बिलासपुर

बड़े जमीन होटल कारोबारी दीपेश चौकसे की जमानत हुई अदालत से खारिज ! भूमाफिया और कांग्रेसियों का लगा रहा जमावड़ा.! कोर्ट की फटकार के बाद पुलिस ने किया था मामला दर्ज ! एप्रोच के खिलाफ बिलासपुर पुलिस का प्रहार .!

बिलासपुर डेस्क खबर / शहर के बहु चर्चित सिद्धू आत्महत्या कांड में हाई कोर्ट के आदेश से दर्ज एफआईआर में गिरफ्तार होने के बाद अदालत में लगी नियमित जमानत याचिका विशेष न्यायाधीश राजभान सिंह ने निरस्त कर दी है। बता दे कि इसी मामले में कांग्रेस के नेता अकबर खान भी आरोपी है।

शहर के इस बहुचर्चित मामले में कांग्रेस नेता अकबर खान ने एक विवादित जमीन मीनाक्षी बंजारे से अपने कर्मचारी सिद्धू के नाम से खरीदने के लिए एग्रीमेंट की थी। जमीन विवादित निकलने पर सिद्धू को मीनाक्षी बंजारे से पैसा वापस लेने के लिए अकबर खान उसका साथी शिबू ऊर्फ फैजान और बड़ा कारोबारी दीपेश चौकसे प्रताड़ित कर रहे थे जबकि मीनाक्षी बंजारे सिद्धू को पैसा वापस नहीं लौटा रही थी। लगातार अकबर व उसके साथियों के दबाव के चलते सिद्धू बहुत परेशान था। मिली जानकारी के अनुसार सिद्धू का अकबर ने अपने साथियों के साथ मिलकर अपहरण कर पैसा वापस करने हेतु दबाव बनाया था। परेशान होकर सिद्धू ने आत्महत्या कर ली थी।

सिद्धू की आत्महत्या के बाद उसके माता-पिता लगातार पुलिस के अधिकारियों के अलावा मंत्रियों के चक्कर काटते रहे। डीजीपी से लेकर गृह मंत्री तक सिद्धू के माता-पिता ने गुहार लगाई। पर उस वक्त राज्य में कांग्रेस की सरकार होने के चलते अकबर खान दीपेश व अन्य पर अपराध दर्ज करने की हिम्मत तत्कालीन पुलिस अधिकारी नहीं जुटा पाए। गृह मंत्री तक दौड़ लगाने के बाद भी अपराध दर्ज नहीं होने पर निराश होकर मृतक सिद्धू नागवंशी के माता-पिता ने हाई कोर्ट में याचिका लगाई थी।

हाई कोर्ट में जस्टिस नरेंद्र कुमार व्यास की सिंगल बेंच ने तत्कालीन सीएसपी आईपीएस संदीप पटेल को अदालत में बुलवाकर जमकर फटकार लगाई थी। साथ ही अकबर खान, दीपेश चौकसे,मीनाक्षी बंजारे और शिबू ऊर्फ फैजान तथा अन्य के खिलाफ अपराध दर्ज करने के निर्देश दिए थे।

हाई कोर्ट के निर्देश से अपराध दर्ज होने के बाद भी दबाव में पुलिस आरोपियों की गिरफ्तारी नहीं कर रही थी। मृतक के परिजन लगातार पुलिस अफसर के सामने गुहार लगा रहे थे। राज्य में भाजपा की सरकार आने के बाद तत्कालीन पुलिस अफसरों का तबादला हो गया। जिसके बाद नए पदस्थ पुलिस अफसराे ने आरोपियों की तलाश शुरू करवाई।

शहर के जाने-माने बड़े कारोबारी दीपेश चौकसे की गिरेबान तक भी पुलिस के हाथ पहुंचे और दीपेश चौकसे की रायपुर से गिरफ्तारी कर ली गई। मामले में काफी दबाव भी आया पर पुलिस ने अदालत में पेश कर दीपेश चौकसे को जेल भेज दिया। आज दीपेश चौकसे की जमानत याचिका सत्र न्यायालय में लगी थी। विशेष न्यायाधीश राजभान सिंह की अदालत ने पुलिस की विवेचना पूर्ण नहीं होने और अन्य आरोपियों को फरार रहने का हवाला दे दीपेश चौकसे की जमानत याचिका खारिज कर दी।

कौन हैं दीपेश चौकसे:–

दीपेश चौक से शहर का बड़ा होटल व जमीन कारोबारी है। इसका व्यापार कई शहरों में फैला है। अकबर खान दीपेश चौकसे का पैसा विवादित जमीनों में लगाता था। कई कांग्रेसी नेताओं का संरक्षण दीपेश चौकसे को मिला हुआ था। जमानत अर्जी को सुनवाई के दौरान भी बड़ी संख्या में शहर के कांग्रेसी जिला न्यायालय में सारा दिन जमावड़ा लगाए रहें। वहीं कुछ मीडिया की खबरों के सूत्रों के अनुसार शहर के एक युवक को आत्महत्या करने के लिए मजबूर करने वाला आरोपी दीपेश चौकसे को गिरिफ्ञार नही करने के कारण बिलासपुर के IG से लेकर पुलिस कप्तान पर दबाव बनाने के लिए बड़े भूमाफिया से लेकर कांग्रेसी के बाद ias अफसर की तमाम कोशिसो के बाद बिलासपुर पुलिस ने कानून के हिसाब से अपना काम किया और आरोपी को जेल की सलाखों के पीछे पहुंचा कर साफ कर दिया की अपराध करने वाले आरोपियों को बक्शा नही जाएगा भले वो कोई भी हो .! सूत्रों की माने तो हाईकोर्ट के आदेश के बाद कानून के शिकंजे में आए आरोपी को बचाने के लिए एप्रोच लगाने वाले अफसर के तार उड़ीसा राज्य से जुड़े हुए है और उनके आरोपी से पारिवारिक संबंध बताए जा रहे है ?

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