
डेस्क खबर बिलासपुर…/ जिले के सरकंडा क्षेत्र में जमीन फर्जीवाड़े के एक चर्चित मामले में राजस्व निरीक्षक कमल किशोर कौशिक और पटवारी चंद्रराम बंजारे की अग्रिम जमानत याचिका विशेष न्यायाधीश सुनील कुमार जायसवाल की अदालत में खारिज कर दी गई। दोनों शासकीय सेवक कई दिनों से फरार हैं, जिसकी तलाश मे पुलिस जुटी हुई है और अब पुलिस की अगली कार्रवाई पर सबकी नजरें टिकी हैं। गौरतलब है की इस चर्चित मामले मे पुलिस ने कांग्रेसी नेता को 8 साल पुराने मामले मे गिरफ्तार किया था
क्या है पूरा मामला?
सरकंडा क्षेत्र में एक बड़े भूमि घोटाले का मामला सामने आया था, जिसमें सरकारी रिकॉर्ड में हेरफेर कर भूमि का स्वामित्व बदलने का आरोप लगा। इस फर्जीवाड़े में कुछ शासकीय अधिकारियों की भूमिका संदिग्ध पाई गई थी। इस मामले में कई आरोपियों की संलिप्तता पाई गई, जिनमें राजस्व विभाग के दो अधिकारी—RI कमल किशोर कौशिक और पटवारी चंद्रराम बंजारे—मुख्य आरोपी बताए जा रहे हैं।

अदालत ने क्यों खारिज की जमानत?
विशेष न्यायाधीश ने अपने फैसले में कहा कि पटवारी का दायित्व भूमि का प्रथम संरक्षण करना होता है। शासकीय भूमि हो या निजी, उसके कब्जे, हेराफेरी और अतिक्रमण की जानकारी अपने उच्च अधिकारियों को देना पटवारी की जिम्मेदारी है। लेकिन आरोपी पटवारी चंद्रराम बंजारे ने न सिर्फ इस मामले की अनदेखी की बल्कि जानबूझकर 22 बिंदुओं का एक प्रतिवेदन तैयार कर फर्जी रिपोर्ट दी। साथ ही, जांच में भी कोई सहयोग नहीं किया।
कोर्ट ने स्पष्ट किया कि आरोपी शासकीय सेवकों की भूमिका गंभीर है और जमानत देने से जांच प्रभावित हो सकती है। इसी आधार पर दोनों आरोपियों की अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी गई।

पुलिस की अगली कार्रवाई क्या होगी?
अब जब कोर्ट ने आरोपियों की अग्रिम जमानत को खारिज कर दिया है, पुलिस की जिम्मेदारी बनती है कि जल्द से जल्द दोनों फरार आरोपियों को गिरफ्तार करे। पुलिस अब कमल किशोर कौशिक और चंद्रराम बंजारे की गिरफ्तारी के लिए छापेमारी तेज कर सकती है। सूत्रों के अनुसार, पुलिस ने दोनों आरोपियों की लोकेशन ट्रैक करने की कोशिशें तेज कर दी हैं। इसके अलावा, अगर आरोपी जल्द सरेंडर नहीं करते, तो उनके खिलाफ कुर्की की कार्रवाई भी हो सकती है।
कोर्ट की टिपणी के बाद सरकार और प्रशासन पर बढ़ा दबाव
चूंकि यह मामला भ्रष्टाचार और शासकीय पद के दुरुपयोग से जुड़ा हुआ है, इसलिए प्रशासन और सरकार पर भी दबाव बढ़ गया है। जमीन घोटालों पर रोक लगाने और दोषियों को सजा दिलाने के लिए कड़ी कार्रवाई की मांग उठ रही है।
इस पूरे प्रकरण में पुलिस की अगली कार्रवाई और दोनों आरोपियों की गिरफ्तारी पर सभी की नजरें टिकी हुई हैं कि सरकंडा पुलिस कब तक फरार आरोपी को अपनी गिरफ्त मे ले पाती है।
गौरतलब है की इस मामले मे कांग्रेस सचिव सुधांशु मिश्रा को सिम्स में डाक्टरी मुलाहिजा के बाद एडीजे फर्स्ट भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के स्पेशल जज सुनील जायसवाल की अदालत में पेश किया गया था , सुधांशु मिश्रा के वकीलों के तर्क सुनने के पश्चात अदालत में उपस्थित थाना प्रभारी और सरकंडा सीएसपी को न्यायाधीश ने जमकर फटकार लगाई थी और पूछा था कि 8 साल बाद अचानक कौन सा ऐसा तथ्य मिल गया जिसमें गिरफ्तारी की जगह पड़ी। जब मामले में खारिजी पुलिस के द्वारा ही प्रस्तुत हो चुकी है तो फिर आठ साल बाद अचानक गिरफ्तारी क्यों की गई, किसी को अचानक थाने बुलवा कर क्यों गिरफ्तार किया गया। जिस पर पुलिस अधिकारी बगले झांकने लगे थे। जमीन फजीॅवाडे के मामले मे राजस्व अधिकारियों की गिरफ्तारी पुलिस करने में फिलहाल सफल नहीं हो पाई है।







