
डेस्क खबर बिलासपुर../ देश मे सबसे ज्यादा लदान देने वाले दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे के बिलासपुर डिवीजन में कोरबा, रायगढ़, शहडोल समेत कई स्टेशनों पर आरक्षित टिकट काउंटरों की संख्या घटा दी गई है। अधिकारियों के इस निर्णय से यात्रियों, खासकर वरिष्ठ नागरिकों और दिव्यांगों को भारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। पहले से संचालित सीनियर सिटीजन और विकलांग काउंटर भी समाप्त कर दिए गए हैं, जिससे उनकी यात्रा और अधिक जटिल हो गई है। सुरक्षित और बेहतर यात्रा का दावा करने वाला रेल विभाग भी सब कुछ जानते हुए भी आँख मुंद कर बैठा हुआ है l

रेलवे प्रशासन का कहना है कि स्टेशन के जीर्णोद्धार के कारण काउंटरों को हटाया गया है, लेकिन यात्रियों के लिए कोई वैकल्पिक व्यवस्था नहीं की गई। ऑनलाइन भुगतान प्रणाली लागू कर दी गई है, जबकि हर यात्री के पास डिजिटल भुगतान की सुविधा नहीं होती। इससे ग्रामीण और आर्थिक रूप से कमजोर यात्रियों को टिकट लेने में कठिनाई हो रही है। स्टेशन पर जनरल टिकट के लिए ऑटोमेटिक मशीनें लगा दी गई हैं, लेकिन हर व्यक्ति मशीनों से टिकट नहीं निकाल पाता, जिससे या तो वे ट्रेन छोड़ने को मजबूर होते हैं या फिर बिना टिकट यात्रा करने पर पेनल्टी भरनी पड़ती है।

बिलासपुर शहर में नेहरू चौक स्थित आरक्षित टिकट काउंटर भी बंद कर दिया गया है। रेलवे का कहना है कि इमारत उपयुक्त नहीं थी, लेकिन नए स्थान की कोई व्यवस्था नहीं की गई। यदि रेलवे प्रशासन चाहे तो जिला प्रशासन से मिलकर वैकल्पिक स्थान की व्यवस्था कर सकता है या स्वयं किसी किराए के प्रतिष्ठान में काउंटर संचालित कर सकता है। रेलवे वेलफेयर फंड का उपयोग आमतौर पर रेलवे अधिकारियों और कर्मचारियों की सुविधाओं के लिए किया जाता है, लेकिन यात्रियों की मूलभूत जरूरतों के लिए इसका सही उपयोग नहीं किया जा रहा। अन्य राज्यों और शहरों में रेलवे प्रशासन स्थानीय प्रशासन के साथ मिलकर सौंदर्यीकरण और यात्री सुविधाओं के लिए काम करता है, लेकिन बिलासपुर में ऐसा कोई प्रयास नहीं दिख रहा।


इस निर्णय से यात्रियों को हो रही परेशानियों को देखते हुए, क्या इसे लागू करने से पहले किसी बैठक में चर्चा की गई थी? रेलवे प्रशासन को यह समझना होगा कि स्टेशन के नवनिर्माण और सौंदर्यीकरण के साथ-साथ यात्रियों की मूलभूत सुविधाएँ भी जरूरी हैं। इस विषय पर ध्यान आकर्षित करने के लिए बिलासपुर बीजेपी नेता मनीष अग्रवाल सहित नागरिकों और यात्रियों ने रेलवे मंत्री अश्विनी वैष्णव, छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय, बिलासपुर के लोकसभा सांसद तोखन साहू और विधायक अमर अग्रवाल को पत्राचार और सोशल मीडिया के माध्यम से शिकायतें भेजी हैं। उम्मीद है कि रेलवे प्रशासन जनता की समस्याओं को ध्यान में रखकर इस फैसले पर पुनर्विचार करेगा और यात्रियों के लिए बेहतर सुविधाएँ उपलब्ध कराएगा।
