

डेस्क खबर बिलासपुर। खाद्य विभाग के विभागीय संरक्षण में सत्ता की आड़ में गरीबों को दिए जाने वाले सरकारी चावल की बिलासपुर जिले के शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में जमकर कालाबाजारी की जा रही है । जिले की अधिकांश राशन दुकानों में चावल के बदले नगद पैसा देने का मामला थमने का नाम नहीं ले रहा है । गरीबों हिस्से का अनाज के बदले अधिकांश राशन दुकानदारों ने संगठित होकर अपना एक गिरोह बना लिया है और यह संगठित गिरोह खुलेआम चावल के बदले हितग्राहियों को नगद पैसा देते हुए कैमरे में कैद भी हो रहे है । तमाम पुख्ता प्रमाण होने के बाद भी जिले के खाद्य नियंत्रक अमृत कुजूर राशन दुकानदारो के इस कृत्य के लगाम लगाने में असफल साबित हो रहे है । ताजा वीडियो चांटीडीह स्थित मां बूढ़ी माई स्व सहायता समूह का है जहां फिर एक दुकानदार चावल के बदले नगद पैसा देते हुए कैमरे में कैद हो गया वीडियो देने वाले सूत्र का दावा है कि इस दुकान के चावल के एवज में 750 रु नगद पैसा देकर चावल को सिरगिट्टी और शनिचरी इलाकों में ऊंचे दामों में खपा कर जमकर मुनाफाखोरी की जाती है । ऑटो ,पिकअप से लेकर ट्रकों में सरकारी चावल को दूसरी बोरियो में भरकर खुलेआम बाजारों में आता जाता अक्सर देखा जा सकता है ।


सरकारी चावल घोटाले में विभागीय संरक्षण का खुलासा: BJP नेता सहित कई पर कार्रवाई लंबित, जांच रिपोर्ट दबाई गई
बिलासपुर में सरकारी राशन वितरण में बड़े घोटाले का मामला लगातार सुर्खियों में है। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, भाजपा कार्यकर्ता गोविंद नायडू और ऋषि उपाध्याय अपने पुत्र सहित सरकारी दुकान में चावल के बदले नगद पैसा लेते हुए कैमरे में स्पष्ट रूप से कैद हुए थे। तत्कालीन कलेक्टर अवनीश शरण के निर्देश पर तत्कालीन खाद्य नियंत्रक अनुराग भदौरिया ने मामले की विभागीय जांच कर अपने प्रतिवेदन में इस कृत्य को दंडनीय अपराध माना था। जांच में जय महालक्ष्मी महिला स्व-सहायता समूह के संचालक ऋषि उपाध्याय, उनकी पत्नी सत्यशीला उपाध्याय और सचिव पुष्पा दीक्षित को दोषी पाया गया था और इनके खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की अनुशंसा बिलासपुर कलेक्टर से की गई थी।
हालांकि, विभागीय और राजनीतिक संरक्षण के चलते अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है। वर्तमान खाद्य नियंत्रक अमृत कुजूर ने तीन महीने बीत जाने के बाद भी जांच रिपोर्ट कलेक्टर कार्यालय को नहीं भेजी है। इतना ही नहीं, सूचना के अधिकार के तहत मांगी गई जानकारी में भी विभाग ने वरिष्ठ पत्रकार को जानबूझकर जांच रिपोर्ट नहीं सौंपी।
विभागीय सूत्रों का कहना है कि अनुराग भदौरिया की रिपोर्ट के आधार पर दुकान को निलंबित किया गया था, परंतु जय महालक्ष्मी महिला समूह ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर विभागीय आदेश को चुनौती दी। इसके बावजूद खाद्य विभाग के अधिकारियों ने अदालत में वही जांच रिपोर्ट पेश करना उचित नहीं समझा, जिस पर कार्रवाई की गई थी।
सूत्रों के मुताबिक, विभाग के कुछ अधिकारी अपने स्वार्थ के चलते गरीबों को मिलने वाले सरकारी चावल की तस्करी करने वालों को संरक्षण दे रहे हैं। यहां तक कि वे छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट, बिलासपुर कलेक्टर और हाल ही में आए खाद्य आयोग के अध्यक्ष को भी गुमराह कर रहे हैं। यह मामला विभागीय भ्रष्टाचार और राजनीतिक संरक्षण की गहराई को उजागर करता है।

गौरतलब है कि राशन दुकानदारों ने शहरी क्षेत्र में अपना अध्यक्ष ऋषि उपाध्याय को बनाया हुआ है जो खुद चावल के बदले नगद पैसा देते हुए कैमरे में कैद हुआ था और विभागीय जांच में भी तत्कालीन खाद्य नियंत्रक ने ऋषि उपाध्याय उसकी पत्नी सत्यशीला उपाध्याय और सचिव पुष्पा दीक्षित के कृत्य को दंडनीय अपराध मानते हुए आवश्यक वास्तु अधिनियम की धारा 3/7 के तहत मामला दर्ज करने का प्रतिवेदन भी तैयार किया था लेकिन वर्तमान में खाद्य नियंत्रक अमृत कुजूर जांच रिपोर्ट की फाइल दबा के बैठे हुए है और सूचना के अधिकार के तहत भी जानकारी देने में आनाकानी करते हुए बीजेपी कार्यकर्ता और अध्यक्ष ऋषि उपाध्याय को बचाने का हरसंभव प्रयास करते हुए नजर आ रहे है । शायद यही वजह है विभागीय संरक्षण और सत्ता की आड में जिले में दुकानदार जमकर सरकारी चावल की कालाबाजारी कर जमकर मुनाफा कमा रहे है और सरकार की छबि खराब कर रहे है ।
गौरतलब है प्रदेश की न्यायधानी बिलासपुर जिले के सीपत क्षेत्र से भाजपा जिला उपाध्यक्ष राज्यवर्धन कौशिक के भाई धनवंतरी भूषण कौशिक को पीडीएस चावल चोरी कर खुले बाजार में बेचने की कोशिश करते ग्रामीणों ने रंगे हाथ पकड़ लिया था यह चोरी का खेल सीपत थाने से महज़ 50 कदम की दूरी पर चल रहा था । और हालाही में सिटी कोतवाली पुलिस में आईपीएस ने भी सरकारी चावल की बोरियो को जप्त कर मामले में खाद्य विभाग को प्रतिवेदन जारी किया था । तमाम पुख्ता लंबित मामलों में खाद्य विभाग का सुस्त रवैया और संरक्षण जो स्थानीय प्रशासन और खाद्य विभाग की विभागीय कार्यशैली पर भी गंभीर सवाल खड़ा करता है। जनता अब यह देखने को बेताब है कि जब नेता का परिवार ही गरीबों का हक लूटे, तो कानून कितनी ईमानदारी से न्याय देता है।


अगले अंकों में ..सूचना के अधिकार का क्या मिला जवाब ?? कौन कर रहा है हाईकोर्ट , कलेक्टर, और खाद्य आयोग के अध्यक्ष को गुमराह ?? किस अधिकारी का मिला हुआ है चावल तस्करो को विभागीय संरक्षण ??? कहा और कैसे खपता है सरकारी चावल ?? पुख्ता प्रमाण के साथ अगले अंकों में .!!