

डेस्क खबर बिलासपुर। गरीबों को मिलने वाला सरकारी चावल अब संगठित गिरोह के जरिए खुलेआम बाजारों में बिक रहा है। जिले के कई राशन दुकानदार लाभार्थियों को चावल के बदले नगद पैसा देकर सरकारी अनाज की कालाबाजारी कर रहे हैं। सूत्रों के हवाले से मिला वीडियो बिलासपुर के वार्ड 24 राजेंद्र नगर में संचालित आकाशनील प्राथमिक उपभोक्ता सरकारी भंडार मर्यादित सरकारी राशन दुकान का है कहा दुकान संचालक सरकारी राशन के एवज में नगद पैसा देते हुए नजर आ रहा है । राशन के बदले नगद पैसा देने के कई प्रमाण और वीडियो प्रसारित होने के बाद भी बिलासपुर का खाद्य विभाग मूकदर्शक बना हुआ है जिसके चलते अधिकांश सरकारी दुकानों में चावल के बदले पैसा देने का काम धड़ल्ले से चालू है और दुकानदार विभागीय संरक्षण में सरकारी चावल की जमकर कालाबाजारी कर रहे है । सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार ऐसे दुकानदार हितग्रहियों के चावल को रतनपुर ,बिल्हा,तखतपुर,मस्तूरी , भाटपारा इलाको में स्थित राइस मिलो में खपा कर जमकर मुनाफाखोरी कर रहे है ।

खाद्य नियंत्रक क्यों कर रहे कलेक्टर ,कोर्ट,खाद्य आयोग अध्यक्ष को गुमराह .??
सरकारी राशन के बदले नगद भुगतान की यह कोई पहली घटना नहीं है — पूर्व में भी भाजपा कार्यकर्ता गोविंद नायडू और विक्रेता संघ का अध्यक्ष ऋषि उपाध्याय के खिलाफ पुख्ता प्रमाणों के बावजूद कार्रवाई लंबित है। तत्कालीन खाद्य नियंत्रक अनुराग भदौरिया की जांच रिपोर्ट में जय महालक्ष्मी महिला स्व-सहायता समूह की संचालक मंडली को दोषी पाया गया था और एफआईआर की अनुशंसा की गई थी। बावजूद इसके, वर्तमान खाद्य नियंत्रक अमृत कुजूर ने जांच रिपोर्ट अब तक कलेक्टर कार्यालय को नहीं भेजी है और सूचना के अधिकार के तहत मांगी गई जानकारी भी छिपा कर रखी हुई है । इतना ही नहीं खाद्य नियंत्रक ने जिस जांच रिपोर्ट के आधार पर ऋषि उपाध्याय की दुकान को निलंबित किया था । और जब बीजेपी कार्यकर्ता और अध्यक्ष ऋषि उपाध्याय ने दुकान के निलंबन के खिलाफ माननीय उच्च न्यायायल में याचिका दायर की तब भी खाद्य विभाग ने तत्कालीन खाद्य नियंत्रक अनुराग भदौरिया की जांच रिपोर्ट को भी कोर्ट में न पेश कर ना केवल कोर्ट को भी गुमराह करने का काम किया है बल्कि बिलासपुर जिला प्रशासन को भी अंधेरे में रखने का काम किया है


सूत्रों का कहना है कि कुछ अधिकारी राजनीतिक दबाव में आकर विभागीय रिपोर्ट दबा रहे हैं और उच्च न्यायालय, बिलासपुर कलेक्टर व खाद्य आयोग को गुमराह कर रहे हैं। इससे पहले भाजपा नेता राज्यवर्धन कौशिक का भाई धनवंतरी भूषण कौशिक को भी सीपत थाने के पास पीडीएस चावल बेचते रंगे हाथ पकड़ा गया था। इसके अलावा कई वीडियो में भी चावल की कालाबाजारी और तस्करी के मामले उजागर हो चुके है ।

इन सभी घटनाओं से स्पष्ट है कि बिलासपुर में चावल घोटाला सिर्फ भ्रष्टाचार नहीं, बल्कि विभागीय मिलीभगत का बड़ा उदाहरण बन चुका है। गरीबों के हक पर डाका डालने वाले इस गिरोह के खिलाफ अब तक ठोस कार्रवाई न होना शासन की नीयत पर सवाल खड़ा करता है। जनता को अब इंतजार है—क्या न्याय मिलेगा या यह घोटाला भी फाइलों में दबकर रह जाएगा?
Video ४ और पांच