

अरविंद सिंह की कलम से
डेस्क खबर बिलासपुर /गौरेला-पेंड्रा-मारवाही../ श्री निरंजनी अखाड़ा के साधु धर्मराज पुरी महाराज इन दिनों नर्मदा परिक्रमा को एक अनोखे और अद्भुत तरीके से पूरा करने के लिए निकले हैं। सामान्य यात्रियों की तरह पैदल चलने के बजाय वे उल्टे होकर हाथों के बल यात्रा कर रहे हैं। यह कठिन साधना लगभग 3500 किलोमीटर की परिक्रमा है, जिसे पूरा करने में वे चार वर्ष का समय लेंगे।
धर्मराज पुरी महाराज ने यह असाधारण संकल्प दशहरे के दिन अमरकंटक स्थित नर्मदा नदी के उद्गम स्थल से आरंभ किया। अब तक वे सात दिनों में करीब 20 किलोमीटर की दूरी तय कर चुके हैं। प्रतिदिन वे औसतन दो से तीन किलोमीटर का सफर हाथों के सहारे तय करते हैं।
उनकी यह परिक्रमा अमरकंटक से जबलपुर, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र और गुजरात के रास्तों से होकर गुजरेगी और अंततः फिर से अमरकंटक में ही समाप्त होगी। रास्ते में जहां-जहां वे रुकते हैं, वहां श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ती है। लोग उनके इस अनोखे तप को नर्मदा माता के प्रति गहरी श्रद्धा और समर्पण की मिसाल मान रहे हैं।
स्थानीय श्रद्धालुओं के अनुसार, धर्मराज पुरी महाराज की यह यात्रा न केवल असाधारण शारीरिक क्षमता और आत्मसंयम का परिचय देती है, बल्कि यह आस्था, तप और आध्यात्मिक शक्ति की जीवंत झांकी भी प्रस्तुत करती है। नर्मदा किनारे इस दिव्य यात्रा को देखने के लिए लोग दूर-दूर से पहुंच रहे हैं, और हर कोई महाराज की दृढ़ निष्ठा और आस्था को नमन कर रहा है। और ऐसी कठिन यात्रा में उनका मनोबल बढ़ा रहा है ।