सिरगिट्टी क्षेत्र में बढ़ता कबाड़ का काला कारोबार । उपनिरीक्षक की भूमिका संदिग्ध । जानिए क्या है अवैध वसूली का काला सच ।
बिलासपुर । जिले में कबाड़ का व्यवसाय खूब फल फूल रहा है । चंद पैसों के लालच में नाबालिक से लेकर महिलाये भी सरेआम चोरी की वारदात को अंजाम देकर चोरी का माल कबाड़ियों के यहाँ खपा कर अपना जीवन यापन कर रहे है । बिलासपुर का सिरगिट्टी थाना क्षेत्र में तो कबाड़ियों का सैलाब आया हुआ है । नामचीन कबाड़ी व्यवसायी का सिरगिट्टी इलाके में उपनिरीक्षक की आड़ में सेटिंग के साथ कबाड़ का धंधा उफान पर है । एक तरफ जहां जिले की महिला कप्तान इस अवैध मामले में गम्भीर नजर आ रही है और अपने मुखीबर के जरिये कबाड़ पर अंकुश लगाने का भरकश प्रयास कर रही है । तो थाने के प्रभारी फैजुल शाह इनको सरक्षण देने में कोई गुरेज नही कर रहे है । एक उपनिरीक्षक का इतना इतना दबदबा की मस्तूरी थाने में अपने सहयोगी वर्दीधारियों की टीम भी अपने साथ सिरगिट्टी ले आये । पहले भी रात में नो एंट्री के नाम पर रोज लाखो रु की वाहनों से अवैध वसूली का भी आरोप लगने के बाद तत्कालीन एसपी दीपक झा ने कार्यालय में बुलाकर इस उपनिरीक्षक को जमकर फटकार लगाई थी । पुख्ता सूत्रों की माने एक आरक्षक जो लाइन अटैच किया गया था लेकिन उपनिरीक्षक ने उच्च अधिकारियों को अंधेरे में रखकर इस वर्दीधारी को अपने थाने में पदस्थ कर भरपूर उगाही करवाई । ये बात अलग है कि बाद में इस सिपाही की पोस्टिंग सिरगिट्टी थाने में हो गई । उपनिरीक्षक के थाना क्षेत्र में कबाड़ी फल फूल रहे है जिनका काम बड़े जोरो पर चल रहा है।उस पर थाना की नजर नही है।जबकि उपनिरीक्षक के इलाके में नामचीन कबाड़ी है जो खुलेआम कबाड़ की आड़ में चोरी का माल खरीदकर मोटी रकम कमा रहे है इसके पहले भी अभी हाल में पूरे शहर में कबाड़ियों पर नकेल कसी गई थी।पर सिरगिट्टी क्षेत्र के इन कबाड़ियों पर पुलिस महकमा मेहरबान नजर आया और इनको अभयदान देते हुए कोई कार्रवाई नही की गई।जबकि इनका इतिहास थानों की रजिस्टर पंजी मे भरा हुआ। पूर्व में अपने कारनामो से चर्चित फैजुल शाह पर उच्चाधिकारियी क्यो मेहरबान है ये समझ से परे है ? कोरोना काल मे जहरीली शराब से हुई मौतों का मामला हो या आपसी रंजिश में खूनखराबा की वारदात हो या फिर महिला सबंधित जमीन सम्बंधित मामले हो हर बार थाने के घेराव और मीडिया द्वारा खुलासे एवम खाकी की किरकिरी के बाद ही थाना प्रभारी साहब मामले में संज्ञान लेते है। सूत्रों की माने तो छोटी मछिलयों पर कार्यवाही कर ये बड़ी मछलियों को खूलेआम सरंक्षण दे रहे है । जिले में तमाम काबिल निरीक्षक होने के बाद भी उपनिरीक्षक की बार बार महत्वपूर्ण थाने में कमान देने की क्या मजबूरी है ये तो उच्चाधिकारी ही जाने। यदि उच्चाधिकारी जरा भी ध्यान देंगे तो पता चल ही जायेगा कि आखिर अवैध कारोबार में लिप्त बड़े सफेदफोश और नामचीन कबाड़ियों और अपराधियों को आखिर क्यों अपना कारोबार क्यो सिरगिट्टी शिफ्ट करना पड़ा ?