डंका राम डेस्क/ छत्तीसगढ़/
लोकसभा चुनाव नजदीक है…. बीजेपी प्रदेश में अपने लोकसभा प्रत्याशियों की सूची को जारी करने में पहले ही बाजी मार चुकी है और चुनावी तैयारियों में जुट गई है…. इस बार भी बीजेपी ने अपनी विधानसभा वाली रणनीति के तहत ही लोकसभा चुनाव के लिए भी बिसात बिछाई हुई है…. उम्मीदवार के चयन से लेकर लोकसभा चुनाव को जीतने का मंत्र केंद्र के पास है…. और जब जैसी स्थिति होगी उसी के तहत बीजेपी मंत्र फूंक कर लोकसभा चुनाव में भी विजय श्री हासिल करेगी… हालाकि अभी बहुत कुछ स्पष्ट भले न हो लेकिन उम्मीदवारों के चयन और मुद्दो के बीच केंद्र की योजनाओं के जरिए वोट बैंक बढ़ाने की जुगत में बीजेपी अपना हर दांव चल रही है…. इसके उल्ट कांग्रेस की स्थिति दीन हीन ही बनी हुई है… 5 साल तक सत्ता में रही कांग्रेस के अंदर की चमक इस कदर फीकी पड़ रही है कि जिले बड़े कांग्रेसी नेता कांग्रेस को टाटा बाय बाय कर रहे है…
ये स्थिति केवल छत्तीसगढ़ में ही नही पड़ोसी प्रांत मध्यप्रदेश में भी है जहां कांग्रेस के दिग्गज नेता बीजेपी का दामन थाम रहे हैं…. ऐसे में राजनीतिक गलियारे से लेकर हर तरफ एक ही चर्चा चल पड़ी है कि जिस पार्टी आजादी से लेकर अब तक देश में राज किया उसकी चमक आखिर फीकी क्यों हो रही है??? पहले तो ऐसा कभी नहीं हुआ… भले कांग्रेस कई बार क्यों न हारी हो… लेकिन इस तरह के हालात पार्टी के अंदर कभी नही रही….
कई गुटो में बंटी कांग्रेस ने बीते बीते विधानसभा चुनाव में ऐतिहासिक जीत हासिल भले ही की हो… लेकिन ये इतिहास दुबारा दोहराया नही गया…. वजह साफ है कि सत्ता में आने के बाद कांग्रेस को लगा कि संस्कृति के ख्वाब के सहारे, तीज त्योहारों और बोरे बासी से सत्ता की मलाई फिर खाने मिल जायेगी…. ये सिर्फ और सिर्फ कांग्रेस का वहम ही था…
दरअसल कांग्रेस ने सत्ता में आते ही अपने ही पेड़ो की शाखाओं को ही काटना शुरू कर दिया… कांग्रेस ये भूल गई कि जिन शाखाओं में वह गुटबाजी की आरी चला रही है … उससे पेड़ फलेगा नही बल्कि सुख जायेगा….. और कुछ वैसा ही हुआ… कि सब कुछ बिखर गया….. हालत इतने ज्यादा खराब हो चले कि लोकसभा चुनाव के लिए बीजेपी के सामने उतारने मजबूत चेहरा ही कांग्रेस खड़ा नही कर पा रही है…एक बार पुराने चेहरों पर दांव की कोशिश… कांग्रेस करने जा रही है… जिन चेहरों को सामने लाया जा रहा है उनमें से कई तो पहले चुनाव लडने से मना कर चुके थे… लेकिन पार्टी के आदेशों के चलते भारी मन से राजी हो रहे है…. जाहिर है टूटे हुए हौसलों में उड़ान कहां से होगी….केवल चुनावी उम्मीदवारों की ही बात नही है सत्ता के समय बड़े पदों पर बैठकर मलाई खा चुके लोग भी जान रहे है कि वक्त की हवा का रुख जिस तरफ हो उसी तरफ मुड़ जाएं… वैसे कल तक जिस मुंह से कलफ वाली खादी पहनकर नेता जी बीजेपी को कोसते थे…. अब वही भगवा पहनकर तारीफो के कसीदे पढ़ेंगे…. खैर पब्लिक ऐसे नेता जी को बहुत अच्छे से जानती है….बावजूद इसके कांग्रेस को छोड़कर जाने वालों का सिलसिला जारी है…वैसे कांग्रेस के घर को खाली करने की वजह एक नही कई है…. ढाई ढाई साल के पहाड़े से लेकर, एक का गणित भी काम दोषी नहीं है….
अब सवाल यही है कि केंद्र के संगठन कम होता आकर्षण… कार्यकर्ताओं से लेकर नेताओ के घर छोड़कर जाने वाली लंबी सूची कांग्रेस को हताशा के समंदर में ले जा रही है…. बचे खुचे कांग्रेसियों में निराशा के बीच जबरदस्ती की फुर्ती भले दिख रही हो… लेकिन अंदर ही अंदर हर कोई पछतावे की इबारत को पढ़कर बस यही कह रहा है… कि काश लोग ऐसा न करते तो आज ये दिन न होते… हार जीत भले राजनीति के अखाड़े का हिस्सा रही हो…. लेकिन अपने घर को छोड़कर कोई नही जाता ….. बहरहाल ठोकर का सबक बहुत कुछ सीखा देता है… अब देखना है कि कौन इससे कितना सीख लेकर आगे बढ़ता है…. समझ गए तो ठीक है….