आचार संहिता में सरकारी दफ्तर से शराब बाटने का मामला ..!
बड़ा सवाल ! लाखो की शराब वैध थी या अवैध ..!
दिनकर वासनिक क्यों मजबूर .? कौन करेगा कार्यवाही .?

बिलासपुर …प्रदेश के दूसरे सबसे बड़े शहर में आचार संहिता लागू होने के बाद भी आबकारी विभाग द्वारा लाखो रू की शराब बाटने की खबरे जमकर चर्चित रही ..l कई प्रतिष्ठित मीडिया और सोशल मीडिया द्वारा आबकारी विभाग द्वारा शराब बांटो अभियान की तस्वीरे और वीडियो भी खबरों के साथ प्रसारित किए गए ..
लेकिन उसके वावजूद इस मामले की जांच जिम्मेदार अफसरों द्वारा नहीं करवाई गई है और न ही चुनाव आयोग द्वारा इन दोषी अधिकारियों पर अब तक कोई सख्त कार्यवाही की गई है ?

वही इस मामले में मीडिया के किसी भी सवाल का जवाब देने के लिए सहायक आबकारी आयुक्त दिनकर वासनिक ने अपनी मजबूरी बता कर पूरे मामले से यह कह कर पल्ला झाड़ लिया की उन्हें मीडिया में बयान देने के लिए अधिकृत किया गया है ..आबकारी विभाग के जिम्मेदार पद पर बैठे सहायक आयुक्त के इस जवाब के बाद सवाल उठ रहे है .की यदि आबकारी विभाग में अवैध गतिविधियों की खबरे सामने आती है तो इस पर कार्यवाही कौन करेगा .? और मीडिया के सवालों का जवाब कौन देगा ..? और सबसे बड़ा सवाल की खबरों का सच कैसे बाहर आएगा .?

आचार संहिता नियमों की खुलेआम धज्जियां उड़ाते हुए आबकारी अधिकारियों की कंट्रोल रूम में महिला अधिकारी की मौजूदगी का वीडियो भी सामने आया था .
सूत्र और मीडिया की खबर बताते है कि होली के एक दिन पहले आबकारी विभाग के सरकारी दफ़्तर से लाखो रू की शराब अलग अलग ब्रांड की गैरकानूनी तरीके से बांटी गई ..
इस खबर के वायरल होने के बाद से सवाल उठ रहे है की लाखो रु की शराब किसके कहने पर बांटी गई .? शराब किस सरकारी शराब दुकान से खरीदी गई .? और खरीदी गई तो लाखो रू की शराब को भुगतान किसने किया और क्यों .? क्या किसी विशेष पार्टी के कहने पर शराब का सरकारी दफ्तर से खुलेआम वितरण किया गया .? और सबसे बड़ा सवाल यह है कि यह वैध शराब थी यह अवैध या फिर शराब प्रकरण में जब्त की गई सरकारी खजाने की शराबे थी ?

सवाल तो बहुत से खड़े हो रहे पर जवाब देने के लिए कोई तैयार नहीं है क्योंकि सहायक आबकारी आयुक्त दिनकर वासनिक को शासन ने मीडिया में बयान देने के लिए अधिकृत नहीं किया है आबकारी विभाग में चल रही अवैध और गैरकानूनी गतविधियो पर उठ रहे गंभीर सवालों का जवाब देने के लिए ऐसा सहायक आबकारी आयुक्त का कहना है ..। तो फिर सवाल है की सरकार द्वारा चलाई जा रही सरकारी शराब की दुकानों और आबकारी विभाग में चल रही गतिवाधियो का जवाब कौन देगा और जवाब नहीं मिलेगा तो लगातार सवाल खड़े होते रहेंगे और अधिकारी कटघरे में खड़े रहेंगे .? और शराब घोटाले में भूपेश सरकार को बदनाम करने में की तरह यह अधिकारी अब बीजेपी को बदनाम करते रहेंगे .?
गौरतलब है कि शराब घोटाले के मामले में आबकारी अधिकारियों को नोटिस जारी हुआ था जिसमे कहा गया था की अधिकारियों ने छत्तीसगढ़ आबकारी अधिनियम के प्रावधानों से हटकर रिश्वत समेत अन्य करों के भुगतान में कूटरचना कर बड़ी मात्रा में शराब के अवैध परिवहन में सहयोग किया है। इन्ही सभी आरोपो को लेकर बिलासपुर आबकारी सहायक आयुक्त सहित 3 डिशलरी सहित करीब 35 आबकारी अधिकारियों को नोटिस जारी हुआ था । और ईडी का भी आरोप है कि कांग्रेस राज में तकरीबन 2 हजार करोड़ का शराब घोटाला किया गया है ।
नोट ..सूत्रों से मिले वीडियो और तस्वीर
