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असम में ही नहीं अब छत्तीसगढ़ में भी कामख्या मन्दिर । बिलासपुर के मनहरण ने अपने घर में ही बनाया कामख्या मन्दिर । भक्त दूर दूर से पहुंचते हैं बिलासपुर । होती है हर मनोकामना पूरी ।

बिलासपुर । मन में अगर चाहत हो तो आप अपने घर में ही देवी देवताओं को बुला सकते हैं । दिल में अगर श्रद्धा हो तो घर भी बन सकती है मन्दिर । इन बातों को शब्दसः साकार किया है बिलासपुर के एक सख्स ने । बिलासपुर के मनहरण यादव ने मां कामख्या की प्रेरणा से अपने ही घर में कामाख्या मंदिर की स्थापना कर दी है । चैत्र नवरात्र में आप भी दर्शन कीजिए बिलासपुर की माता कामख्या की ।


अपनी लम्बी तपस्या के बाद मनहरण ने इसे साकार किया । माता भक्त मनहरण के मंदिर में अब ना सिर्फ प्रदेश के बल्कि प्रदेश से बाहर अन्य प्रदेश के लोग भी पहुंच रहे हैं ।


शहर के लिंगियाडीह क्षेत्र में भक्त मनहरण यादव के घर में माता कामख्या का दर्शन करने लोग दूर-दूर से पहुंचते हैं । मनहरण बचपन में घर से आदेश लेकर असम चले गए और वहां माता कामख्या देवी की सेवा में वर्षों तक जमे रहे । जब वो वापस बिलासपुर लौटे तो उनके जीवन में मनोनुकूल परिवर्तन आया । इन बातों से प्रेरित होकर उन्होंने माता कामख्या को अपने ही घर में स्थापित किया और बीते 40 वर्षों से अधिक समय से वो माता कामख्या की सेवा कर रहे हैं।
नवरात्र के दिनों में भक्त राम शंकर शुक्ल यहां घन्टो सैकड़ों ज्योति कलश के बीच साधना करते हैं। उनका कहना है कि माता कामख्या के साधना में लीन होकर उन्हें गर्मी का अहसास नहीं होता और वो इसे बहुत ही सहजता से अंजाम दे देते हैं ।

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