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जहां रेत माफिया कर रहे थे अवैध रेत उत्खनन… उससे कुछ दूरी पर खनिज विभाग के अधिकारी मना रहे थे पिकनिक!!!!!
अर्धनगन अवस्था में अधिकारियों का वीडियो आया सामने ..!





डंकाराम डेस्क / वैसे तो अवैध रेत उत्खनन और खनिज विभाग की हमजोली कोई नई बात नहीं है…. आए दिन इस तरह की खबरें जब तब सामने आती रहती है जब खनिज विभाग अवैध रेत का उत्खनन करने वाले रेत तस्करों के खिलाफ आंखे मूंदकर नदी का सीना छलनी होते देखता रहता है… कभी गाहे बगाहे दो चार गाड़ियां पकड़कर अपने मातहतों को खुश करने इस तरह की कार्यवाही कर देता है… लेकिन सच यही है कि खनिज विभाग की सरपरस्ती में रेत के अवैध उत्खनन का खेल चलता रहता है…



ताजा मामला है…जांजगीर चांपा जिले के देवरी नदी से हो रहे अवैध रेत के उत्खनन का है…. अवैध रेत उत्खनन और पिकनिक की जुगलबंदी की दास्तान आपको बताएं उससे पहले भाजपा के शासन में अधिकारी किस कदर बेपरवाह है इसकी बानगी है जांजगीर जिले का कलेक्टोरेट में स्थित खनिज विभाग का …यहां पर पदस्थ विभाग के अधिकारियों की बेफिक्री कुछ ऐसी है की कलेक्टर जांजगीर के द्वारा आदेश जारी कर अधिकारी कर्मचारियों को ये निर्देश दिए गए हैं की विधानसभा सत्र से पहले कोई भी अधिकारी कर्मचारी अवकाश पर नही जायेगा… विधानसभा सत्र की वजह से अधिकारी कर्मचारियों को जिला मुख्यालय में ही रहने के आदेश है… यहां तक अवकाश के दिन भी सभी को कार्यलय में रहने के निर्देश दिए गए है… लेकिन कलेक्टर के जारी आदेश का किस तरह से मजाक उड़ाया जा रहा है… उसका प्रमाण सामने आए इस वीडियो फोटो से लगाया जा सकता है…

जिसमे खनिज विभाग के अधिकारी देवरी नदी में पिकनिक मनाने पहुंचे हुए है… सबसे खास बात ये कि जिस जगह पर अधिकारी नदी में नहाने और पिकनिक मनाने का आनंद लेने पहुंचे है उससे कुछ दूरी पर अवैध रेत का उत्खनन हो रहा है… और परिवहन भी बेरोकटोक जारी है…ऐसा लगता है कि खनिज विभाग ने अवैध रेत उत्खनन और परिवहन पर अपनी आंखे बन्द कर ली है… या यूं कहे कि रेत तस्करो को कह दिया गया है कि जितना नदी का सीना चीरकर रेत निकलना है निकालो…. “देखते है कौन रोकता है”
तभी तो कुछ दूरी पर अवैध रेत उत्खनन और कुछ दूरी पर पिकनिक की मौज मस्ती चल रही है….


वैसे ये तस्वीर जांजगीर जिले की भले हो लेकिन खनिज विभाग के जिम्मेदारों की ये लापरवाही न्यायधानी में भी जारी है…. दिखावे को कार्यवाही के बीच खनिज विभाग की आखों में धूल झोंककर अवेध रेत की तस्करी करने वाले अरपा की छाती को छलनी करने में लगे है …. बात यही पर खत्म नहीं होती…जांजगीर जिले के अधिकारियों की तरह बिलासपुर के भी खनिज विभाग कम लापरवाह नही है… यहां के अधिकारी और कर्मचारी की ऑफिस में समय पर नही आने की इबारत लिखने के बाद दोपहर दो बजे लांच के बहाने ऐसे गायब होते है जैसे गधे के सिर से सींग…मतलब कूल कूल मस्ती …भले कई जिलों के कलेक्टर ने छट्टी में भी विधानसभा सत्र के मद्देनजर कैंसिल कर दी हो ..समय पर दफ्तर नही पहुंचना और पहुंचे भी तो दो बजे के बाद लंच के लिए जो गायब हुए तो फिर पतासाजी करने पर मालूम होगा कि साहब दौरे पर गए है…नदी के कौन से रेत घाट के दौरे पर है किसी को नहीं मालूम…. और मालूम करने की किसे पड़ी है…

ऐसा नहीं है इन पर लगाम कसने के लिए कई दफा बड़े अधिकारी अचानक छापामार शैली में इनके दफ्तर पहुंचते है डांट फटकार होती है फिर उसी ढर्रे पर सब कुछ चलता रहता है… बहरहाल नई सरकार में जिस तरह से नए चेहरों को जिम्मेदारी देकर सरकार साफ सुथरी छवि जनता के बीच लाने में जुटी है जरूरी यही होगा कि बेफिक्र, बेलगाम, हो चुके ऐसे गैर जिम्मेदारों को जो वर्षो से एक जगह पर जमे है…उन पर सरकार सख्ती के साथ ईमानदारी से काम करने का सबक पढ़ाए तो शायद इनके होश ठिकाने आ जाए….


और अंत में बड़ा सवाल यही है कि जिस तरह से सरकार परिवर्तन के बाद अवैध उत्खनन और बिना अनुमति के संचालित हो रहे क्रेशरो को सील किया गया वे इतने सालो तक आखिर किस के संरक्षण में संचालित हो रहे थे .? और करोड़ों रु के राजस्व का पैसा की भरपाई किससे की जायेगी …?और सबसे बड़ा सवाल है कि अवैध क्रेशर को संचालित करने वाले असली दोषी कौन है अधिकारी या क्रेशर मालिक ..?

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