

डेस्क खबर बिलासपुर../ जिले में गरीबों को मिलने वाले सरकारी राशन पर गबन का बड़ा मामला सामने आया है। जय महालक्ष्मी महिला सहायता समूह की दुकान से चावल, शक्कर और नमक की हेराफेरी का वीडियो वायरल होने के बाद खाद्य विभाग ने जांच कर आरोप सही पाए हैं। जांच रिपोर्ट में इसे आवश्यक वस्तु अधिनियम की धारा 3/7 के तहत दंडनीय अपराध माना गया है, लेकिन अब तक आरोपियों के खिलाफ FIR दर्ज नहीं हो पाई है। खाद्य विभाग की जांच में सामने आया कि बिलासपुर विक्रेता संघ के अध्यक्ष ऋषि उपाध्याय, उनकी पत्नी और समूह की अध्यक्ष सत्यशीला उपाध्याय तथा सचिव पुष्पा दीक्षित गरीब हितग्राहियों के हक का राशन बेचकर भारी गबन कर रहे थे। इस दुकान पर राशन के बदले नगद पैसा लेने का वीडियो वायरल हुआ था। विभागीय रिपोर्ट के आधार पर दुकान निलंबित कर दी गई है, मगर जिम्मेदारों पर अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई। गौरतलब है कि सरकारी राशन की कालाबाजारी के कई पुख्ता एपिसोड लगने के बाद चावल तस्करो में हड़कंप मचा हुआ है और पत्रकारों से सेटिंग में भ्रष्टाचारी का अपने अपने स्तर पर प्रयास जारी है ।
वायरल वीडियो से खुलासा हुआ कि महिला समिति की दुकान में नियमों की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। नियमानुसार ऐसी दुकानों का संचालन केवल महिलाएं कर सकती हैं, लेकिन दुकान पर अध्यक्ष ऋषि उपाध्याय स्वयं कई बार बैठे नजर आए। इतना ही नहीं, एक अन्य वीडियो में उनका पुत्र अभय उपाध्याय भी ग्राहकों को राशन बांटते दिखा। विभागीय सूत्रों के अनुसार, महिला समिति की दुकान में पुरुष हमाल रखे जा सकते हैं, लेकिन उन्हें वितरण का कार्य करने की अनुमति नहीं है। इस तरह पुरुषों द्वारा सीधे राशन वितरण करना भी अपराध की श्रेणी में आता है। जिसके खिलाफ भी मामला दर्ज करने की बात सामने आ रही है ।
तुलनात्मक रूप से पड़ोसी जांजगीर-चांपा जिले और बिलासपुर के तखतपुर और प्रदेश में कई जगहों पर सरकारी राशन में हेराफेरी करने के ऐसे ही मामलों में सख्त कार्रवाई की गई। वहां गबन के आरोपियों पर धारा 420, 409, 34 आईपीसी और आवश्यक वस्तु अधिनियम की धारा 3/7 के तहत केस दर्ज कर उन्हें जेल भेजा गया। जबकि बिलासपुर में 7 जून को जांच पूरी हुई, 16 जून को नोटिस जारी हुआ और दुकान को निलंबित भी कर दिया गया, लेकिन आरोपी आज़ाद घूम रहे हैं।


यह मामला बिलासपुर जिले में सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) की पारदर्शिता पर गंभीर सवाल खड़े करता है। गरीबों का हक मारने वाले आरोपियों के खिलाफ FIR दर्ज करने के लिए अब कलेक्टर के अनुमोदन का इंतजार है। सवाल यही है कि क्या बिलासपुर प्रशासन भी अन्य जिलों की तरह सख्ती दिखाएगा या फिर विभागीय संरक्षण और राजनीतिक दबाव के चलते मामला ठंडे बस्ते में चला जाएगा ? और गरीबों को दिए जाने सरकारी राशन की कालाबाजारी का खेल यू ही जिले में खुलेआम चलता रहेगा अब देखना यह है कि प्रशासन इस घोटाले पर कब कार्रवाई करता है या फिर यह मामला भी “सिस्टम” की फाइलों में कहीं दबकर रह जाएगा। शासन की साख और गरीबों का हक – दोनों दांव पर हैं।
