डेस्क खबरबिलासपुर

पुलिस विभाग में मची हलचल …..एंटी सायबर क्राइम यूनिट के कार्य और कार्रवाई को लेकर बना संशय विषय…..दो आरक्षक हुए स्वयंभू सुपर कॉप……ऑनलाइन क्रिकेट सट्टा आखिर किसके संरक्षण में हो रहा फलीभूत……?जब सारे बड़े सटोरिया बाहर तो…???



डेस्क खबर बिलासपुर./ छत्तीसगढ़ की न्यायधानी पुलिस इन दिनों सुर्खियों में बनी हुई है।कानून व्यवस्था और पुलिसिंग को लेकर विभाग के अंदर कार्यरत कर्मचारियों में विभागीय चर्चा आम हो गई।एक तरफ जहां बेहतर पुलिसिंग से कानून व्यवस्था और अपराध में नकेल कसने के अलावा अवैध कारोबार पर कार्रवाई को लेकर दिए जा रहे निर्देश में किसकी सहभागिता होगी उसको सुनिश्चित करते हुए कार्य विभाजन किया गया।वह अब पुलिस विभाग की किरकिरी करा रहा है।कही ना कही एक विशेष अधिकार के साथ कार्य विभाजन होने से अवैध कारोबार को छूट तक देने की भी चर्चा विभाग के कर्मचारी करने लगे है। सूत्रो के हवाले से यह तथ्य निकल कर सामने आ रहे है कि एंटी सायबर क्राइम यूनिट जैसी संस्था में तैनात किए गए जवान से लेकर अधिकारी तक की शक्तियों को छीन लिया गया।अभी हाल में एसएसपी अपने मातहत अधिकारियों के साथ सायबर टीम की समीक्षा कर उनके द्वारा किए कार्यों को लेकर कोई खास तवज्जो नहीं दिया गया।सामान्य चर्चा कर उनके कार्यों को संतोषप्रद की संज्ञा के साथ अल्प विराम लगा दिया गया। स्वयं से किसी भी घटना स्थल में जाने के लिए अब इनको विशेष अनुमति लेना होगा ,दिए गए निर्देशों से यह साफ तौर पर स्पष्ट होता हुआ नजर आ रहा कि किस तरह एंटी सायबर क्राइम यूनिट को अपंग की श्रेणी में लाकर खड़ा कर दिया गया।वही इस तरह के निर्णय और आदेश के साथ दिए गए निर्देशों में विभाग में कार्यरत कर्मचारी यह भी कह रहे की इससे अच्छा पूरी टीम को भंग कर उनको वापस उनके स्थान में भेज दिया जाता।



सुपरकॉप आरक्षक

सूत्रो की माने तो पुलिस विभाग में इन दिनों दो आरक्षकों की चर्चा जोरो पर है जो खास चर्चा का विषय का बने हुए है।बताया जा रहा की ये दोनों आरक्षक को एक अधिकारी के अंदर तैनात किया गया।जिनको विशेष अनुमति और अधिकार मिलने से इनके विभाग में इन्हें सुपरकॉप पुलिस आरक्षक की संज्ञा दी जा रही है।खैर ये इनके विभाग का मसला है।किस पुलिस कर्मी से किस तरह का काम लिया जाए।लेकिन विभाग के आला अधिकारियों की ऐसी रणनीति से इनके ही विभाग में अब ऊहापोह की स्थिति बनी हुई है।

ऑनलाइन क्रिकेट सट्टा

आईपीएल क्रिकेट शुरू हुए लगभग एक माह होने जा रहा है।लेकिन अभी तक पुलिस की कार्रवाई के आंकड़े में नजर डालेंगे तो गुर्गो के खिलाफ कार्यवाही थाना स्तर पर की गई जो की 20 के लगभग क्रिकेट ऑनलाइन सट्टा की कार्रवाई भी नहीं कर पाए। पूरे शहर की बात करे तो लगभग पचास से अधिक ऑनलाइन सट्टा खिलाने वाले बड़े खाईवाल है।छोटे मोटे क्रिकेट खाईवाल सटोरियों की हम बात भी नहीं कर रहे हैं।सूत्र का दावा है कि आज भी बड़े बड़े क्रिकेट ऑनलाइन सट्टा खिलाने वाले खाईवाल शहर में बखूबी इस अवैध काम को अंजाम दे रहे है। वही सूत्र का यह भी दावा की एक एक बड़े खाईवाल को पुलिस विभाग के अधिकारी का संरक्षण भी प्राप्त है।जो इनके सरंक्षण में क्रिकेट के ऑनलाइन सट्टे को व्यापक रूप से खुलेआम अंजाम दे रहा है।


ऑनलाइन सट्टे की कार्रवाई में पुलिस उदासीन

सट्टे को लेकर भले ही उच्च अधिकारी के द्वारा दिशा निर्देश दिया जा रहा है,पर जमीनी हकीकत कुछ और बयां कर रही है।अभी तक खेलने वाले और छुटपुट नंबरी सट्टा लिखने वाले जो रोजी मजदूरी के अलावा क्रिकेट सट्टा की रकम वसूली काम कर रहे सटोरियों के खिलाफ ही कार्रवाई कर अपनी पीठ को थपथपाने में विभाग लगा हुआ।ऐसा भी नहीं कि पुलिस को ऑनलाइन सट्टा खिलाने वाले के नाम पता और मोबाइल नंब पता नही है  uske4बाद भी इन सटोरियों के खिलाफ कार्रवाई नहीं होना समझ से परे है।

एक शख्स की चर्चा जोरो पर

इन दिनों पुलिस महकमा में एक शख्स की चर्चा बड़े जोरो पर है।एक तरफ पुलिस विभाग के आला अधिकारी मीडिया से दूरी बनाकर गोपनीयता बनाए रखने के लिए बाकायदा अपने विभाग के कर्मचारियों को निर्देशित करते रहते है,तो वहीं दूसरी और शहर के बड़े राजपत्रित अधिकारी उस शख्स के साथ जुगलबंदी कर शहर और थाने में उठते बैठते हुए नजर आते है।इनकी जुगलबंदी को लेकर विभाग की गोपनीयता और कार्यशैली पर सवालिया निशान लगने लगे। साथ इस शख्स को लेकर विभाग में यह भी चर्चा है कि ये महाशय अधिकारी के साथ रहते रहते अपने आपको भी अधिकारी समझ कर विभाग के कर्मचारियों को आदेशित कर अपनी फरमाइश को पूरी कराने और कई मामले में हस्तक्षेप कर मामले को सलटाने का काम भी कर रहे है।यही नहीं विभाग में यह भी चर्चा की इस शख्स के माध्यम से अपना उल्लू भी सीधा किया जा रहा है।पुलिस थाने से लेकर थानेदारों के कामों में दखलंदाजी से पूरा महकमा काफी नाराज चल रहा है।इस शख्स की हरकतों से विभाग के कर्मचारी काफी परेशान हो गए है।लेकिन उच्च अधिकारी से अच्छे संबंध होने कारण इनकी आवाज दब कर रह गई। बहरहाल अब देखन यह होगा कि पुलिस की कार्यशैली को लेकर उठ रहे सवालिया निशान ,पुलिस विभाग के कुछ अधिकारियों के द्वारा दिए जा रहे निर्देशों से विभाग में कार्यरत पुलिस कर्मचारियों में अंदरूनी अंतर्कलह को कैसे दूर कर कर पाती है।

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