
बिलासपुर डेस्क खबर./ मल्हार अंचल की सांस्कृतिक धरोहर और छत्तीसगढ़ के लोक कलाकारों के लिए समर्पित मल्हार महोत्सव, 6 वर्षों के अंतराल के बाद नए जोश और बढ़े हुए बजट के साथ पुनः शुरू हो रहा है। केंद्रीय मंत्री तोखन साहू की अनुशंसा पर इस महोत्सव को पुनर्जीवित करने का निर्णय लिया गया। साथ ही, इसके बजट को 5 लाख से बढ़ाकर 20 लाख रुपए करने की घोषणा की गई। यह ऐतिहासिक कदम मल्हार अंचल के निवासियों के बीच खुशी और गर्व का कारण बना है।
मल्हार महोत्सव का ऐतिहासिक महत्व
मल्हार महोत्सव का सांस्कृतिक महत्व छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश की समृद्ध लोक परंपराओं से जुड़ा हुआ है। यह महोत्सव स्थानीय कलाकारों को अपनी कला प्रदर्शित करने और उन्हें राष्ट्रीय तथा अंतरराष्ट्रीय पहचान दिलाने का एक बड़ा मंच प्रदान करता है। पंडवानी, करमा, पंथी, ददरिया और सुआ नृत्य जैसे लोक नृत्य और गीत इस महोत्सव के प्रमुख आकर्षण रहे हैं।
पद्मश्री तीजन बाई, शिवकुमार तिवारी, गोरेलाल बर्मन, लक्ष्मण मस्तूरिहा, सूरजबाई खांडे, नीलकमल वैष्णव, दिलीप सड़ंगी, और दिलीप लहरिया जैसे प्रसिद्ध कलाकार इस महोत्सव के मंच से उभरे हैं और उन्होंने अपनी कला को विश्व स्तर पर पहचान दिलाई है।
क्षेत्रीय उत्साह और सहयोग
मल्हार महोत्सव के पुनः प्रारंभ होने और इसके बजट में वृद्धि की घोषणा के बाद मल्हार अंचल में खुशी का माहौल है। हेमंत तिवारी (सोनू) के नेतृत्व में भाजपा कार्यकर्ताओं और स्थानीय सम्मानित व्यक्तियों ने केंद्रीय मंत्री श्री तोखन साहू को फूल-मालाओं से सम्मानित किया और उनका आभार व्यक्त किया। इस अवसर पर रामनारायण भारतद्वाज, रामदुलार कौशले, कृष्णकुमार साहू, बहोरन केवट, रवि केवट, रामायण पाण्डेय, प्रेमलाल जायसवाल, सुनील तिवारी, चेतन तिवारी, और प्रेमप्रकाश तिवारी जैसे कई गणमान्य व्यक्तियों ने उपस्थिति दर्ज कराई और महोत्सव के पुनः प्रारंभ पर अपनी खुशी जाहिर की।
यह महोत्सव केवल एक सांस्कृतिक आयोजन नहीं है, बल्कि यह क्षेत्र की सामाजिक और आर्थिक उन्नति का भी एक प्रमुख माध्यम है। इस आयोजन के जरिए स्थानीय व्यापार, हस्तशिल्प, और पर्यटन को प्रोत्साहन मिलेगा, जिससे क्षेत्रीय विकास को नई दिशा मिलेगी।

महोत्सव की पुनः स्थापना के लिए प्रयास
केंद्रीय मंत्री तोखन साहू ने मल्हार महोत्सव को पुनः प्रारंभ करने के लिए विशेष प्रयास किए। उन्होंने केंद्र और राज्य सरकार के बीच समन्वय स्थापित कर महोत्सव की पुनःस्थापना के लिए कदम उठाए। उनकी अनुशंसा पर मुख्यमंत्री ने बजट में वृद्धि के साथ महोत्सव के पुनः प्रारंभ की घोषणा की।
मल्हार महोत्सव समिति के अध्यक्ष हेमंत तिवारी (सोनू) ने इस मौके पर कहा, “यह महोत्सव हमारी सांस्कृतिक पहचान का प्रतीक है। इसके पुनः शुरू होने से हमारे कलाकारों को एक बड़ा मंच मिलेगा और साथ ही हमारी सांस्कृतिक धरोहर को सशक्त किया जाएगा।”
मुख्यमंत्री की घोषणा और क्षेत्रीय खुशी
महोत्सव के पुनः प्रारंभ और बजट में वृद्धि की घोषणा मुख्यमंत्री ने सार्वजनिक मंच से की। उन्होंने कहा, “मल्हार महोत्सव हमारी संस्कृति का दर्पण है और यह कलाकारों को प्रोत्साहित करने के साथ-साथ छत्तीसगढ़ को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने का एक प्रमुख माध्यम है। बजट को बढ़ाकर 20 लाख करना हमारी सरकार की प्राथमिकता है।” इस घोषणा के बाद मल्हार अंचल में खुशी की लहर दौड़ गई है, और यह निर्णय छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक धरोहर को पुनर्जीवित करने और राज्य के विकास में नई ऊर्जा भरने का प्रतीक बन गया है।
भविष्य की योजनाएं और संभावनाएं
मल्हार महोत्सव के भविष्य के लिए कई योजनाएं बनाई गई हैं। महोत्सव को राष्ट्रीय स्तर पर ले जाने और इसे एक प्रमुख सांस्कृतिक आयोजन के रूप में स्थापित करने की योजना पर काम किया जा रहा है। इसके तहत:
1. छत्तीसगढ़ के बाहर के कलाकारों को आमंत्रित करना: इससे राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सांस्कृतिक आदान-प्रदान बढ़ेगा, और महोत्सव की विविधता को नए आयाम मिलेंगे।
2. पर्यटन को बढ़ावा देना: मल्हार अंचल के ऐतिहासिक स्थलों को महोत्सव के साथ जोड़कर पर्यटन को बढ़ावा दिया जाएगा, जिससे स्थानीय अर्थव्यवस्था को लाभ होगा।
3. स्थानीय शिल्प और व्यंजनों का प्रदर्शन: महोत्सव के दौरान स्थानीय हस्तशिल्प और व्यंजनों को प्रदर्शित करने के लिए विशेष स्टॉल लगाए जाएंगे, जो स्थानीय संस्कृति को बढ़ावा देंगे।
4. युवा प्रतिभाओं को मंच प्रदान करना: नवोदित कलाकारों को प्रोत्साहित करने के लिए विशेष कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे, जिससे नई पीढ़ी को अपनी कला दिखाने का मौका मिलेगा।
मल्हार महोत्सव का सांस्कृतिक योगदान
मल्हार महोत्सव छत्तीसगढ़ की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर को संरक्षित और प्रचारित करने में दशकों तक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता रहा है। यह महोत्सव न केवल राज्य के लोक कलाकारों को पहचान दिलाता है, बल्कि नई पीढ़ी को अपनी संस्कृति के करीब लाने का प्रयास भी करता है। पंडवानी, करमा नृत्य, पंथी गीत, और सुआ नृत्य जैसी परंपराओं को महोत्सव के मंच ने न केवल संरक्षित किया है, बल्कि इन्हें राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी पहचान दिलाई है।
मल्हार महोत्सव के पुनः प्रारंभ होने से छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक पहचान को और मजबूती मिलेगी और राज्य के सामाजिक और आर्थिक विकास में यह एक महत्वपूर्ण कदम साबित होगा।
