय लोग सवाल उठा रहे हैं कि जब यह स्थिति सबके सामने है तो खाद्य विभाग चुप क्यों है? क्या विभाग की मिलीभगत से ही यह खेल चल रहा है? आखिर किसकी शह पर संचालक अपनी दुकान बंद रखकर घर से खुलेआम सरकारी अनाज का दुरुपयोग कर रहा है? यह सिर्फ नियमों का उल्लंघन नहीं बल्कि जनता के हक और स्वास्थ्य के साथ खुला विश्वासघात है। मामले ने प्रशासन की कार्यशैली पर भी गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। शासन का अनाज अगर चूहों और गंदगी में नष्ट हो रहा है, तो इसकी जवाबदेही तय करना जरूरी है। क्षेत्र के लोग अब मांग कर रहे हैं कि दोषियों पर कठोर कार्रवाई हो और सुनिश्चित किया जाए कि गरीबों तक स्वच्छ और सुरक्षित राशन पहुंचे। प्रशासन कब तक आंख मूंदे रहेगा, यह देखने वाली बात होगी।



खाद्य विभाग का संरक्षण ? क्या कलेक्टर ,एसएसपी ने लेगे स्वत संज्ञान .??

गौरतलब है कि 12 अप्रैल को गोविंद नायडू का और चावल विक्रेता संघ के प्रदेश सचिव ऋषि उपाध्याय का 6 जून को डंकाराम न्यूज पोर्टल में राशन के बदले नगद पैसा देते हुए वीडियो के साथ खबर को प्रमुखता से प्रसारित किया गया था । जिसके बाद खाद्य विभाग की टीम ने बिलासपुर के तत्कालीन कलेक्टर अवनीश शरण के निर्देश के बाद जांच में इस कृत्य को दंडनीय अपराध मानते हुए ऋषि उपाध्याय उसकी पत्नी सत्यशीला उपाध्याय और सचिव पुष्पा दीक्षित के खिलाफ आवश्यक वास्तु अधिनियम की धारा 3/ 7 के तहत मामला दर्ज करने की अनुशंसा अपने जांच प्रतिवेदन में भी की थी । वहीं लगातार खुलासे से भयभीत होकर ऋषि उपाध्याय की अगवाई में गोविन्द नायडू ने खबर लगने के बाद पत्रकार के खिलाफ सिविल लाइन में fir भी दर्ज कर ली fir में साफ उल्लेख है कि गोविंद नायडू ने 30 हजार रु नगद देने की बात कबूली है । बिलासपुर पुलिस ने हालही में एक नौकरी के बदले पैसा देने के मामले में दोनों पक्षों के खिलाफ मामला दर्ज कर एक मिसाल पेश की थी और अब गोविन्द नायडू खुद अपने बयान में पुलिस के सामने कबूल रहा है कि उसने वीडियो बनने के बाद 7 जून को पैसा दिया है तो पुलिस ने स्वत उसके खिलाफ अब तक मामला दर्ज क्यों नहीं किया .?? विभागीय सूत्रों की माने तो खाद्य विभाग द्वारा अपनी दुकान को निलंबित करने के खिलाफ दायर की गई याचिका में भी खाद्य विभाग ने ऋषि उपाध्याय के खिलाफ की गई जांच रिपोर्ट कोर्ट के समक्ष पेश नहीं कर कोर्ट को भी गुमराह करने का काम किया है .??  अब देखना होगा कि जिले के कलेक्टर और एसएसपी इस खबर को कितनी गंभीरता से लेते है और इस गंभीर मामले में असल दोषियों के खिलाफ कब  मामला दर्ज करवाते है ..??  सूत्रों की माने तो गोविन्द नायडू,और ऋषि उपाध्याय बीजेपी कार्यकर्ता है जिसके चलते राजनैतिक संरक्षण भी मिला हुआ है ।

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