बिलासपुर।जिले का खाद्य विभाग प्रदेश के दुसरे जिलों के खाद्य विभागों की तुलना में सबसे भ्रष्ट विभाग हो यह कहना गलत ना होगा, कारण है विभागीय अधिकारियों के रवैए और कार्यप्रणाली की.. गरीबों के पेट पर डाका डालकर चावल चोरी करने वाले दुकानदारों को संरक्षण जिस तरह से बिलासपुर के खाद्य विभाग में पदस्थ खाद्य अधिकारी और अलग-अलग क्षेत्र की जिम्मेदारी संभाल रहे खाद्य निरीक्षकों द्वारा दिया जा रहा है उसे यह कहना गलत ना होगा कि चोरी करने वाले की कटोरी में जितनी मलाई एकत्रित हो रही होगी उस पर से मलाई का कुछ जूठन इनके भी हिस्से में गिर रहा होगा.. लंबे समय तक मामले को लटका कर रखना और दुकानदारों को चोरी के बाद भी संरक्षण देना बिलासपुर के खाद्य विभाग से ज्यादा शायद ही कोई दूसरा विभाग इस कार्य में निपुण होगा..
ताजा मामला मस्तूरी के पेंड्री ग्राम पंचायत का है जहां कुछ दिनों पहले खाद्य निरीक्षक अजय मौर्य द्वारा शिकायत के बाद छापामार कार्रवाई की गई थी इस दौरान दुकान में 153 क्विंटल चावल का अंतर मिला था लेकिन एसडीएम ने कार्रवाई करने के बजाए दुकानदार को 1 हफ्ते का समय दिया था लेकिन संरक्षण की आदत पा चुके दुकानदार ने ईमानदारी दिखाने के बजाय फिर से आदतन चोरी की प्रक्रिया को अपनाई कुछ दिनों बाद फिर एक बार आजय मौर्य 2 दिन पहले पेंड्री ग्राम पंचायत जांच के लिए पहुंचे जहां इस बार मामला और बढ़कर 155 क्विंटल के अंतर का हो गया जिसके बाद मस्तूरी एसडीएम ने आनन-फानन में दुकान को निलंबित कर दिया लेकिन दुकानदार की मजाल तो देखें निलंबन के बावजूद भी राशन बांटने की प्रक्रिया निरंतर जारी है और बांटने के साथ-साथ बंदरबांट भी चल रहा है ऐसे में विभागीय अधिकारियों पर सवाल उठना लाजमी है कि एक बार जांच होने के बाद आखिर तुरंत कार्रवाई क्यों नहीं की गई थी दुकानदार को बचाने के चक्कर में उसे मोहलत दे दी गई और इस दौरान उसने फिर अपनी फितरत दिखाते हुए अपना उल्लू सीधा कर लिया, मजे की बात यह है कि दुकान निलंबित हो चुकी है और अभी भी दुकानदार बढ़िया राशन वितरण का कार्य कर रहा है और विभागीय अधिकारी स्थानीयों को कार्रवाई की बड़ी-बड़ी बातें कहते नजर आ रहे हैं..
शहर में केंद्र सरकार से मिलने वाली अतिरिक्त चावल की बंदरबांट खुलेआम की जा रही है लेकिन खाद्य अधिकारी अनुराग सिंह भदौरिया और शहर निरीक्षक मनोज बघेल के लापरवाही और उदासीनता के चलते दुकानदारों की चांदी कट रही है या फिर यह कहे कि संरक्षण का खेल जिस तरह पुराने अधिकारियों के कार्यकाल में चल रहा था उस तरह भदौरिया और बघेल के कार्यकाल में चल रहा है.. शहर खाद्य निरीक्षक की जिम्मेदारी संभाल रहे मनोज बघेल ने केंद्र सरकार से मिलने वाले अतिरिक्त चावल पर डाका डालने वाले दुकानदारों के खिलाफ एक भी कार्यवाही नहीं की गई लेकिन इस दौरान विभाग द्वारा गठित टीम ने कई कार्रवाई कर दी और मनोज बघेल के ही कार्य क्षेत्र से कई दुकानदारों को निलंबित और चावल चोरी के मामले में पकड़ने पर नोटिस जारी किया है..
कई मामलों में खाद्य निरीक्षक बघेल द्वारा अपने काम में लापरवाही बरतते देखा गया है इतना ही नहीं दुकानदारों को संरक्षण देने के मामले में भी मनोज बघेल पूरे शहर में बदनाम हो चुके हैं लेकिन पूर्व प्रभारी खाद्य अधिकारी राजेश शर्मा से लेकर वर्तमान खाद्य अधिकारी अनुराग भदौरिया तक सबको संतुलित करके चलना शायद मनोज बघेल की सबसे बड़ी खूबी है इसलिए तो शहर का एक बड़ा हिस्सा इन के अंतर्गत आता है लेकिन कार्रवाई के नाम पर महीनों बीत जाते हैं और साहब सब कुछ संतुलित कर आराम से मलाई खाते नजर आते हैं..