
डेस्क खबर बिलासपुर…/ .जिले की धार्मिक नगरी रतनपुर की पुलिस फिर एक बार अपने कारनामो से चर्चा मे है, थाना अंतर्गत चपोरा के पास 9 अप्रैल की रात करीब 11 से बजे के आसपास एक ट्रक को रोककर लूटपाट की वारदात को अंजाम दिया गया था । जानकारी के अनुसार, रतनपुर के ही कुछ आदतन अपराधियों ने ट्रक को जबरन रोककर ड्राइवर से मारपीट की और कीमती सामान सहित नगद रुपये लूट वारदात को अंजाम दिया था । हथियारों से लैस बदमाशो से किसी तरह जान बचाकर ट्रक ड्राइवर रतनपुर थाने पहुंचा और घटना की जानकारी दी। मगर हैरानी की बात यह है कि रतनपुर पुलिस ने इस गंभीर मामले को गंभीरता से नहीं लिया। और ट्रक ड्राईवर को बिना मामला दर्ज कर थाने से भगा दिया, पुलिस की लापरवाही और रौब को देख परदेसी चालक वापिस थाने से बिना शिकायत दर्ज करवाये लौट गया, इस लूटपाट की घटना को लगभग आधा दर्जन युवको ने अंजाम दिया था।
पुलिस ने कार्रवाई के नाम पर महज दो आरोपियों को गिरफ्तार कर आर्म्स एक्ट के तहत जेल भेजा, जबकि बाकी चार से पांच आरोपी, जिन पर पहले से कई आपराधिक मामले दर्ज हैं, उन्हें अभयदान दे दिया गया। इस मामले को लेकर रतनपुर पुलिस की निष्पक्षता और कार्यशैली पर सवाल खड़े हो रहे हैं। सूत्रों की माने तो रतनपुर पुलिस कुछ आदतन अपराधियों को संरक्षण दे रही है, जिससे उनके हौसले बुलंद हैं और वह खुलेआम वारदात को अंजाम दे रहे हैं। सूत्रों की माने तो इस मामले मे एक आरक्षक की इस मामले मे भूमिका संदिग्ध है और लंबे समय से इस वर्दीधारी की थाने मे तैनाती है, और इसको प्रभारी का संरक्षण मिला हुआ है।
गौरतलब है कि कुछ दिन पहले ही महामाया मंदिर परिसर में मोबाइल और पैसे की लूट के आरोपियों को भी थाने से छोड़ दिया गया था। अब देखना होगा कि रतनपुर पुलिस की इस संदिग्ध भूमिका और लूट के मामले को आर्म्स एक्ट के मामले मे बदलने वाली रतनपुर पुलिस पर बिलासपुर पुलिस अधीक्षक क्या एक्शन लेते है, सूत्र दावा करते है की सब कुछ थाना प्रभारी के निर्देश के बाद ही होता है पर मामले के खुलासे के बाद थाना प्रभारी की जगह उच्च अधिकारी सिर्फ आरक्षक स्तर के कर्मचारियों पर ही कार्यवाही करते है ।
हालाँकि मामले के बारे मे जानकारी के लिए रतनपुर थाना प्रभारी के मोबाइल पर फोन किया गया लेकिन फोन रिसीव नहीं हुआ।
