मध्यप्रदेश

सरकारी आवास पर नया प्रयोग !
बोर्ड के बहाने मामा लाएंगे क्रांति?

डेस्क खबर …हालही में हुए विधानसभा चुनाव में आए परिणाम को देखकर भाजपा का केंद्रीय नेतृत्व मानकर चल रहा है कि तीन राज्यों छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश और राजस्थान में पार्टी की वापसी मोदी की गारंटी के कारण हुई। इस बात को पार्टी के बड़े-बड़े स्थानीय नेताओं ने मान भी लिया है। किसी को केंद्रीय मंत्री रहते चुनाव लड़ाया, कोई चौथी-पांचवीं बार जीतकर आया, मगर सिर्फ विधायक रह गए हैं-फिर भी खुश। नए लोगों को सीएम बना दिया गया, नये विधायकों को भारी-भरकम मंत्रालय दे दिये गए, फिर भी खामोशी से स्वीकार कर लिया। राजस्थान में तो पहली बार के विधायक सीएम बन गए। छत्तीसगढ़ में तो चलिये एक वरिष्ठ नेता को कमान सौंपी गई, पर मध्यप्रदेश में तीसरी बार के विधायक, जो शिवराज मंत्रिमंडल में मंत्री थे- उनके हाथ में सत्ता सौंपी गई है। सब देख रहे हैं कि केंद्रीय नेतृत्व का यह फैसला चौहान को खल रहा है। उन्होंने कल बयान दिया- कभी-कभी राजतिलक होते-होते वनवास मिल जाता है…। उन्होंने अपने सरकारी आवास पर एक नया बोर्ड लटकाया है, जिस पर लिखा है- मामा का घर। मीडिया के पूछने पर उन्होंने बताया कि मैं प्रदेश के बच्चों का मामा हूं, महिलाओं का भाई हूं। मेरा घर उनको ढूंढना न पड़े, इसलिये…। पर देखना यह है कि भांजे-भांजियों और बहनों से उनका यह अटूट लगाव लोकसभा चुनाव तक किस तरफ जाएगा। या फिर वे बाकी दो राज्यों के उपेक्षित नेताओं को कोई रास्ता तो नहीं बता रहे ?* पर मामा के इस बोर्ड के अपने अपने अपने मायने निकाले जा रहे है जिनकी चर्चा राजनैतिक गलियारों में खास बनी हुई है ।

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