SSP ने दिये सख्त संकेत, क्षेत्र मे चल रहे गैर कानूनी कामो के लिए थानेदार जिम्मेदार..??
जुआ-सट्टा पर कार्यवाही के बाद थाना प्रभारी को किया लाइन अटैच , एक्शन का दिखा रिएक्शन विभाग मे चल रही चर्चा से ???

डेस्क खबर ../ भिलाई तीन थाना क्षेत्र में जुआ-सट्टा के खिलाफ पुलिस की कार्यवाही के बाद जिले के SSP द्वारा लिए गए एक्शन के पुलिस महकमे मे हड़कंप मच गया है। वही जुए सट्टा मामले मे आरोपियों के खिलाफ पुलिस की कार्यवाही के बाद थाना प्रभारी को तत्काल लाइन अटैच करते हुए बढ़ती शिकायतों पर वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक विजय अग्रवाल ने सख्त रुख अपनाया है। एसएसपी के निर्देश पर नगर पुलिस अधीक्षक छावनी हरीश पाटिल के नेतृत्व में एक विशेष टीम ने 27 अप्रैल की रात करीब 10:30 बजे पुरानी भिलाई क्षेत्र में दबिश दी। कार्रवाई के दौरान हनुमान मंदिर के पास, दादर रोड की स्ट्रीट लाइट के नीचे जुआ खेलते 9 लोगों को रंगे हाथों गिरफ्तार किया गया। मौके से पुलिस ने ताश की पत्तियां, नगदी रकम, मोबाइल फोन, एक स्कूटी और एक मोटरसाइकिल जब्त की है। आरोपियों के खिलाफ थाना पुरानी भिलाई में छत्तीसगढ़ जुआ एक्ट के तहत मामला दर्ज कर लिया गया है।

इस कार्रवाई के बाद थाना क्षेत्र में जुआ-सट्टा रोकने में विफल पाए जाने पर थाना प्रभारी निरीक्षक महेश कुमार ध्रुव को एसएसपी विजय अग्रवाल द्वारा तत्काल प्रभाव से लाइन अटैच कर दिया गया। SSP द्वारा जारी आदेश में यह स्पष्ट किया गया है कि क्षेत्र में जुआ जैसी गैरकानूनी गतिविधियों को कतई बर्दाश्त नहीं किया जाएगा और इसके लिए थानेदार स्तर तक कार्यवाही लिप्त पुलिस अधिकारी या कर्मचारी पर सख्त कार्रवाई की जाएगी। वैसे भी विभाग के उच्च स्तर से लेकर निचले स्तर के अधिकारी कर्मचारी को पता है की है की क्षेत्र मे चल रहे गैर कानूनी गतिविधियों की जानकारी थाना प्रभारी तक रहती है और उनकी सहमति के बाद ही आरक्षक स्तर के सिपाही अपराधियों को संरक्षण देने मे मधायथा की भूमिका निभाते है, और मामला उजागर होने के बाद अधिकांश मामलों मे उच्च अधिकारियों को गुमराह कर निचले स्तर के कर्मचारियों पर कार्यवाही की जाती है और आरक्षकों को विभागीय जांच का दर दिखा कर खामोश.?? जिसकी चर्चा अक्सर लाइन अटैच हुए आरक्षक से लेकर सब इस्पेक्टर स्तर तक के कर्मी अक्सर मीडिया साथियों से चर्चा मे कहते रहते है की साहब डाइरेक्ट लेते नही और शिकायत के बाद हमको विभागीय सजा और उनको अभयदान.? और सच बोलने पर विभागीय जांच की धमकी..??

