
बिलासपुर में शिक्षा देने वाले संस्थान के भीतर ही भ्रष्टाचार का चौंकाने वाला चेहरा उजागर हुआ है। मस्तूरी ब्लॉक शिक्षा कार्यालय में पदस्थ सहायक ग्रेड-02 सी.एस. नौरके का रिश्वत मांगने वाला ऑडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया है।
मामला शिक्षक संतोष कुमार साहू से जुड़ा है। शिकायत पत्र के अनुसार, साहू को मेडिकल खर्च की प्रतिपूर्ति के रूप में जिला शिक्षा अधिकारी ने ₹1,87,459 स्वीकृत किया था। लेकिन भुगतान जारी करने से पहले नौरके ने खुलेआम 10% कमीशन की मांग की। वायरल ऑडियो में साफ सुना जा सकता है कि वह कह रहा है— “भुगतान चाहिए तो 10% देना पड़ेगा।” इतना ही नहीं रिश्वतखोर कर्मचारी ने कहा है कि ऊपर तक कमीशन की राशि देनी पड़ती है इसलिए कमीशन जल्दी भेज दो । इसके लिए वह अपने आसपास रहने वाले कुछ लोगों के नाम लेकर उनके माध्यम से पैसा भिजवाने की बात शिक्षक से कहता सुनाई दे रहा है ।
शिक्षक ने जब रिश्वत देने से साफ इनकार कर दिया, तो उसकी फाइल रोक दी गई। जबकि बाक़ी सभी शिक्षकों को 15 जुलाई को भुगतान कर दिया गया, साहू को केवल इसलिए राशि नहीं मिली क्योंकि उन्होंने घूस नहीं दी। बढ़ते विवाद के बाद मस्तूरी BEO टंडन के हस्तक्षेप पर भुगतान तो जारी कर दिया गया, लेकिन अब रिश्वतखोरी का ऑडियो सामने आने से विभाग में हड़कंप मच गया है। गौरतलब है कि इस मामले का खुलासा 10 अगस्त मीडिया के माध्यम से पहले उजागर किया गया था। तब जिला शिक्षा अधिकारी तांडे ने नौरके से तीन दिन में जवाब तलब किया था, लेकिन उसके बाद भी इतने दिन बीतने के बाद भी कोई स्पष्टीकरण नहीं दिया गया।
अब बड़ा सवाल यह है कि जब पुख्ता सबूत ऑडियो के रूप में सामने है, तो कार्रवाई क्यों नहीं हो रही? क्या शिक्षा विभाग ऐसे भ्रष्ट बाबुओं को बचा रहा है या फिर ईमानदार शिक्षकों को दबाव में रखने की नीतियों पर चल रहा है? ऑडियो वायरल होने के बाद अब सबकी निगाहें जिला शिक्षा अधिकारी पर टिक गई हैं कि वे नौरके को तत्काल निलंबित करेंगे या विभाग की साख को पूरी तरह दांव पर लगा देंगे। सबसे बड़ा सवाल यह भी है कि आखिर भ्रष्ट बाबू किन उच्च अधिकारियों के लिए 10% कमीशन मांग रहा था क्या वसूली के इस खेल में शिक्षा विभाग में कोई सिंडिकेट काम कर रहा है .?? अब देखना होगा कि जिम्मेदार अधिकारी और शिक्षा विभाग इस मामले को लेकर कब तक क्या कार्यवाही करता है ।


