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छत्तीसगढ़ में धान खरीदी बना किसानों के लिए अभिशाप !  खरीदी केंद्रों से आई खबरों ने खोली सरकार के दावों की पोल .कही किसान ने अपना गला रेता तो कही प्रभारी ने की किसानों से मारपीट ! पढ़िए पूरी खबर ! देखिए हैरान करने वाला VIDEO …



डेस्क खबर ../ छत्तीसगढ़ में धान खरीदी का सीज़न शुरू हो चुका है, सरकार के तमाम दावों के बाद भी धान खरीदी किसानो के लिए अभिशाप बनती नजर आ रही है । भारी अव्यवस्था और धान खरीदी केंद्रों के प्रभारी और बिचौलियों के कारण किसान परेशान नजर आ रहे है । छत्तीसगढ़ के अलग अलग क्षेत्रों से आए दो वीडियो सरकार की छबि खराब करने के पुख्ता प्रमाण दे रहे है ।धान खरीदी केंद्रों में कुप्रबंधन और अव्यवस्था के कारण किसान लगातार परेशान हैं। डबल इंजन सरकार के दावों के बीच अन्नदाता अपने हक़ के लिए तरस रहे हैं।  पखांजूर जिले के गोण्डाहुर क्षेत्र में धान खरीदी केंद्रों में टोकन वितरण को लेकर भारी अव्यवस्था और कथित भ्रष्टाचार की शिकायतें सामने आ रही हैं। किसानों का आरोप है कि केन्द्र प्रभारी उनके धान के बदले 2 किलो अतिरिक्त धान लेकर अवैध वसूली कर रहे हैं, जबकि प्रशासन मूकदर्शक बना हुआ है। किसानों का आरोप है कि विरोध करने पर उनके साथ मारपीट की जाती है जिसका जुड़ा वीडियो भी सामने आया है ।



दूसरा मामला महासमुंद जिले का है जहां अव्यवस्था का शिकार ग्राम सेनभाठा का एक 65 वर्षीय किसान मनबोध गांडा हो गया, जिसने लगातार तीन दिनों तक च्वाइस सेंटर जाकर भी धान का टोकन न मिलने पर हताशा में अपने गले पर ब्लेड चला लिया। मनबोध सुबह 8 बजे घर से गाय चराने निकला था, जहां खेत में उसने यह खौफनाक कदम उठाया। ग्रामीणों की सूचना पर परिजन मौके पर पहुंचे और तत्काल 112 की सहायता से उसे सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र बागबाहरा ले जाया गया। प्राथमिक उपचार के बाद उसकी गंभीर हालत को देखते हुए डॉक्टरों ने उसे महासमुंद मेडिकल कॉलेज रेफ़र कर दिया है, जहां से रायपुर रेफ़र करने की तैयारी की जा रही है। किसान की स्थिति बेहद नाजुक बताई जा रही है।



मनबोध के पास 01 एकड़ 40 डिसमिल जमीन है और वह इसी खेती से परिवार का भरण-पोषण करता है। ग्रामीणों ने बताया कि धान बेचने के लिए टोकन कटवाने की जद्दोजहद में वह कई दिनों से मानसिक तनाव में था। घटना के बाद ग्रामीणों में भारी आक्रोश है। उनका कहना है कि केंद्रों में फैली मनमानी, अधिकारियों की मिलीभगत और प्रशासन की उदासीनता के कारण किसानों को आत्महत्या जैसे कदम उठाने पड़ रहे हैं। किसानों ने चेतावनी दी है कि यदि धान खरीदी की व्यवस्था में शीघ्र सुधार न हुआ तो बड़ा आंदोलन किया जाएगा। अन्नदाता की पीड़ा पर अब प्रशासन की प्रतिक्रिया का इंतज़ार है।

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