अपोलो के यमराज डाक्टर के खिलाफ कांग्रेस का हल्लाबोल..!
BJP विधायक सुशांत के बाद अब कांग्रेसी विजय करेगे अपोलो के खिलाफ प्रदर्शन..!
चेन्नई अपोलो प्रबन्धन ने की थी डाक्टर की बिलासपुर अपोलो मे नियुक्ति, बिना अनुमति के डाक्टर ने कर दी कई लोगो के हार्ट की सर्जरी.!
पढ़िये चौकाने वाला खुलासा…!

डेस्क खबर बिलासपुर…/ अपोलो अस्पताल मे बिना अनुमति के फर्जी डिग्री से हार्ट का आपरेशन कर करीब आधा दर्जन लोगो की मौत का मामला सामने आने के बाद से हड़कंप मचा हुआ है, मध्यप्रदेश और छ्तीसगढ़ मे इस फर्जी डाक्टर की नियुक्ति चेन्नई अपोलो मैनजेनमेंट की जांच के बाद बिलासपुर के अपोलो अस्पताल मे 2006 मे की गई थी। आरोप है की कुछ महीनों तक पदस्थ एमबीबीएस डाक्टर फर्जी डाक्टर को प्रयागराज से पुलिस ने गिरफ्तार भी कर लिया है।
ग्रामीण अध्यक्ष विजय केशरवानी आज 8 अप्रैल को दोपहर 2.00 बजे कांग्रेस भवन में प्रेस वार्ता लेंगे,
,बिना डिग्री की जांच किये ,अपोलो हॉस्पिटल में फर्जी डॉक्टर की नियुक्ति दी गई ,और गलत इलाज से पूर्व स्पीकर,पूर्व मंत्री राजेन्द्र प्रसाद जी की मृत्यु हो गई थी ,साथ में ऐसे अन्य 8 लोगो की भी मृत्यु होना और अपोलो प्रबन्धन द्वारा उस डॉक्टर के विरुद्ध न कार्यवाही करना जांच के विषय है, उसकी नियुक्ति किस आधार पर किया गया, सिलेक्शन कमेटी में कौन कौर एक्सपर्ट थे ,किसकी अनुशंसा पर नियुक्ति की गई ऐसे गम्भीर प्रश्न है ,साथ ही वर्तमान में जो डॉक्टर कार्यरत है उनकी डिग्री की भी जांच की जरूरत है, स्व शुक्ल जी के ऑपरेशन टीम में और कौन कौन डॉक्टर थे जैसे विषयों पर बिलासपुर जिला अध्यक्ष विजय केसरवानी कांग्रेस भवन मे पत्रकारों से चर्चा करेगे ।

मौत का पर्याय बन चुके फर्जी डॉक्टर का बिलासपुर कनेक्शन.. पूर्व विधानसभा अध्यक्ष राजेंद्र प्रसाद शुक्ल का किया था ऑपरेशन.. परिजनों का गंभीर आरोप.. क्या फिर से खुलेगी अपोलो की फाइल..
मध्यप्रदेश के दमोह जिले में फर्जी डॉक्टर के ऑपरेशन से मरीज़ की मौत के मामले में चौंकने वाले तथ्य सामने आ रहे है, दरअसल फर्जी डॉक्टर नरेंद्र विक्रमादित्य यादव द्वारा कार्डियोलॉजिस्ट बनकर ऑपरेशन करने के बाद कई मरीजों की मौत हो गई है, इसी तरह अब सवाल उठने लगा है कि, 2006 में छत्तीसगढ़ के विधानसभा अध्यक्ष राजेंद्र प्रसाद शुक्ल की इलाज के दौरान अपोलो अस्पताल में मौत हो गई थी और उनकी सर्जरी भी फर्जी कार्डियोलॉजिस्ट नरेंद्र विक्रमादित्य यादव द्वारा किया गया था, मामले को लेकर अब अपोलो प्रबंधन पर सवाल उठने लगे है वहीं मामले में पूर्व अध्यक्ष स्व. राजेंद्र प्रसाद शुक्ल के परिजनों द्वारा डॉक्टर और अपोलो प्रबंधन पर सवाल उठाए जाने के बाद हड़कंप मच गया है..

पूर्व विधानसभा अध्यक्ष स्व. राजेंद्र प्रसाद शुक्ल को 2006 में हृदय संबंधी परेशानी के बाद अपोलो अस्पताल में इलाज के लिए एडमिट कराया गया था, इस दौरान डॉक्टर नरेन्द्र विक्रमादित्य यादव कार्डियोलॉजिस्ट के रूप में अपोलो में काम कर रहे थे, पूर्व विधानसभा अध्यक्ष राजेंद्र प्रसाद शुक्ल का ऑपरेशन इसी डॉक्टर द्वारा किया गया है, जिसके बाद उनकी तबियत बिगड़ी, और 18 दिन अस्पताल में भर्ती रहने के बाद उनका देहांत हो गया था, जिसके बाद फर्जी डॉक्टर द्वारा और भी ऑपरेशन किया गया और कई लोगों की मौत भी हो गई थी अब मामले को लेकर पूर्व विधानसभा अध्यक्ष राजेंद्र शुक्ल के परिजनों ने मामले में प्रबंधन के खिलाफ आवाज बुलंद की है और उनकी मौत की जिम्मेदारी डॉक्टर समेत प्रबंधन को ठहराया है..

मामला उजागर होने के बाद संभाग के सबसे बड़े प्राइवेट अस्पताल के खिलाफ माहौल गरमा गया है, वहीं प्रबंधन भी अब खुद को बचाने के लिए पुरानी फाइलों को खोजकर खुद को सही साबित करने की बात कह रहा है, पूरे मामले को बहुत पुराना बताकर अपोलो प्रबंधन द्वारा जांच रिपोर्ट मीडिया के सामने प्रस्तुत करने की बात जनसंपर्क अधिकारी देवेश गोपाल ने कही है, हालांकि उन्होंने जानकारी देते हुए बताया है कि, डॉक्टरों की पदस्थापना को लेकर पूरा निर्णय चेन्नई से लिया जाता है.. दमोह के मिशन हॉस्पिटल में फर्जी कार्डियोलॉजिस्ट द्वारा किए गए ऑपरेशन में हुई मौतों के बाद, अपोलो प्रबंधन पर उठते सवालों ने उनकी गंभीरता पर सवाल खड़े कर दिए है, अपोलो में पदस्थापना के दौरान नरेंद्र विक्रमादित्य यादव द्वारा कितने ऑपरेशन किए गए और मरीजों की वर्तमान स्थिति क्या है, इसकी जानकारी सामने आना बाकी है, इतना ही नहीं फर्जी डॉक्टर की नियुक्ति 2006 में कैसे हुई और मात्र दो से तीन माह बाद प्रबंधन ने उन्हें बाहर क्यों निकाल दिया यह जांच का विषय है, क्या अपोलो प्रबंधन को डॉक्टर के फर्जी होने की भनक लग गई थी, या फिर अपोलो में डॉक्टरों को रिक्रूट करने वाली प्रबंधन की ओर से लापरवाही हुई थी, और अगर अपोलो प्रबंधन को डॉक्टर नरेंद्र विक्रमादित्य के फर्जी कार्डियोलॉजिस्ट होने की जानकारी लग गई थी तो क्या उन्होंने कानूनी कार्रवाई नहीं की, कई जानें जाने के बाद मामला फिर उठने के बाद कई सुलगते सवाल है जिनका सामने आना बाकी है..
