विधायक शकुंतला सिंह पोर्ते के जाति विवाद में नया मोड़,SDM द्वारा जारी दस्तावेज़ों ने बढ़ाई हलचल।


डेस्क खबर बलरामपुर../ प्रतापपुर विधानसभा की विधायक शकुंतला सिंह पोर्ते के जाति प्रमाण पत्र विवाद में मंगलवार को बड़ा बदलाव देखने को मिला, जब विधायक ने स्वयं सामने आकर लगाए गए सभी आरोपों को निराधार और भ्रामक बताया। मीडिया के समक्ष आधिकारिक दस्तावेज प्रस्तुत करते हुए उन्होंने कहा कि “सच्चाई बहुत जल्द सबके सामने होगी।”

*पुराने अभिलेखों ने बदली जांच की दिशा*
अनुविभागीय अधिकारी वाड्रफनगर द्वारा जारी आदेश में यह स्पष्ट हुआ है कि विधायक का जाति प्रमाण पत्र दायरा पंजी क्रमांक 671/ब-121/2001-02 में दर्ज है। यह प्रमाण पत्र 11 जुलाई 2001 को जारी हुआ था।
प्रमाण पत्र में पिता और पति दोनों के विकल्प दर्ज होने की पुष्टि भी प्रशासनिक दस्तावेज़ों में मिली है।

*विधायक का पक्ष*
दस्तावेज़ों की प्रतियां मीडिया को सौंपते हुए विधायक शकुंतला सिंह पोर्ते ने कहा—
“हमारे द्वारा सभी प्रमाण सही और विधिसम्मत तरीके से प्रस्तुत किए गए हैं। कुछ लोग जानबूझकर गलत सूचनाएं फैलाकर भ्रम पैदा कर रहे हैं। जिला समिति से हमने सूक्ष्म और गहन जांच की मांग की है।”

*आयोग क़े पूर्व अध्यक्ष और विधायक के बयान में विरोधाभास*
जाति सत्यापन समिति के पूर्व अध्यक्ष ने दावा किया है कि समिति ने तीन बार नोटिस जारी किया था, पर विधायक उपस्थित नहीं हुईं।
वहीं विधायक का कहना है कि—
“मेरे और मेरे अधिवक्ता द्वारा सभी नोटिसों का विधिवत जवाब दिया गया है। अनुपस्थिति का आरोप गलत है।”
*व्यक्तिगत स्वार्थ पूरी नहीं हुई तो विधायक की छवि धूमिल करने का किया जा रहा है प्रयास।*
पार्टी पदाधिकारियों की माने तो उन्होंने मीडिया से चर्चा करते हुए कहा कि विधायक की छवि धूमिल करने का प्रयास किया जा रहा है।जाति प्रमाण पत्र से संबंधित मामला अगर न्यायालय है तो न्यायालय पर लोगों को भरोसा करना चाहिए पूरे मामले में भोले-भाले गग्रामीणों को गुमराह कर शक्ति प्रदर्शन कराया जा रहा है जबकि विधायक के ऊपर लगे आरोप अगर सही है तो न्यायालय डिसीजन का इंतजार आवेदको को करना चाहिए कुछ व्यक्तिगत स्वार्थ के लोग छवि धूमिल करने का प्रयास कर रहे हैं।
*शिकायतकर्ताओं में नाराज़गी*
बड़ी संख्या में शिकायतकर्ता आज वाड्रफनगर पुलिस चौकी पहुंचे जिसमे कांग्रेस नेता शिवभजन सिंह मरावी ने कहा कि निर्वाचन नामांकन के दौरान आपत्ती लगाया गया था परंतु राजनीतिक दबाव में कुछ नहीं हो सका। उन्होंने यह भी कहा कि हमारे कुछ लोग न्यायालय में मामला लेकर गए हैं लेकिन आज तक वहां भी कोई निर्णय नहीं मिल पाया है उन्होंने आरोप लगाते हुए यह भी कहा कि शासन प्रशासन पर अब संदेह होता है हम लोगों को ऐसे ही बस घुमाया जा रहा है। उन्होंने यह कहा कि यही कारण है कि आज हम लोग पुलिस के पास आए हैं अगर हमारा काम सही मायने में नहीं होता है तो आगे भी रणनीति तैयार किया जाएगा। शिकायतकर्ताओं ने तत्कालीन एसडीएम और संबंधित व्यक्तियों पर एफआईआर दर्ज करने की मांग का ज्ञापन भी सौपा है।
*जांच समिति के पास सुरक्षित है पूरा प्रकरण*
फिलहाल संपूर्ण मामला जिला स्तरीय जाति प्रमाण-सत्यापन समिति के पास सुरक्षित है। अधिकारी पुराने रिकॉर्ड और अभिलेखों के आधार पर मामले की गहराई से जांच कर रहे हैं।
