डेस्क खबर

पत्रकारों पर झूठा आरोप लगाने वाले भाजपा पार्षद खिलाफ पत्रकारों ने की थाने में शिकायत, की कड़ी कानूनी कार्रवाई की मांग….खबर प्रसारित होने के बाद पार्षद ने लगाया था पत्रकारों पर पैसा वसूली का आरोप …!



डेस्क खबर ../ नगर पालिका परिषद बांकीमोंगरा के भाजपा पार्षद और पीआईसी सदस्य दिलीप दास द्वारा पत्रकारों पर झूठे आरोप लगाने का मामला गरमा गया है। पत्रकारों ने सामूहिक रूप से कुसमुंडा थाने में पहुंचकर उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की मांग को लेकर लिखित शिकायत दर्ज कराई है। पत्रकारों का आरोप है कि उन्हें सच दिखाने की सजा दी जा रही है।

शिकायतकर्ताओं में विकास सोनी (एनए छत्तीसगढ़ न्यूज़ रिपोर्टर व छत्तीसगढ़ श्रमजीवी पत्रकार संघ बांकीमोंगरा इकाई उपाध्यक्ष), ओम प्रकाश पटेल (सीजी ई-खबर पोर्टल प्रमुख संपादक व सर्व पत्रकार एकता महासंघ जिला सचिव), अमर भारद्वाज (डीएम इंडिया न्यूज़ कोरबा जिला ब्यूरो प्रमुख) सहित अन्य पत्रकार मौजूद रहे।



क्या है पूरा मामला?
भाजपा पार्षद दिलीप दास ने 4 जुलाई को एक शिकायत में आरोप लगाया था कि कुछ पत्रकारों ने उनके खिलाफ झूठी खबरें प्रसारित कर उनसे पैसे वसूलने की कोशिश की। लेकिन पत्रकारों का दावा है कि उन्होंने 2 जुलाई को वार्ड क्रमांक 25, गेवरा बस्ती में घटिया सीसी रोड निर्माण को लेकर ग्राउंड रिपोर्टिंग की थी। रिपोर्ट में सड़क निर्माण में घटिया सामग्री, वाइब्रेटर मशीन का उपयोग न होना, सड़क की मोटाई में अनियमितता जैसे कई गंभीर तकनीकी खामियों को उजागर किया गया।

पत्रकारों ने स्थानीय नागरिकों और मजदूरों के बयान, फोटो, वीडियो और अन्य दस्तावेजी प्रमाण जुटाकर रिपोर्ट प्रकाशित की थी, जिसमें दिलीप दास का नाम बतौर ठेकेदार सामने आया था। इसके बाद ही दिलीप दास ने उल्टा पत्रकारों पर ही आरोप लगाते हुए शिकायत दर्ज कराई।

पत्रकारों की प्रतिक्रिया:
पत्रकारों का कहना है कि उन्होंने जनता के हक में सच्चाई उजागर की, लेकिन इसके बदले उन्हें मानसिक प्रताड़ना और झूठे आरोपों का सामना करना पड़ रहा है। उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि यह लोकतंत्र और पत्रकारिता की आज़ादी पर हमला है।

संगठनों की चेतावनी:
सर्व पत्रकार एकता महासंघ और छत्तीसगढ़ श्रमजीवी पत्रकार संघ के स्थानीय पदाधिकारियों ने चेतावनी दी है कि यदि प्रशासन त्वरित कार्रवाई नहीं करता, तो पत्रकार संगठन चरणबद्ध आंदोलन की शुरुआत करेगा।

अब निगाहें प्रशासन पर:
यह मामला अब सिर्फ एक व्यक्तिगत आरोप नहीं रहा, बल्कि पत्रकारिता की स्वतंत्रता और सच्चाई के संरक्षण का मुद्दा बन चुका है। देखना यह है कि पुलिस और प्रशासन इस संवेदनशील मामले में क्या ठोस कदम उठाते हैं। गौरतलब है कि बिलासपुर में भी पत्रकारों के  खिलाफ खबर लगाए जाने के बाद सिविल लाइन थाने में बिना जांच के झूठी एफआईआर दर्ज की गई थी जिसके खिलाफ बिलासपुर के सीनियर पत्रकारों ने इस मामले में बिलासपुर एसएसपी से मुलाकात कर मामले में बिना जांच के अपराध दर्ज करने का विरोध जताते  हुए सौरभ पांडे द्वारा श्मशान की जमीन बेचने के प्रमाणित तथ्यों की जांच की मांग की थी । पत्रकारों की मांग पर पुलिस कप्तान ने वरिष्ठ पत्रकार शादाब खान और जफर के खिलाफ हुई एफआईआर मामले में निष्पक्ष जांच का भरोसा दिया था ।

तथ्य:

बिलासपुर और कोरबा के पत्रकारों का दावा है कि उनके पास पूरी रिपोर्टिंग से जुड़े साक्ष्य मौजूद हैं। दिलीप दास वार्ड क्रमांक 23 के पार्षद और पीआईसी सदस्य हैं। पत्रकारों ने सामूहिक रूप से पुलिस थाने में शिकायत दर्ज कराई है। लोकतंत्र के चौथे स्तंभ कहे जाने वाले पत्रकारों ने न्याय की मांग तेज करते हुए हल्लाबोल दिया है ।

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