बेलतरा के चुनावी सियासत में सुशांत की शांत एंट्री । जानिए बेलतरा सीट से बीजेपी प्रत्याशी सुशांत शुक्ला का राजनीतिक परिचय ।
बिलासपुर । भाजपा ने बिलासपुर जिले की बेलतरा विधानसभा से सुशांत शुक्ला को अपना प्रत्याशी बनाया है। युवा सुशांत शुक्ला पहली बार विधानसभा चुनाव लड़ेंगे। हालांकि पिछली बार भी उनका नाम टिकट की दौड़ में शामिल था। पर वे रजनीश सिंह से पिछड़ गए थे। वर्तमान में बेलतरा से भाजपा के रजनीश सिंह ही विधायक है। अपने सिटिंग एमएलए की टिकट काटकर भाजपा ने युवा सुशांत शुक्ला को इस बार चुनाव मैदान में उतारा है। उनके खिलाफ कांग्रेस ग्रामीण के जिला अध्यक्ष विजय केसरवानी मैदान में होंगे, जिनसे उनकी सीधी टक्कर है।
40 वर्षीय सुशांत शुक्ला के पिता का नाम हीरामणी शुक्ला है। उनके पिता छत्तीसगढ़ ग्रामीण बैंक से सेवानिवृत हुए हैं। बिलासपुर के सरकंडा के शिव घाट में रहने वाले सुशांत शुक्ला चार भाई बहनों में तीसरे नंबर के हैं। उनसे बड़े एक भाई वह एक बहन है व उनसे छोटी एक बहन है। सुशांत शुक्ला के पिता हीरामणि शुक्ला भी आरएसएस पृष्ठभूमि के रहे हैं। वे आरएसएस के प्रांत बौद्धिक प्रमुख रह चुके हैं। छतीसगढ़ी राजभाषा को पहचान दिलवाने वाले उनके बड़े पिता नंदकिशोर शुक्ला आरएसएस के कैडर बेस कार्यकर्ता रहे हैं। वे अटल बिहारी वाजपेई के आरएसएस में सक्रिय होने के समय से आरएसएस में रहें हैं और प्रचारक की भूमिका निभाई है। नंदकिशोर शुक्ला ने छत्तीसगढ़ी को पहचान दिलाने के लिए साइकिल में मिलों लंबी यात्रा की है। वह पत्रकारिता से भी 30 वर्षों से जुड़े रहे हैं। उनके अथक प्रयासों से छत्तीसगढ़ी को राजभाषा का दर्जा मिला है। वे छत्तीसगढ़ी राजभाषा मंच वह मोर चिन्हारी छत्तीसगढ़ी संस्था के सरंक्षक है।
सुशांत शुक्ला ने 12वीं के बाद बीकॉम सेकंड ईयर तक की शिक्षा हासिल की है। वह पेशे से व्यवसायी हैं। प्रदेश के दिग्गज बीजेपी नेता व केंद्रीय मंत्री के अलावा बिलासपुर सांसद रहे दिलीप सिंह जूदेव की उंगली पड़कर सुशांत शुक्ला ने राजनीति का ककाहरा सिखने वाले सुशांत राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के बाल स्वयं सेवक रहें है। सुशांत शुक्ला जूदेव के कट्टर समर्थको में गिने जाते थे। वे जूदेव सेना प्रमुख भी थे। गुरु घसीदास विश्वविद्यालय की छात्र राजनीति में विश्वविद्यालय छात्र महासंघ पैनल बनाकर सुशांत शुक्ला काफी लंबे समय तक सक्रिय रहे हैं। उनके पैनल ने विश्वविद्यालय छात्रसंघ में कई बार जीत हासिल की है। बेलतरा विधानसभा में स्थित गुरु घसीदास विश्वविद्यालय को केंद्रीय विश्वविद्यालय का दर्जा दिलवाने के लिए चलाए गए आंदोलन में सुशांत शुक्ला और उनके विश्वविद्यालय छात्र महासंघ पैनल की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। 2009 में गुरु घसीदास विश्वविद्यालय के केंद्रीय विश्वविद्यालय बनने के बाद सुशांत शुक्ला का छात्र महासंघ पैनल ब्रदरहुड़ पैनल में परिवर्तित हो गया।
सुशांत शुक्ला राज्य युवा आयोग के सदस्य रहे हैं। इस दौरान उन्हें राज्य मंत्री का दर्जा प्राप्त था। वह भारतीय जनता युवा मोर्चा राष्ट्रीय कार्य समिति के 2011 से 2016 तक सदस्य रहे हैं। सुशांत शुक्ला 2016 से 2020 तक भारतीय जनता युवा मोर्चा के राष्ट्रीय संयोजक भी रहे हैं।
वर्तमान में सुशांत शुक्ला भारतीय जनता युवा मोर्चा भाजपा प्रत्याशी सुशांत शुक्ला का जीवन परिचय।
