अजब एम पी के गजब किस्से…!
एमपीपीएससी की परीक्षा से डिलीट कर दिए दो सवाल..???
मध्यप्रदेश।यूं तो अपना एम पी में अजब गजब जगह है जो लोगो के लिए आकर्षण का केंद्र है…. फिर चाहे वह धार्मिक स्थल हों या ऐतिहासिक जगह… इन सबके के साथ ही एम पी में होने वाले प्रशासनिक और राजनीतिक कारनामे ऐसे है जो जब तब चर्चा और सुर्खियों में आ जाते है… लेकिन इस बार अपना एम पी में गजब कारनामा ऐसा है जिससे बेरोजगार युवाओं के साथ मजाक बना दिया है…हाल ही में एम पी पी एस सी की परीक्षा सम्पन्न हुई है… वैसे तो इस परीक्षा से युवाओं से उन युवाओं का बी भविष्य स्वर्णिम बन जाता है लेकिन हालिया एक्जाम में एम पी पी एस सी के द्वारा जो प्रिल्म्स एक्जाम लिया गया … उसे लेकर कई तरह के जहां सवाल खड़े हो रहे है तो वही ये परीक्षा युवा बेरोजगारों के साथ मजाक भी किया जा रहा है…
दरअसल हाल ही में 21 मई को हुई परीक्षा में जी एस पेपर के तीसरे नंबर में सवाल था” भारत छोड़ो आंदोलन कब हुआ था?? ये प्रश्न के ऑप्शन आयोग के द्वारा सही आंसर नही था इस वजह से आयोग के द्वारा परीक्षा लेने के बाद जो आंसर की जारी की गई उसमे इस प्रश्न को हटा दिया गया… दूसरा सवाल था ” मध्यप्रदेश राज्य निर्वाचन आयोग कब अस्तित्व में आया था?? इसका भी ऑप्शन चुनने का सही उत्तर आयोग के द्वारा नही दिया गया था वजह से आयोग ने इस प्रश्न को भी डिलीट कर दिया… पहले प्रश्न भारत छोड़ो आंदोलन के लिए आयोग के द्वारा जो चार विकल्प सुझाए गए थे उनमें 6,7,9 और। 10 अगस्त लिखा गया था… जबकि उसका सही उत्तर 8 अगस्त 1942 है… यानी जो विकल्प सुझाए गए थे वे चारो गलत थे ऐसे में सवाल ये उठता है कि आयोग जब प्रश्न पत्र तैयार करता है उसके बाद फाइनल प्रिंटिंग से पहले स्क्रूटनिंग की जाती होगी .. चूंकि इन प्रश्नों के 4 अंक थे ऐसे में इन प्रश्नों को आयोग के द्वारा हटा दिए। जाने से परीक्षार्थियों के चार अंक कम हो गए है… वैसे भी प्रतियोगी परीक्षाओं में एक एक अंक का महत्व होता है.. आयोग के द्वारा की गई इस गलती पर जिम्मेदार मौन है… तो वही मुद्दों के बहाने गाल बजाने और हल्ला मचाने वाले राजनीतिक दल भी खामोश है… हालाकि इस तरह की गलती को लेकर मध्यप्रदेश के कांग्रेस के एक बड़े कद्दावर नेता के द्वारा ट्वीट भी किया गया था… जिसके बाद आयोग हरकत में आया और सवाल को डिलीट कर अपनी जिम्मेदारी से मुंह मोड़ लिया गया…. लेकिन सवाल ये उठता है लोक प्रशासन के लिए की जा रही इस तरह की गड़बड़ी के लिए दोषियों को क्यों बचाया जा रहा है और युवा बेरोजगारों के साथ किया जा रहा छल के लिए दोषी कौन होगा क्योंकि आयोग के द्वारा की गई इस तरह की गलती की वजह से लोगो का विश्वास आयोग से टूटने लगेगा…..