कोरबा

SECL कुसमुंडा में लापरवाही से मौत, प्रबंधन पर उठे सवाल.! आखिर किसको बचाना चाहते है कुसमुंडा के GM .? थू –थू हुई तो 48 घंटे में GM को लेना पड़ा आदेश वापिस .।

SECL कुसमुंडा में लापरवाही  .

कोरबा – SECL कुसमुंडा क्षेत्र में 27 जुलाई को घटित एक दुखद घटना ने SECL प्रबंधन की गंभीर लापरवाही को उजागर कर दिया है। खदान निरीक्षण के दौरान जितेंद्र नागरकर की जल सैलाब में बहने से मौत हो गई, जिससे पूरे क्षेत्र में आक्रोश फैल गया है। जब जितेंद्र की मौत हुई तब प्रबंधन ने पानी निकालने के लिए लगे पाइप के जाम होने के कारण हादसा होने की बात कही थी ।

इस घटना के दौरान भारी बारिश के चलते खदान में जल सैलाब आ गया, जिसमें नागरकर बह गए। घटना का वीडियो फुटेज वायरल हो गया है, जिसमें स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है कि नागरकर पानी में बहते हुए नजर आ रहे हैं। यह फुटेज इस घटना की गंभीरता को दर्शाता है और SECL की सुरक्षा उपायों में खामियों को उजागर करता है।

घटना के तुरंत बाद SECL कुसमुंडा के जनरल मैनेजर राजीव सिंह (GM) ने एक नोटिस जारी किया, जिसमें नागरकर पर आरोप लगाया गया कि वे ड्यूटी के दौरान मोबाइल पर गेम खेल रहे थे। और कई बार समझाइश देने के बाद भी उनकी मोबाइल में गेम खेलने की लत के कारण ही उनकी मौत हुई है । और इस हादसे के लिए जितेंद्र खुद जिम्मेदार है ।

यह आरोप न केवल असंवेदनशील था, बल्कि बाद में बेबुनियाद भी साबित हुआ। SECL ने 31 जुलाई को दूसरा नोटिस जारी किया, जिसमें पहले नोटिस को निराधार और बेबुनियाद घोषित किया गया। यह स्पष्ट करता है कि GM ने बिना किसी ठोस सबूत के नागरकर पर आरोप लगाया, जिससे उनकी खुद की लापरवाही और गैरजिम्मेदारी सामने आई है।

इस घटना के बाद से स्थानीय समुदाय और नागरकर के परिजनों में भारी आक्रोश है। स्थानीय लोगों का कहना है कि GM ने अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ने की कोशिश की है और उन्हें इसके लिए जवाब देना होगा। SECL कुसमुंडा की यह घटना प्रबंधन की भारी लापरवाही और गैरजिम्मेदारी का प्रतीक है, और इससे SECL की सुरक्षा व्यवस्थाओं की पोल खुल गई है।

गौरतलब है खदान कि हर छोटी बड़ी दुर्घटना की जांच DGMS की टीम करती है। फिर यूं आननफानन में किस जांच का हवाला दे कर GM अकाल काल कवलित हो जाने वाले अपने ही युवा अधिकारी को उसकी अपनी मौत का जिम्मेदार बता रहे हैं। कहीं ऐसा तो नहीं कि ओवरबर्डन का ठेका जिस कंपनी को दिया गया है, उसके साथ प्रबंधन की सुरक्षा नियमों की अनदेखी कर भ्रष्ट कामों पर पर्दा डालने का ये प्रयास है।
हालांकि एसीसीएल के जीएम ने कर्मचारियों के आक्रोश और अधिकारियों की फटकार के बाद वापिस ले लिया । यह गैर जिम्मेदार बयान अपने आप में चौंकाने वाला है कि आखिर कार जीएम किस लापरवाही को छुपाना चाहते थे और किसे बचाना चाहते थे । ऐसे में जरूरी है कि इस मामले की निष्पक्ष जांच हो जिसके लिए लापरवाह gm का ट्रांसफर जरूरी है ।


हालांकि जब GM के पत्र से उनकी थू थू हुई तो मौके की नजाकत को देखते हुए उन्होंने 24 घंटे के अंदर ही अपना आदेश वापिस ले कर नया आदेश जारी कर दिया ।

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