
Bilaspur news:– बिल्डर के द्वारा किसान की जमीन में खड़े फसल और शासकीय जमीन में रातों-रात कई ट्रक मिट्टी पटवा सड़क बनवा ली। सरकारी जमीन के पीछे स्थित पट्टे से मिली जमीन पर बिल्डर कॉलोनी बनाना चाहता था। किसान की शिकायत मिलने पर कलेक्टर अवनीश शरण ने जब जांच करवाई तब पता चला कि सरकारी जमीन पर जो रास्ता बनाया गया है उसके अलावा जिस जमीन पर कॉलोनी बनाई जानी थी वह जमीन फर्जी तरीके से पट्टे के माध्यम से प्राप्त थी। शासकीय जमीन पर कूट रचना कर उसे पट्टे की जमीन बता विक्रय की अनुमति छलपूर्वक पहले एक बिल्डर ने प्राप्त की। फिर खरीद कर उसे दूसरे बिल्डर को बेच दिया। दूसरा बिल्डर भी उससे लगी शासकीय भूमि पर सड़क बना कॉलोनी बनवाने की तैयारी में था। पर प्रशासन ने इससे पहले ही जांच कर पट्टा निरस्त कर दिया। बिलासपुर जिला प्रशासन की कार्यवाही से भू माफियाओं में हड़कंप मच गया है। प्रशासन की इस कार्यवाही से आम जनता की गाढ़ी कमाई भी बच गई है।

बिलासपुर। बिलासपुर जिला प्रशासन ने सरकारी जमीन और किसान की फसल पर रातों–रात मिट्टी पाट कर सड़क बनाने वाले बिल्डर पर बड़ी कार्यवाही की है। बिल्डर के द्वारा काबिज जमीन के पट्टे को जांच के बाद अवैध पाते हुए निरस्त कर दिया गया है। इस संबंध में किसान ने कलेक्टर अवनीश शरण से मिलकर जनदर्शन में शिकायत की थी। शिकायत पर कार्यवाही करते हुए प्रशासन ने यह बड़ी कार्रवाई की है। जिससे अवैध काम करने वाले बिल्डरों और भू माफियाओं में हड़कंप मच गया है। वहीं यदि उस जगह में कॉलोनी डेवलप हो जाती तो आम जनता उसमें अपनी गाढ़ी कमाई लगाकर जमीन या मकान खरीदती और बाद में अपने जीवन भर की पूंजी गंवा बैठती। पर कॉलोनी डेवलप होने से पहले ही प्रशासन की कार्यवाही से लोग ठगे जाने और अपनी कमाई लुटाने से पहले ही बच गए हैं।
कोनी में पटवारी के खसरा नंबर 46 में किसान की फसल लगी कृषि भूमि पर मिट्टी पाटकर रास्ता बना दिया गया। किसान का आरोप था कि कृषि भूमि के बीच रास्ता कृषि प्रयोजन के लिए दी जानी थी। पर आरोप है कि बिल्डर को फायदा पहुंचाने के लिए तहसीलदार ने बिल्डर के पक्ष पर आदेश जारी कर दिया। जिस वक्त आदेश जारी हुआ उस वक्त खेत में फसल खड़ी थी। फसल में और आजूबाजू की सरकारी जमीन पर कब्जा कर बिल्डर ने रातों रात लगभग 100 ट्रक मिट्टी पटवा सड़क बना दी। किसान ने इसकी शिकायत कलेक्टर अवनीश शरण से की थी। कलेक्टर ने मामले में जांच के आदेश दिए थे। जिस पर एसडीएम बिलासपुर मनीष साहू ने जांच की और बिल्डर को मिले जमीन के पट्टे को अवैधानिक पाते हुए निरस्त कर दिया।
कोनी के पटवारी हल्का नंबर 46 के खसरा नंबर 1307/1 व खसरा नंबर 1308 के कुल रकबा 0.234 हेक्टेयर की जमीन राजस्व रिकॉर्ड के अनुसार गेंदराम साहू पिता स्व. दुर्जन साहू व चिरौंजी बाई पति दुर्जन साहू के नाम दर्ज है। किसान की जमीन के पास ही अज्ञेय नगर निवासी सुभाष चंद्र मिश्रा पिता आरएस मिश्रा का खसरा नंबर 1309/3 और 1305/1 की जमीन है। सुभाष चंद्र मिश्रा जय गुरुदेव इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड नामक फर्म का संचालन करते हैं। सुभाष चंद्र मिश्रा ने अपनी जमीन पर रास्ता दिए जाने हेतु तहसीलदार के न्यायालय में प्रकरण लगाया था। तहसीलदार के आदेश अनुसार पटवारी किसान गेंदराम साहू ने अपनी जमीन के अतिरिक्त खसरा नंबर 1309/1 की 0.40 एकड़ सरकारी जमीन पर काबिज है। रिकॉर्ड के अनुसार यह रास्ते की जमीन है, तहसीलदार ने किसान को खुद से रास्ते की जमीन खाली करवाने के निर्देश दिए थे। ऐसा नहीं करने पर बलपूर्वक जमीन खाली करवाने की बात कही थी। पर बिल्डर ने बिना किसान को सूचना दिए रातों रात खड़ी फसल पर मिट्टी पटवा दी। इसके अलावा सरकारी जमीन पर भी मिट्टी पटवा दी। किसान ने जब शिकायत की तब एसडीएम से जांच करवाया गया और मामले का खुलासा हुआ।
यह आया जांच रिपोर्ट में…।
एसडीएम मनीष साहू की जांच रिपोर्ट में जानकारी मिली कि सेंदरी पटवारी हल्का नंबर 46 स्थित भूमि खसरा नंबर 1309 रकबा 7.57 एकड़ भूमि मिसल बंदोबस्त के अनुसार घास मद में दर्ज है। अधिकार अभिलेख उक्त खसरा के दो बटांकन खसरा नंबर 1309/1 रकबा 4.27 एकड़ रघुवीर सिंह आदि के नाम दर्ज थी। निस्तार पत्रक में खसरा नंबर 1309/1 रकबा 4.27 एकड़ भूमि चराई मद में दर्ज है। अनावेदक ईश्वर पिता कुंजराम ने अपने बयान में बताया है कि शासन से उसे कोई पट्टा प्राप्त नहीं हुआ है। उक्त भूमि पर उनका कब्जा था,जिसे उसने राजेश अग्रवाल पिता बजरंग अग्रवाल को पांच लाख रुपए में विक्रय किया था।