भाजपा ने बिलासपुर जिले की बेलतरा विधानसभा से सुशांत शुक्ला को अपना प्रत्याशी बनाया है। युवा सुशांत शुक्ला पहली बार विधानसभा चुनाव लड़ेंगे। हालांकि पिछली बार भी उनका नाम टिकट की दौड़ में शामिल था। पर वे रजनीश सिंह से पिछड़ गए थे। वर्तमान में बेलतरा से भाजपा के रजनीश सिंह ही विधायक है। अपने सिटिंग एमएलए की टिकट काटकर भाजपा ने युवा सुशांत शुक्ला को इस बार चुनाव मैदान में उतारा है। उनके खिलाफ कांग्रेस ग्रामीण के जिला अध्यक्ष विजय केसरवानी मैदान में होंगे, जिनसे उनकी सीधी टक्कर है।
40 वर्षीय सुशांत शुक्ला के पिता का नाम हीरामणी शुक्ला है। उनके पिता छत्तीसगढ़ ग्रामीण बैंक से सेवानिवृत हुए हैं। बिलासपुर के सरकंडा के शिव घाट में रहने वाले सुशांत शुक्ला चार भाई बहनों में तीसरे नंबर के हैं। उनसे बड़े एक भाई वह एक बहन है व उनसे छोटी एक बहन है। सुशांत शुक्ला के पिता हीरामणि शुक्ला भी आरएसएस पृष्ठभूमि के रहे हैं। वे आरएसएस के प्रांत बौद्धिक प्रमुख रह चुके हैं। छतीसगढ़ी राजभाषा को पहचान दिलवाने वाले उनके बड़े पिता नंदकिशोर शुक्ला आरएसएस के कैडर बेस कार्यकर्ता रहे हैं। वे अटल बिहारी वाजपेई के आरएसएस में सक्रिय होने के समय से आरएसएस में रहें हैं और प्रचारक की भूमिका निभाई है। नंदकिशोर शुक्ला ने छत्तीसगढ़ी को पहचान दिलाने के लिए साइकिल में मिलों लंबी यात्रा की है। वह पत्रकारिता से भी 30 वर्षों से जुड़े रहे हैं। उनके अथक प्रयासों से छत्तीसगढ़ी को राजभाषा का दर्जा मिला है। वे छत्तीसगढ़ी राजभाषा मंच वह मोर चिन्हारी छत्तीसगढ़ी संस्था के सरंक्षक है।
सुशांत शुक्ला ने 12वीं के बाद बीकॉम सेकंड ईयर तक की शिक्षा हासिल की है। वह पेशे से व्यवसायी हैं। प्रदेश के दिग्गज बीजेपी नेता व केंद्रीय मंत्री के अलावा बिलासपुर सांसद रहे दिलीप सिंह जूदेव की उंगली पड़कर सुशांत शुक्ला ने राजनीति का ककाहरा सिखने वाले सुशांत राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के बाल स्वयं सेवक रहें है। सुशांत शुक्ला जूदेव के कट्टर समर्थको में गिने जाते थे। वे जूदेव सेना प्रमुख भी थे। गुरु घसीदास विश्वविद्यालय की छात्र राजनीति में विश्वविद्यालय छात्र महासंघ पैनल बनाकर सुशांत शुक्ला काफी लंबे समय तक सक्रिय रहे हैं। उनके पैनल ने विश्वविद्यालय छात्रसंघ में कई बार जीत हासिल की है। बेलतरा विधानसभा में स्थित गुरु घसीदास विश्वविद्यालय को केंद्रीय विश्वविद्यालय का दर्जा दिलवाने के लिए चलाए गए आंदोलन में सुशांत शुक्ला और उनके विश्वविद्यालय छात्र महासंघ पैनल की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। 2009 में गुरु घसीदास विश्वविद्यालय के केंद्रीय विश्वविद्यालय बनने के बाद सुशांत शुक्ला का छात्र महासंघ पैनल ब्रदरहुड़ पैनल में परिवर्तित हो गया।
सुशांत शुक्ला राज्य युवा आयोग के सदस्य रहे हैं। इस दौरान उन्हें राज्य मंत्री का दर्जा प्राप्त था। वह भारतीय जनता युवा मोर्चा राष्ट्रीय कार्य समिति के 2011 से 2016 तक सदस्य रहें हैं। सुशांत शुक्ला 2016 से 2020 तक भारतीय जनता युवा मोर्चा के राष्ट्रीय संयोजक भी रहे हैं।
वर्तमान में सुशांत शुक्ला प्रदेश सह प्रभारी भारतीय जनता युवा मोर्चा हैं । इसके अलावा वो संगठन प्रभारी चंद्रपुर विधानसभा क्षेत्र के हैं। प्रदेश भाजपा मीडिया पैनलिस्ट में भी उनका नाम है। सुशांत शुक्ला का पूरा परिवार भी भाजपा व आरएसएस से लंबे समय से जुड़ा रहा है। उनके चाचा चंद्रभूषण शुक्ला भाजपा पार्षद रहने के साथ ही 1994 में नगर निगम नेता प्रतिपक्ष भी रह चुके हैं। सुशांत शुक्ला के परिवार में चार मीसाबंदी और चार कार सेवक भी हैं।