
डेस्क खबर बिलासपुर../ जिले की बिल्हा थाना पुलिस ने एक बड़ी चोरी के मामले का खुलासा करते हुए चार आरोपियों को गिरफ्तार किया है, जिनमें एक ज्वेलर्स दुकान की महिला संचालिका, उसकी बहन और एक पति-पत्नी शामिल हैं। पुलिस ने आरोपियों के पास से लाखों रुपये की नगदी, लगभग 23 तोला सोना, 1.6 किलो चांदी और घटना में प्रयुक्त दो कारें भी बरामद की हैं। कुल मिलाकर 26 लाख 83 हजार रुपये से अधिक की संपत्ति जब्त की गई है। लेकिन इतने बड़े खुलासे के बाद भी पुलिस की कार्यवाही पर सवाल खड़े हो रहे है।

प्राप्त जानकारी के अनुसार, बिल्हा निवासी शिवशंकर ज्वेलर्स के संचालक मनोहर जायसवाल ने शिकायत दर्ज कराई थी कि संजना साहू और अन्य महिलाएं पिछले दो-तीन वर्षों से उनकी दुकान से आभूषण खरीदने के बहाने आकर चोरी कर रही थीं। शक होने पर सीसीटीवी फुटेज की जांच में चोरी की पुष्टि हुई। सूचना के आधार पर पुलिस ने आरोपियों को घेराबंदी कर गिरफ्तार किया।

मुख्य आरोपी संजना साहू, जो खुद एक ज्वेलर्स दुकान की संचालिका है, ने पूछताछ में स्वीकार किया कि वह अपनी ममेरी बहन सीमा साहू और अन्य सहयोगियों के साथ मिलकर लगातार चोरी की घटनाओं को अंजाम दे रही थी। चोरी किए गए आभूषणों को संजना का पति बाजार में बेचता था। चारों आरोपियों को न्यायिक रिमांड पर भेज दिया गया है। पुलिस यह भी जांच कर रही है कि क्या इन आरोपियों ने अन्य दुकानों में भी चोरी की है?

चोरी का माल लेने वाले ज्वेलर को अभयदान?
हालांकि पुलिस ने इस मामले में सफलता का दावा किया है, लेकिन चोरी का माल खरीदने वाले गहना दुकानदारों पर अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई है। सूत्रों की मानें तो चोरी के आभूषण गीता ज्वेलर्स, चिंगराजपारा में खपाए जा रहे थे। आरोपियों से पूछताछ और उनकी निशानदेही पर जब पुलिस वहां पहुंची, तो भारी ड्रामा हुआ। पुलिस को घंटों मशक्कत करनी पड़ी और अंततः लगभग 6-7 लाख रुपये के आभूषण जब्त किए गए।

जानकारी के अनुसार गीता ज्वेलर्स संचालक राजू सोनी को चोरी के माल के बदले एक बड़ी राशि का भुगतान भी करना था। इसके बावजूद दुकान मालिक के खिलाफ कोई गिरफ्तारी नहीं हुई। आरोप है कि ऊपरी स्तर पर किसी अधिकारी से “बात” होने के कारण उसे अभयदान मिल गया।
कार्रवाई अधूरी, कई सवाल कायम
यह भी सवाल उठता है कि जब मुख्य आरोपी खुद एक ज्वेलर्स दुकान की संचालिका थी, तो पुलिस ने उसकी दुकान को सील क्यों नहीं किया? न ही वहां कोई जांच की गई और न ही उस दुकान से कोई बरामदगी की गई। पुलिस की यह लापरवाही और जल्दबाज़ी उसकी कार्रवाई की गंभीरता पर सवाल खड़े करती है।
अब देखना यह होगा कि एसएसपी रजनेश सिंह, जिन्होंने इस खुलासे के लिए पुलिस टीम की सराहना की थी, क्या इस अधूरी कार्रवाई और चूक के लिए जिम्मेदार अधिकारियों से जवाब तलब करेंगे? या फिर मामला यूं ही दबा दिया जाएगा। । सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार बड़े खुलासे को लीड करने वाली बिल्हा पुलिस और एंटी सायबर यूनिट की तरफ से आये अधिकारियों की भूमिका संदिग्ध है.?

