कुत्तो के लिए टी आई ने खोया आपा , वाइल्ड लाइफ और NGO के बारे मे की अभद्र टिप्पणी ..!
थानेदार ने दी ऐसी धमकी। सुन कर रह जायेंगे आप दंग..!

डेस्क खबर…/ बेजुबानों पर कहर का वीडियो सामने आने के बाद से पुलिस की भूमिका पर सवाल खड़े हो रहे है। CCTV क्रूरता कैद होने के बाद मामला उजागर करने पर आवाज उठाने वाले को टी आई द्वारा धमकाने का आडियो वायरल होने से विभाग मे खलबली मचा गई ।
मनेन्द्रगढ़ (छत्तीसगढ़) के सिविल लाइन क्षेत्र में एक दर्दनाक घटना सामने आई है, जहाँ कुछ लोगों ने मासूम पिल्लों और आवारा कुत्तों को लाठियों व पत्थरों से बेरहमी से मारा। यह पूरी क्रूरता CCTV में रिकॉर्ड हो गई है, जिसमें अवनीश पांडे और सौमेंद्र मंडल अपने परिवार के साथ जानवरों पर हमला करते दिख रहे हैं।
इस घटना को सोशल मीडिया पर उजागर करने वाले स्थानीय पशु प्रेमी को पुलिस से ही धमकियों का सामना करना पड़ा। आरोप है कि थाना प्रभारी सुनील तिवारी ने न सिर्फ वीडियो हटाने का दबाव डाला, बल्कि धमकी दी कि अगर किसी को कुत्ता काटता है, तो फ़ीडर को ही दोषी माना जाएगा। उन्होंने यहाँ तक कहा कि सभी कुत्तों को फ़ीडर अपने घर में रखे — जो न केवल असंवेदनशील बल्कि गैरकानूनी भी है। आडियो मे जिस तरह थाना प्रभारी ने वाइल्फ लाइफ और NGO के खिलाफ जिस भाषा का इस्तेमाल किया है उससे अनुशासन का पाठ पढ़ाने वाली खाकी सवालों के घेरे मे है और इस मुद्द्दे पर बवाल मचना तय है।
बड़े सवाल? CCTV में दर्ज अपराध के बावजूद दोषियों पर कार्रवाई क्यों नहीं?- पशु अधिकारों के लिए आवाज़ उठाना क्या अब अपराध है? क्या पुलिस का काम अपराधियों को बचाना और सच बोलने वालों को डराना है?
कानून क्या कहता है?
भारतीय न्याय संहिता की धारा 324 (BNS) और पशु क्रूरता निवारण अधिनियम, 1960 के अनुसार, जानवरों को नुकसान पहुँचाना एक अपराध है।अनुच्छेद 51(G) भारतीय संविधान हर नागरिक को पशुओं की देखभाल करने और उन्हें भोजन देने का मूलभूत अधिकार देता है। Animal Welfare Board of India (AWBI) की हालिया गाइडलाइन्स के मुताबिक, किसी भी फ़ीडर को भोजन देने से नहीं रोका जा सकता क्योंकि यह ABC (Animal Birth Control) योजना का हिस्सा है। किसी भी आवारा कुत्ते को उसकी मूल जगह से हटाना गैरकानूनी है, क्योंकि इससे उनका व्यवहार आक्रामक हो सकता है और यह कोर्ट के आदेशों का उल्लंघन है।
