छत्तीसगढ़बिलासपुर

एक अदना सा पटवारी ।
शासन प्रशासन पर है भारी ।
सरकारी सड़क को बेचकर की काली कमाई ।
पटवारी को बचाने के लिए किसने दोस्ती निभाई ….?

बिलासपुर।शासकीय जमीन पर लोक निर्माण विभाग द्वारा बनाई गई पक्की सड़क को एक अदना से पटवारी ने तहसीलदार से मिलकर बेच दिया । बहतराई के पटवारी अनिल डोड़वानी और तत्कालीन तहसीलदार नारायण गबेल ने सड़क की जमीन को बेचकर करोड़ो रु हजम कर गए और डकार तक नही ली । करोड़ो रु में सड़क की जमीन बेचने की बाकायदा शिकायत भी हुई लेकिन तत्कालीन कलेक्टर सारांश मित्तर ने भी शिकायत को पूर्ण गंभीरता से नही लिया फलस्वरूप अनिल डोंडवाणी के खिलाफ आज तक कोई कार्यवाही नही हो पाई है और न ही इनसे खिलाफ राजस्व विभाग ने कोई मामला दर्ज किया है ।
राजस्व विभाग की असलियत से पूरी जनता वाकिफ है और पूर्व कलेक्टर की कार्यशैली से भी जनता वाकिफ थी।

जिले के नए हुक्मरान सौरभ कुमार की पदस्थापना से शिकायतकर्ता को उम्मीद है कि शासकीय जमीनों की खरीद फरोख्त कर करोड़ो रु हजम करने वाले इस मामले को लेकर जिलाधीश सौरभ साहब गंभीर होंगे और मामले की जांच कर न्याय करेगे पिछ्ले एक दशक से रसूखदार नेताओं तथा कुख्यात भू माफियाओं के हाथों की कठपुतली बना हुए राजस्व विभाग और जिला प्रशासन को इनके आतंक से मुक्त करवाएंगे

बिलासपुर शहर से लगी सैकड़ों एकड़ सरकारी ज़मीनों को दीमक की तरह चाट चुके है राजस्व विभाग के आला अफसर

जमीनों की बंदरबांट में पटवारी,तहसीलदार से लेकर अनुविभागीय अधिकारी की भूमिका सवालों के घेरे में
इस बात में कोई दो राय नहीं हो सकती है कि पिछले 10 वर्षों के दरमियान मोपका, लिंगियाडीह, चिल्हाटी, बिजौर तथा बिरकोना की सैकड़ों एकड़ शासकीय जमीनों को हल्का पटवारी , तहसीलदार तथा अनु विभागीय अधिकारी की रसूखदार नेताओं व कुख्यात भू माफियाओं से सांठ गांठ की बुनियाद पर बलात् कब्ज़ा कर बेच दिया गया है । बताया जाता है कि केवल मोपका,तथा लिंगियाडीह हल्के की लगभग 600 एकड़ सरकारी जमीनों पर अवैध निर्माण किए जा चुके हैं । आईएएस सोनमणि वोरा के वर्ष 2009 में पुनः जिले की कमान संभालने के बाद बिलासपुर शहर तथा उसके सरहदी इलाके की शासकीय जमीनों की खरीद-फरोख्त पर अंकुश लगने की संभावना जताई जा रही थी,परंतु मई 2011 में वोरा के तबादले के बाद इस दिशा में कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई । दरअसल वोरा के बाद पदस्थ होने वाले ज्यादातर हुक्मरान भू माफियाओं के आगे घुटने टेकने और घोड़ा बेच कर सोने वाले निकले |

दिनांक 15/03/2021 को बिलासपुर कलेक्टर के समक्ष प्रस्तुत शिकायत आवेदन में पटवारी अनिल डोडवानी तथा तहसीलदार पर बहतराई स्थित पीडब्ल्यूडी द्वारा बनाई गई पक्की सड़क की ख.नं.310 रकबा 0.113 हे शासकीय भूमि में निजी भूमि का खसरा नंबर बैठाकर बेच दिए जाने का आरोप लगाया गया है । बताया जाता है कि बिलासपुर तहसील अंतर्गत ग्राम बहतराई स्थित उक्त भूमि पर लोक निर्माण विभाग द्वारा पक्की सड़क बनाई गई है । राज्य स्थापना के पूर्व अर्थात अविभाजित मध्यप्रदेश के दरमियान उक्त भूमि का अधिग्रहण कर किसान को मुआवजा दे दिया गया था,परंतु भू अर्जन के बाद तत्कालीन मध्य प्रदेश सरकार द्वारा भूमि का रिकार्ड दुरुस्त नहीं किया गया । जिससे किसान का नाम भू स्वामी के तौर पर चलता रहा । किसान की मृत्यु के बाद उसके वारिसों द्वारा तत्कालीन भ्रष्ट राजस्व अधिकारियों से सांठगांठ कर फौती उठा लिया गया । उक्त जमीन का बिना मौका मुआयना किए पटवारी डोडवानी द्वारा जारी विक्रय नकल की बुनियाद पर उप पंजीयक मिंज द्वारा बिना भौतिक सत्यापन किए जमीन की रजिस्ट्री कर दी गई । एक सोची समझी साजिश के तहत आपस में मिलकर विक्रेता तथा क्रेता द्वारा सड़क की जमीन से लगी शासकीय भूमि में चौहद्दी बनाकर खरीद-फरोख्त कर ली गई । इस फर्जी रिकॉर्ड के आधार पर बिलासपुर तहसीलदार द्वारा नामांकन कर ख.नं.310 की 0.113 हेक्टेयर भूमि का ख. न. 310/1,310/2 तथा 310/3 में बटांकन कर दिया गया । उक्त भूमि का अनुमानित शासकीय बाजार भाव 2 करोड़ 44 लाख 16 हजार बताया जाता है |

इस पूरे मामले में पटवारी अनिल डोडवानी, उप पंजीयक मिंज, तहसीलदार तथा अनुविभागीय अधिकारी राजस्व की प्रमुख भूमिका बताई जाती है । हैरानी की बात है कि जमीन की रजिस्ट्री के बाद नामांतरण की प्रक्रिया तत्कालीन महा भ्रष्ट तहसीलदार नारायण गबेल द्वारा न करा कर अधीक्षक भू-अभिलेख से पूरी कराई गई । इस पूरे मामले की शिकायत तत्कालीन कलेक्टर तथा एंटी करप्शन ब्यूरो से की गई थी,परंतु दोनों हाथ पर हाथ धरे बैठे रहे और अब जबकि रायपुर जिले की कलेक्टरी कर चुके सौरभ कुमार को जिले की कमान सौंपी गई है, देखना दिलचस्प होगा कि पिछले एक दशक से चंद नमकहराम नेताओं तथा रसूखदार भू माफियाओं के दुम हिलाते रहने वाले जिला प्रशासन व राजस्व विभाग के बेईमान व भ्रष्ट अधिकारियों के खिलाफ क्या कार्रवाई करते हैं ?

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