प्रधानमंत्री मोदी की सख्त नसीहत के बाद भी जांजगीर पुलिस पर सवाल ! 78 लाख लूट अनसुलझी, तो खेतों में चल रहा लाखों का जुआ खुलेआम ! वीडियो हुआ वायरल ,पुलिस की साख लगी दांव पर ??


डेस्क खबर ../ रायपुर में आयोजित 60वीं अखिल भारतीय डीजीपी–आईजीपी कॉन्फ्रेंस के पहले दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देशभर की पुलिस को जनता का विश्वास जीतने पर जोर दिया और कहा कि पुलिस की अच्छी छवि बेहद जरूरी है। लेकिन जांजगीर-चांपा जिले की जमीनी तस्वीर इस संदेश की गंभीरता को कटाक्ष में बदल देती है। जिले में न तो बड़ा अपराध सुलझ रहा है और न ही छोटे अपराध थम रहे हैं। नतीजा यह कि जिले की कानून-व्यवस्था पर गंभीर सवाल लगातार उठ रहे हैं।सबसे बड़ा सवाल 78 लाख के लूटकांड से जुड़ा है। 14 जनवरी 2025 की शाम सरकारी शराब दुकान के सामने बदमाशों ने कलेक्शन टीम को निशाना बनाया था। गार्ड को गोली मारकर कैश बैग लूटा और नीली बाइक से फरार हो गए। तत्कालीन एसपी विवेक शुक्ला से लेकर वर्तमान एसपी विजय पांडे तक—दोनों के कार्यकाल में नौ महीने की जांच के बावजूद पुलिस के हाथ खाली हैं। CCTV खंगाले गए, कई जिलों में दबिश, संदिग्धों के स्केच और यहां तक कि आरोपी की गिरफ्तारी पर 5 लाख का इनाम भी घोषित…फिर भी अपराधी न जाने कहां गायब हो गए। जांच जस की तस खड़ी है और पुलिस की विश्वसनीयता सवालों के घेरे में।

दूसरी तरफ जुआ नेटवर्क पुलिस की नाक के नीचे फल-फूल रहा है। शाम ढलते ही पिसौद, पीथमपुर, उदयबन समेत कई गांवों के खेतों में जुए की महफिल सजी रहती है। मोटरसाइकिलें कतार में खड़ी, ताश की गड्डियां खुलती हैं और दांव लाखों में लगते हैं। हाल ही में वायरल वीडियो ने इस संगठित नेटवर्क का खुला सच सामने ला दिया। शिकायतें सालों पुरानी हैं, लेकिन स्थिति में सुधार नहीं। स्थानीय लोगों का आरोप है—पुलिस गश्त आती है तो फड़ बदल जाता है, और अगले ही दिन फिर चालू।

हालांकि पुलिस समय-समय पर कार्रवाई करती रही है। रमन नगर में छापेमारी कर छह पटवारी समेत आठ जुआरी गिरफ्तार हुए थे, बीस लाख से अधिक की रकम जब्त भी हुई थी। पामगढ़, चांपा, मुलमुला और पीथमपुर में कई कार्रवाइयाँ दर्ज हुईं। लेकिन परिणाम उम्मीदों के विपरीत हैं—जुआ नेटवर्क उतनी ही तेजी से फैल रहा है जितनी तेजी से वह ठिकाना बदलता है। इन दोनों मामलों ने पुलिस की छवि को लेकर जनता की चिंता बढ़ा दी है। जब बड़ा अपराध सुलझे नहीं और छोटे अपराध रुके नहीं, तो कैसे लौटेगा विश्वास? प्रधानमंत्री की मंशा स्पष्ट है—पुलिस को जनता की नजर में मजबूत होना होगा। लेकिन जांजगीर में नतीजे उलटे दिखाई देते हैं—विश्वास कम और अविश्वास बढ़ता हुआ। कहने भर से छवि नहीं सुधरती, उसे सुधारने के लिए कामयाबी चाहिए—और फिलहाल जांजगीर पुलिस को हर मोर्चे पर उसी कामयाबी की दरकार है।