डेस्क खबरबिलासपुर

पार्ट –24 : राशन घोटाला: गरीबों का निवाला बेच नेताजी भर रहे थे जेब: भाजपा जिला उपाध्यक्ष का भाई पीडीएस चावल चोरी करते रंगे हाथ पकड़ाया , थाने के पास चल रहा था खेल ! किसका है चावल चोरों को राजनैतिक और विभागीय संरक्षण .???


डेस्क खबर बिलासपुर। सत्ता की आड़ में गरीबों के हिस्से का अनाज चुराने का शर्मनाक मामला प्रदेश की न्यायधानी बिलासपुर जिले के सीपत क्षेत्र से सामने आया है। यहाँ भाजपा जिला उपाध्यक्ष राज्यवर्धन कौशिक के भाई धनवंतरी भूषण कौशिक को पीडीएस चावल चोरी कर खुले बाजार में बेचने की कोशिश करते ग्रामीणों ने रंगे हाथ पकड़ लिया। यह चोरी का खेल सीपत थाने से महज़ 50 कदम की दूरी पर चल रहा था, जो स्थानीय प्रशासन और खाद्य विभाग की विभागीय कार्यशैली पर भी गंभीर सवाल खड़े करता है।


सूत्रों के मुताबिक, भूषण कौशिक लंबे समय से अपने भाई के राजनीतिक रसूख का इस्तेमाल करते हुए गरीबों का अनाज अवैध रूप से बाजार में बेच रहा था। बुधवार शाम ग्रामीणों को संदेह हुआ कि एक पिकअप वाहन में बड़ी मात्रा में पीडीएस चावल लादकर कहीं ले जाया जा रहा है। ग्रामीणों ने गाड़ी को रोका और जांच करने पर सैकड़ों क्विंटल चावल बरामद हुए। इसके बाद ग्रामीणों ने आरोपी भूषण कौशिक और उसके ड्राइवर को पकड़कर सीधे सीपत थाने में सौंप दिया।



जानकारी के अनुसार, घटना के बाद आरोपी के भाई राज्यवर्धन कौशिक ने अपने राजनीतिक प्रभाव का इस्तेमाल करते हुए पुलिस और ग्रामीणों पर दबाव बनाने की कोशिश की। मगर जनता के तीखे तेवरों के आगे नेताजी की दादागिरी बेअसर रही। ग्रामीणों के आक्रोश और एकजुटता के कारण पुलिस को दोनों आरोपियों के खिलाफ मामला दर्ज करना पड़ा।


अब सवाल यह उठ रहा है कि क्या यह मामला सिर्फ औपचारिक कार्रवाई तक सीमित रहेगा या फिर वास्तव में कड़ी कानूनी कार्यवाही होगी। ग्रामीणों का कहना है कि यह घटना सत्ता और प्रशासन की नाकामी का आईना है। जनता अब यह देखने को बेताब है कि जब नेता का परिवार ही गरीबों का हक लूटे, तो कानून कितनी ईमानदारी से न्याय देता है।



गौरतलब है कि बीजेपी कार्यकर्ता गोविन्द नायडू और ऋषि उपाध्याय अपने पुत्र सहित सरकारी दुकान में चावल के बदले नगद पैसा देते हुए कैमरे में कैद हुआ था लेकिन विभागीय और राजनैतिक संरक्षण के चलते अभी तक तत्कालीन कलेक्टर अवनीश शरण के निर्देश के बाद तत्कालीन खाद्य नियंत्रक अनुराग भदौरिया ने विभागीय जांच में अपने प्रतिवेदन में शहर में संचालित सरकारी राशन दुकान जय महालक्ष्मी महिला समूह के ऋषि उपाध्याय उसकी पत्नी सत्यशीला उपाध्याय और सचिव पुष्पा दीक्षित के कृत्य को दंडनीय अपराध मानते हुए सभी के खिलाफ मामला दर्ज करवाने के लिए बिलासपुर कलेक्टर से अनुशंसा भी की थी लेकिन विभागीय संरक्षण और राजनैतिक दबाव के चलते बिलासपुर खाद्य नियंत्रक अमृत कुजूर तीन महीने बीत जाने के बाद भी अभी तक जांच रिपोर्ट बिलासपुर कलेक्टर को नहीं भेज पाए है .?? इतना ही नहीं सूचना के अधिकार के तहत मांगी गई जानकारी में भी वरिष्ठ पत्रकार को ऋषि उपाध्याय की समिति के खिलाफ विभागीय जांच की रिपोर्ट जानबुझकर नहीं दी गई है । विभागीय सूत्रों की माने तो तत्कालीन खाद्य नियंत्रक अनुराग भदौरिया की जांच रिपोर्ट के आधार पर दुकान पर निलंबन की भी कार्यवाही की गई थी लेकिन जय महालक्ष्मी महिला समूह ने निलंबन के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर खाद्य विभाग के आदेश को चुनौती दी थी लेकिन विभागीय संरक्षण के चलते बिलासपुर खाद्य विभाग के अधिकारियों ने जिस जांच रिपोर्ट के आधार पर दुकान को सस्पेंड किया था वह जांच रिपोर्ट भी कोर्ट में पेश करना मुनासिब नहीं समझा । विभागीय सूत्रों ने नाम ना छापने की शर्त में बताया कि खाद्य विभाग के अधिकारियों के संरक्षण में गरीबों को दिए जाने वाले सरकारी राशन की दुकानों से जमकर सरकारी चावल की तस्करी की जा रही है लेकिन विभाग में बैठे कुछ अधिकारी अपने स्वार्थ में छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ,बिलासपुर कलेक्टर और अभी हालही में बिलासपुर दौरे पर आए खाद्य आयोग के अध्यक्ष  को भी गुमराह कर चावल तस्करो को विभागीय संरक्षण दे रहे है   .???



अगले अंकों में ..सूचना के अधिकार का क्या मिला जवाब ?? कौन कर रहा है हाईकोर्ट , कलेक्टर, और खाद्य आयोग के अध्यक्ष को  गुमराह ?? किस अधिकारी का मिला हुआ है चावल तस्करो को विभागीय संरक्षण ??? कहा और कैसे खपता है सरकारी चावल ?? पुख्ता प्रमाण के साथ अगले अंकों में .!!

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