

डेस्क खबर ../ बिलासपुर को न्यायधानी कहा जाता है, लेकिन शुक्रवार को शहर के बीचोंबीच जो घटना हुई उसने इस पहचान को कटघरे में खड़ा कर दिया। सिविल लाइन थाना क्षेत्र के नेहरू चौक के पास, राजेंद्र नगर स्कूल के सामने, एक कॉलेज छात्र पर दिनदहाड़े हमला किया गया। आरोपी युवक ने पहले छात्र को गालियां दीं और फिर बेल्ट व लात-घूंसों से बेरहमी से पिटाई कर दी। बीच सड़क में चल रहे इस बेरहम पिटाई से तो यही लगता है कि वीआईपी थाना क्षेत्र में भी बदमाशों के अंदर से पुलिस का खौफ खत्म हो गया है ।
हमले की पूरी वारदात चंद मिनटों में अफरा-तफरी मचाने वाली थी। सड़क पर मौजूद लोग तमाशबीन बने रहे। किसी ने बीच-बचाव की हिम्मत नहीं दिखाई। कुछ ने इस घटना को अपने मोबाइल कैमरे में कैद किया और वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया। यही वीडियो पुलिस तक भी पहुंचा। हैरानी की बात यह है कि फुटेज में 112 के साथ पुलिसकर्मी भी दिखे, फिर भी 24 घंटे बाद तक आरोपी की पहचान और गिरफ्तारी को लेकर थाना प्रभारी “अनजान” बने हुए है। इस मामले में न तो सिविल लाइन पुलिस स्पष्ट जानकारी दे पा रही है और न प्रेस विज्ञप्ति में ऐसी कोई घटना का जिक्र आला अफसरों ने किया है । अब देखना है होगा कि इस वीडियो को अब पुलिस कितनी गंभीरता से कितनी जल्दी लेकर आरोपी के खिलाफ कार्यवाही कर विज्ञप्ति जारी करती है ।
लेकिन सवाल यही है कि जब शहर के बीचोंबीच छात्र की पिटाई होती रही, लोग डर के मारे खामोश रहे और पुलिस मूकदर्शक बनी रही—तो आम नागरिक की सुरक्षा की जिम्मेदारी किसकी है?
सिस्टम की लापरवाही को उजागर करती यह घटना युवाओं में हिंसक प्रवृत्ति और कानून-व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े करती है ? और लोग तभी बोलते हैं जब वीडियो वायरल हो जाता है, जबकि पुलिस तभी सक्रिय होती है जब मामला सुर्खियों में आता है।
ऐसे में यह सवाल और भी तीखा हो जाता है—क्या हमारी सुरक्षा व्यवस्था सोशल मीडिया पर निर्भर होकर ही काम करेगी? क्या आम लोगों को तभी इंसाफ मिलेगा जब उनकी पीड़ा वायरल होगी?
यही सोचने वाली बात है कि न्यायधानी की साख को बचाने के लिए अब और कितनी घटनाओं की जरूरत पड़ेगी।