राजेश अग्रवाल और सुभाष चंद्र मिश्रा ने अपने संयुक्त जवाब में बताया है कि 1309/3 रकबा एक एकड़ भूमि को कलेक्टर बिलासपुर से 4 फरवरी 2009 को विक्रय के लिए आदेश प्राप्त कर ईश्वर पिता कुंजराम से खरीदा है। खास बात यह है कि प्रकरण में प्रस्तुत बैनामा दिनांक 23/4/2009 में खसरा नंबर ,1309/9 रकबा एक एकड़ भूमि को राजेश अग्रवाल पिता बजरंग अग्रवाल ने कुंजराम से क्रय किया है। जबकि खसरा नंबर 1309/9 राजस्व अभिलेखों में दर्ज ही नहीं रहा।
न्यायालय कलेक्टर बिलासपुर के 4 फरवरी 2009 के आदेश का अवलोकन किया गया। राजस्व प्रकरण में ईश्वर पिता कुंज राम के नाम जारी पट्टा संलग्न नहीं है न ही निस्तार पत्रक से खसरा नंबर 1309/ 1 रकबा 4.27 एकड़ भूमि चराई मद में दर्ज है।
खसरा पंचशाला वर्ष 1994–95 में खसरा नंबर 1309/1 रकबा
4.27 एकड़ भूमि मध्यप्रदेश शासन के नाम पर दर्ज रही है, जिसे कूटरचना कर 2. 27 एकड़ बनाया गया है तथा ख.नं. 1309/3 रकबा 1.00 एकड़ भूमि ईश्वर पिता कुंजराम के नाम पर अविधिक रूप से इन्द्राज किया जाना प्रतीत होता है।
प्रकरण में संलग्न दस्तावेजो से यह प्रमाणित होता है कि मौजा सेंदरी प.ह.नं. 46 तहसील बिलासपुर स्थित भूमि ख. नं. 1309/9 रकबा 1.00 एकड़ भूमि ईश्वर पिता कुंजराम द्वारा राजेश पिता बजरंग अग्रवाल को विक्रय किया गया है, जबकि ईश्वर पिता कुंजराम के नाम पर ख.नं. 1309/3 रकबा 1.00 एकड़ भूमि अवैध रूप से दर्ज था। अतिरिक्त कलेक्टर बिलासपुर के रा.प्र.क्र. 56/अ-74/2008-09 में ईश्वर पिता कुंजराम के नाम पर जारी पट्टा संलग्न नही है। निस्तार पत्रक में ईश्वर पिता कुंजराम को पट्टा प्रदाय करने संबंधि आदेश इन्द्राज नही है और न ही ख.नं. 1309/1 से कोई रकबा पृथक किया गया है। अतः अतिरिक्त कलेक्टर बिलासपुर के रा.प्र.क्र. 56/अ-74/2008-09 आदेश दिनांक 04.02.2009 में जारी अनुमति पत्र स्वमेव निरस्त है।

शासन के खाते में जमीन किया गया सम्मिलित, बिल्डर को बड़ा झटका:–
ख.नं. 1309/3 रकबा 1.00 एकड को विलोपित करते हुये, ख.नं. 1309/1 रकबा 4. 27 एकड़ भूमि छ०ग० शासन के नाम पर दर्ज किये जाने का आदेश प्रकरण की जांच के बाद एसडीएम मनीष साहू ने कलेक्टर अवनीश शरण के निर्देशानुसार किए हैं। प्रशासन के इस आदेश से भू माफियाओं और दूसरों की जमीनों पर बलपूर्वक कब्जा करने वाले बिल्डरों में हड़कंप मच गया है।
जनता की गाड़ी कमाई लूटने से बची:–
उक्त भूमि पर एक एकड़ जमीन पर कूटरचित तरीके से पट्टा और विक्रय की अनुमति प्राप्त कर बिल्डर 4.27 एकड़ जमीन में काबिज हो गया था। इस जमीन से लगी सरकारी जमीन और किस की जमीन को पाट कर रास्ता बनवाने के बाद उक्त भूमि में कॉलोनी का प्रोजेक्ट बिल्डर बनवा कर लोगों को बेचता। आम जनता बिल्डर के झांसे में आकर कॉलोनी में भूमि या मकान खरीद लेती। बाद में यदि कोई जांच के बाद प्रशासन कोई कार्यवाही करता तो लोगों के जीवन भर की जमा पूंजी डूब जाती। पर प्रशासन ने पहले ही कार्रवाई कर दी। जिसके चलते ना अब उक्त जमीन की रजिस्ट्री होगी और ना ही लोग वहां जमीन लेकर ठगे जाएंगे।
