छलकाएं जम के जाम.!. सरकारी तैयारी शुरू .!
नई आबकारी नीति का इंतजार….
मदिरा प्रेमियों के मन को करेगी.!आनंदित ?


डेस्क खबर …भीतर से ख़बर तो यही छनकर आ रही है कि नई आबकारी नीति मदिरा प्रेमियों के मन को पुलकित कर देने वाली होगी। मनपसंद ब्रांड की शराब मिलेगी। अच्छी से अच्छी क्वालिटी की बीयर मिलेगी। अब शराब के पैसे पर भैंसा गए व्यापारियों का एकाधिकार तो टूटेगा ही लोगों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ भी कम होगा।

लोग जोगी शासनकाल की उस शराब नीति को याद करते हैं जब छत्तीसगढ़ ब्रांड के मामले में काफ़ी समृद्ध रहा था। उस दौर में नशे की दुनिया में भी सच्चे समाजवाद के दर्शन हो जाया करते थे। उस दौर में रोज़ कमाने खाने वालों के लिए गोवा स्पेशल ब्रांड तो था ही, मिडिल क्लास और अपर मिडिल क्लास के लिए मैक्डावल नंबर वन जिंदाबाद था।

बेहद अनुभवी मदिरा प्रेमी बताते नहीं थकते कि “राज्य गठन का वह शुरुआती दौर कितना उल्लास भर देने वाला था। सदाबहार ओल्ड मंक रम तो थी ही, ओल्ड स्मलगर एवं हिमाचल रम भी अलग तरह का टेस्ट देती थी। ‘जीन’ क्या चीज़ है नये-नये शौक में उतरे यहां के लोग जानते भी नये होंगे। उस दौर में क्या ख़ूब ‘जीन’ मिला करती थी। ब्रांडी तो मानो छत्तीसगढ़ से ग़ायब ही हो गई। तब ब्रांडी भी क्या ख़ूब मिला करती थी।“ दूसरी बात यह कि जब विधानसभा चुनाव के नतीजे सामने आए तो कितने ही राजनीतिज्ञ विशेषज्ञ यह कहने से नहीं चूके थे कि “शराबियों ने कांग्रेस को वोट नहीं दिया। जो हो, जब सहनशीनलता ज़वाब दे जाती है शराब से जुड़ा मुद्दा छलछला ही जाता है।*