डेस्क खबरबिलासपुर

हाई कोर्ट ने जताई नाराजगी: कहा कलेक्टर का काम सफाई नहीं, अवैध उत्खनन रोकना है… ।
अवैध उत्खनन जारी रहा तो दोषी अधिकारियों पर होगी सख्त कार्यवाही .. कोर्ट ने दी अफसरों को चेतावनी …!




बिलासपुर: अरपा नदी के संरक्षण और अवैध उत्खनन को लेकर दायर जनहित याचिकाओं पर छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट में सुनवाई हुई, जिसमें चीफ जस्टिस रमेश कुमार सिन्हा और जस्टिस रविंद्र कुमार अग्रवाल की खंडपीठ ने प्रशासन पर कड़ी नाराजगी जताई। अदालत ने स्पष्ट रूप से कहा कि बिलासपुर कलेक्टर द्वारा नदी की सफाई के प्रयास महज दिखावा हैं और उनका असली दायित्व अवैध उत्खनन रोकने के लिए प्रभावी नीति बनाना है।

डीएम का काम फावड़ा चलाना नहीं: हाई कोर्ट

हाई कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि यदि कलेक्टर को सफाई करनी है, तो वे कलेक्टरेट छोड़कर सफाई कर्मचारी बन जाएं। चीफ जस्टिस ने कहा कि जिला मजिस्ट्रेट का कार्य नीतिगत निर्णय लेना है, न कि नदी में खुदाई करना। अदालत ने बिलासपुर कलेक्टर के प्रयासों को अपर्याप्त बताते हुए खनिज विभाग के सचिव से विस्तृत हलफनामा मांगा है।

प्रशासन की नाकामी पर नाराजगी

सुनवाई के दौरान महाधिवक्ता प्रफुल्ल एन. भारत ने अदालत को जानकारी दी कि राज्य सरकार ने अवैध उत्खनन, परिवहन और भंडारण रोकने के लिए एक छह सदस्यीय समिति का गठन किया है। इस समिति में खनिज विभाग के उपसंचालक और खनिज अधिकारी शामिल हैं। समिति को 30 दिनों के भीतर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया गया है। रिपोर्ट के आधार पर खनिज (विकास और विनियमन) अधिनियम के नियमों में बदलाव पर विचार किया जाएगा।

नदी पुनर्जीवन परियोजना पर हाई कोर्ट का आदेश

नगर निगम बिलासपुर के अधिवक्ता आर.एस. मरहास ने अदालत को सूचित किया कि स्ट्रीम इंफ्रा डेवलपमेंट कंसल्टेंट प्राइवेट लिमिटेड, पुणे द्वारा अरपा नदी पुनर्जीवन परियोजना की डीपीआर (विस्तृत परियोजना रिपोर्ट) तैयार कर ली गई है। मुख्य अभियंता, पीएचई विभाग द्वारा तकनीकी रिपोर्ट देने के बाद इसे अंतिम रूप दिया गया है और टेंडर की प्रक्रिया भी पूरी हो चुकी है। हाई कोर्ट ने नगर निगम आयुक्त को अगली सुनवाई में हलफनामे के माध्यम से विस्तृत जानकारी प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है।

अवैध उत्खनन पर सख्त कानून लाने का निर्देश

हाई कोर्ट ने राज्य सरकार से अवैध उत्खनन रोकने के लिए सख्त कानून लाने की मांग दोहराई। अदालत ने कहा कि मौजूदा जुर्माना और कम्पाउंडिंग व्यवस्था प्रभावी साबित नहीं हो रही है। हाई कोर्ट ने चेतावनी दी कि यदि अवैध उत्खनन की घटनाएं जारी रहीं, तो दोषी अधिकारियों और जिम्मेदार व्यक्तियों पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी।

इस पूरे मामले पर अगली सुनवाई 22 अप्रैल 2025 को निर्धारित की गई है।

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